केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की बहन फरहत नकवी ने कहा, “तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने लाखों मुस्लिम महिलाओं के 11 साल के लंबे संघर्ष को खत्म कर दिया। मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में ये एक ऐतिहासिक फैसला था।” फरहत जिन्हें उनके पति ने इसलिए तलाक दे दिया था क्योंकि उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया था और अब वो तीन तलाक और घरेलू हिंसा के पीड़ितों के कल्याण के लिए एक गैर-राजनीतिक स्वैच्छिक संगठन को चलाती हैं। केंद्र में नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए फरहत ने कहा, किसी भी सरकार ने महिलाओं से जुड़े इस गंभीर मुद्दे पर कभी विचार नहीं किया जिस वजह से महिलाओं का जीवन बदतर हुआ है। उन्होंने कहा, “मैं इस मुद्दे को उठाने और ये सुनिश्चित करने के लिए मोदी जी का धन्यवाद करती हूं।” शादी के एक साल बाद उनके ससुराल वालों ने उन्हें बच्चे के जन्म से पहले उसका लिंग परिक्षण करने के लिए दबाव डाला था। उन्होंने आगे कहा, “मैंने टेस्ट के लिए जाने से मना कर दिया था। जब मैंने एक बेटी को जन्म दिया तो मेरे पति ने उसे स्वीकार करने से मना कर दिया।” वो भी घरेलु हिंसा का शिकार हो चुकी हैं और उनके पति ने उन्हें बिना किसी जानकारी के तलाक दिया था। उन्होंने आगे कहा, ‘मैं उदास थी लेकिन इसके बावजूद मैंने हार नहीं मानी, मैंने लड़ने का फैसला किया और कोर्ट का रुख किया। लगभग 11 साल हो चुके हैं और मामला अभी भी लंबित है”। उन्होंने 2014 में एक स्वैच्छिक संगठन ‘मेरा हक’ की शुरुआत की और तीन तलाक के पीड़ितों के लिए काम करना शुरू किया। उन्होंने कहा, “मैं नहीं चाहती अन्य महिलाएं भी ऐसी परिस्थिति का सामना करें और ऐसी महिलाओं की मदद के लिए मैंने एक स्वैच्छिक संगठन की शुरुआत की। एक महीने के भीतर ही पीड़ित महिलाओं की संख्या में इजाफा देखा गया।” देश भर में उनके 200 से अधिक सहयोगी हैं जिनके लिए एनजीओ मुफ्त कानूनी सहायता और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
केंद्र मंत्री की बहन ने इस बुरी प्रथा के कारण काफी कुछ देखा है। कई बार उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी गयी है। उन्होंने एक ऐसी ही घटना को याद करते हुए बताया कि एक बार उन्हें तीन तलाक की पीड़िता की मदद करने के लिए जान से मारने की धमकी मिली थी, वो पीड़िता जिसे कथित तौर पर बुरी तरह से प्रताड़ित किया गया था और पीड़िता के पति ने महिला को बिना भोजन व पानी के एक महीने तक एक कमरे में बंद रखा था। उस पीड़िता की मंगलवार को उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में इलाज के दौरान मौत हो गयी।
पीड़ित महिला की पहचान रजिया के रूप में हुई है जिसे अपने 6 साल के बच्चे के साथ ‘मेरा हक’ एनजीओ द्वारा अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। केंद्र मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की बहन और मेरा हक की संस्थापक फरहत नकवी ने मीडिया से कहा, 45 दिन पहले रजिया को उसके पति नईम ने तीन तलाक दिया था। लेकिन रजिया को तीन तलाक देने के बाद भी नईम ने उसे जाने नहीं दिया और उसे अपने बेटे के साथ कमरे में कैद रखा था। एक महीने तक उसे बिना खाना और पानी के कैद रखने और उसपर जुर्म करने के बाद नईम ने रजिया को रिश्तेदार के यहां छोड़ दिया। जब रजिया की बहन ने अपनी बहन को अपने पति की करतूतों के बारे में बताया तो वो अपनी बहन को वापस घर ले आयी। पीड़िता की बहन ने कहा, हम पुलिस थाने नईम व उसके परिवार के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने गए थे लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज करने से मना कर दिया। जब पुलिस ने हमारी कोई मदद नहीं की तब रजिया की बहन ने एनजीओ का रुख किया। इसके बाद एनजीओ ने पीड़िता को अस्पताल में भर्ती कराया और उसके इलाज का पूरा खर्च भी उठाया। पीड़िता तीन दिन पहले ही बरेली वापस आयी थी और लंबे समय तक मिली यातना और खाना और पानी न मिलने की वजह से कमजोर पीड़िता की मंगलवार को मृत्यु हो गयी।
अब बरेली में मुस्लिम धर्म के ठेकेदारों ने कहा है कि वो दो मुस्लिम महिलाओं जिन्होंने तीन तलाक के खिलाफ आवाज उठाई है उन्हें इस्लाम से बेदखल कर दिया जायेगा। केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी की बहन फरहत नकवी और आला हजरत परिवार की बहु निदा खान को इस्लाम से बेदखल करने की बात कही गयी है। इसका जवाब देते हुए निदा खान ने कहा कि “ये धर्म के ठेकेदार तब कहां थे जब मुस्लिम मुहिलाओं को तीन तलाक, निकाह हलाला, और बहुविवाह के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा था। अब हजारों निदा सामने आ चुकी हैं और उनकी आवाज को दबाया नहीं जा सकता है।”
निदा ने कहा, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ब्रिटिश कानून के तहत बनाया गया था और इस बोर्ड को मुस्लिम समाज पर कानून बनाने का कोई अधिकार नहीं हैं। उन्होंने कहा, महिलाओं की आवाज को दबाना अब ‘फैशन’ बन गया है लेकिन हमारे संविधान हमें अधिकार दिया है। आला हजरत परिवार द्वारा मिलने वाली धमकियों पर निदा ने कहा, इस परिवार में 14 तलाक के मामले तीन तलाक के हैं। ऐसे लोगों से वो डरने वाली नहीं हैं। ये मामला दर्शाता है कि देश में इस्लाम धर्म के ठेकेदारों ने कट्टरता के नाम पर महिलाओं की गरिमा को काफी क्षति पहुंचाई है।