राजस्थान से एक चौकाने वाली खबर सामने आयी है जहां मुस्लिम लड़की के साथ कथित प्रेम संबंध के कारण मुस्लिम समुदाय के लोगों ने दलित युवक को पीट-पीटकर मार डाला। बाड़मेर जिले के रामसर पुलिस स्टेशन क्षेत्र में खेताराम भील नामक एक दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गयी। पुलिस को संदेह है कि एक मुस्लिम महिला से प्रेमप्रसंग होने के कारण उसकी हत्या की गयी है। पुलिस द्वारा शुरूआती जांच में पता चला है कि मुस्लिम महिला और खेताराम के बीच प्रेमप्रसंग तब शुरू हुआ जब वो महिला के घर में काम करता था। पुलिस अधिकारियों ने कहा, “अतीत में वो कई बार लड़की के साथ पकड़ा गया था लेकिन पुलिस के पास जाने की बजाय परिवारवालों ने पंचायत के जरिये मामले को सुलझा लिया था।” खेताराम के भाई गोर्धन राम ने पुलिस को बताया कि उन्होंने महबूब खान की पत्नी आसियात से जमीन का एक टुकड़ा किराए पर लिया था। उनका मालिकों के साथ कुछ मतभेद था और शुक्रवार की रात सद्दाम और हयात खान ने खेताराम को खेती के काम के लिए अपने साथ चलने के लिए कहा था।
इस मामले के सात आरोपी अमर खान, अखबर खान, अनवर खान, रहीम खान, मुहीब खान, पठाई खान और शौकत खान घटना की जगह पर पहले से ही मौजूद थे और उन्होंने दलित युवक को पीटना शुरू कर दिया। पास के ही दो दलित किसानों गोमदा राम और हीरा राम ने खेताराम को बचाने की कोशिश की थी लेकिन उनपर भी हमला किया गया। आरोपियों ने दलित युवक को पीटने से पहले उसे बांधा और फिर उसे इतना पीटा की उसकी मौत हो गयी। जांच में ये भी पता चला है कि खेताराम ने भागने की कोशिश की थी लेकिन आरोपियों ने उसे पकड़कर उसकी हत्या कर दी, ये सभी सात आरोपी अब पुलिस की गिरफ्त में हैं। शिकायतकर्ता ने ये दावा किया है कि रविवार को सद्दाम खान और हयात खान उसके घर पहुंचे और उन्होंने ही उसे भाई के निधन की जानकारी दी। बाड़मेर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रामेश्वरलाल मेघवाल के निर्देशानुसार पुलिस ने दस में से 8 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है।
आजकल भारत में दो तरह के अपराध होते हैं, पहले अपराध को व्यापक रूप से रिपोर्ट किया जाता है और व्यापक रूप से चर्चा की जाती है क्योंकि वो अपराध हिंदू बहुमत द्वारा किये गये हैं और दूसरा जिसे कोई तवज्जों नहीं दी जाती है। ऑनर किलिंग और मोब लिंचिंग पर तभी चर्चा की जाती है जब कोई अपराधी हिंदू परिवार से जुड़ा हो और पीड़ित व्यक्ति अल्पसंख्यक समुदाय का हो।
ये दुःख की बात है कि एक मुस्लिम परिवार के सदस्यों द्वारा एक दलित युवक की हत्या पर सभी छद्म उदार बौद्धिकों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। अब जरूरत है कि भारत में अपराध करने वाले को एक अपराधी ही समझा जाए न कि किसी धर्म या समुदाय को दोषी ठहराया जाए। वामपंथी केबल के साथ समस्या ये है कि जब कोई अल्पसंख्यक समुदाय आरोपी होता है तब वो उसके धर्म या समुदाय की बात नहीं करते हैं। देश में मीडिया हाउस और बौद्धिकों का पक्षपातपूर्ण व्यवहार पत्रकारिकता के सनसनीखेज और बहस का विषय हो सकता है लेकिन इससे देश की छवि खराब होती है। राजस्थान के दलित परिवार को न्याय मिलना चाहिए और दोषी मुस्लिम पृष्ठभूमि का ही क्यों न हो उसे दंडित किया जाना चाहिए।