उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के जिले में दलित के खिलाफ भेदभाव और अत्याचार के एक और मामले में एक दलित व्यक्ति को पंचायत में फर्श पर थूक चाटने के लिए सिर्फ इसलिए मजबूर किया गया क्योंकि उसके बेटे ने एक मुस्लिम लड़की से शादी की। ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित ने कहा, “पंचायत की बैठक के दौरान मुझे अपनी थूक थूकने और चाटने के लिए कहा गया क्योंकि मेरे बेटे ने एक मुस्लिम लड़की से विवाह किया था। पंचायत ने मुझे गांव छोड़ने के लिए भी कहा है।” लड़के के 44 वर्षीय पिता श्रीकृष्णा ने आगे कहा, “पंचायत ने मेरी पत्नी और बेटी को नग्न कर गांव में परेड कराने का भी फरमान सुनाया है।“ उन्हें गांव छोड़ने के लिए भी कहा गया था।
दलितों में भय पैदा कर देने वाली इस घटना पर दलित कार्यकर्ता और दलित-मुस्लिम एकता का के लिए लड़ने वाले अभी भी चुप बैठे हैं। इस बीच एसपी देहात बुलंदशहर ने कहा, ‘हमें एक दलित व्यक्ति से शिकायत मिली है, जिसने बताया कि उसे पंचायत बैठक के दौरान अपना थूक चाटने के लिए कहा गया क्योंकि उसके बेटे ने एक मुस्लिम लड़की से विवाह किया है। हम दोषियों लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।’
6 जून को श्रीकृष्णा के 21 वर्षीय पुत्र शिवकुमार और 18 वर्षीय रजिया घरवालों और समाज के डर की वजह से घर से भाग गये जिसके बाद लड़की के परिजन मामले को लेकर पुलिस के पास पहुंच गये। 19 जून को लड़के के पिता ने दिल्ली में उनके स्थान का किसी तरह से पता लगाया और उन्हें गांव वापस लेकर आये।
लड़के के पिता ने पुलिस को बताया,”लड़की को कोर्ट में पेश किया गया था जहां शिवकुमार के साथ अपनी इच्छा से जाने की बात स्वीकारी और उसी के साथ रहने की बात कही।” उसी दिन लड़की और लड़के दोनों ने कोर्ट मैरिज करली। नए जोड़े की सुरक्षा को लेकर उन्होंने दोनों को तुरंत गांव छोड़कर जाने के लिए कहा और दोनों ने ऐसा ही किया। द हिंदू के अनुसार, लड़के के के पिता ने आगे कहा, “यहां कोई आदमी गांव की ही लड़की से शादी नहीं कर सकता है। वो दूसरे धर्म से भी थी। मैंने अपने बेटे को गांव छोड़ने के लिए कहा ताकि कोई उसकी हत्या न कर दे।“
26 जून को श्री कृष्णा के भाई को एक फ़ोन आता है जिसमें कहा जाता है कि लड़की के परिजन मामले को सुलझाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने लड़के के पिता को पंचायत की बैठक में बुलाया। जब श्रीकृष्णा अपने दोनों भाइयों के साथ पंचायत में पहुंचे तो पता चला कि कोई पंचायत नहीं बुलाई गयी है उन्हें सिर्फ धोखे से बुलाया गया था। वहां 100 से अधिक लोग थे और सभी ने उन्हें हर तरीके से अपमानित किया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया। उन्हें पीटा गया और जमीन पर बैठने के लिए कहा गया और थूक थूकने और चाटने के लिए कहा गया। पीड़ित से अपने परिवार के साथ गांव छोड़ने के लिए कहा गया। जब उसने ऐसा करने से मना किया तो पीड़ित को बुरी तरह से पीटा गया।
श्रीकृष्णा ने गांव छोड़ दिया है और अब वो गांव के समीप स्थित पुलिस थाने के पास रह रहे हैं। दोषियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कर ली गई है आईपीसी और एससी / एसटी अधिनियम के तहत अपराधियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज भी अक्सर ही इस तरह के भयावह घटनाएं हमारे समाज में देखने को मिलती है। असहिष्णुता के ऐसे मामले पहले भी कई बार सामने आये हैं। कर्नाटक में एक 21 वर्षीय गर्भवती मुस्लिम लड़की को उसी के परिवार वालों ने जिंदा जला दिया क्योंकि उस लड़की ने परिवार के खिलाफ जाकर एक दलित युवक से शादी की थी। जाति भेदभाव आज भी समाज का एक ऐसा सच है जो न केवल हिंदू धर्म में बल्कि अन्य विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच भी देखा जाता रहा है और इससे जुड़ी घटनाएं अक्सर ही सामने आती रहती हैं।