संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में 2020 तक पहला हिंदू मंदिर बनकर तैयार हो जायेगा। वर्ष 2015 में पीएम मोदी की अबू धाबी यात्रा के दौरान वहां की सरकार ने अबू धाबी में मंदिर निर्माण की योजना को अपनी मंजूरी दी थी। वैश्विक हिंदू धार्मिक संगठन बाप्स स्वामीनारायण संस्था मंदिर का निर्माण और प्रबंध करेगा। दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर भी बीएपीएस सेक्ट के प्रमुख स्वामी महाराज के नेतृव में बनाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी वर्ष फरवरी में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संयुक्त अरब अमीरात में इस हिंदू मंदिर का शिलान्यास किया था।
मंदिर का निर्माण कुछ कारणों की वजह से देर से शुरू किया गया। अब वर्ष 2020 तक इस मंदिर के निर्माण को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मंदिर निर्माण समिति वैधानिक प्रावधानों के तहत एक महीने में सलाहकारों की नियुक्ति करेगी। सलाहकार की नियुक्ति के तुरंत बाद ही मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो जायेगा। स्वामीनारायण संस्था के मध्य-पूर्व के प्रभारी साधु ब्रह्मा विहारीदास ने कहा, ‘एक बार सलाहकारों की नियुक्ति हो जाए उसके बाद वो स्थानीय नियम-कानून के तहत आगे का कदम उठा सकते हैं।’
अबू धाबी में तकरीबन 30 लाख भारतीय रहते हैं और ये वहां की आबादी का लगभग 30 फीसदी हिस्सा है। भारतियों का अबू धाबी की अर्थव्यवस्था में काफी योगदान रहा है। वहां रहने वाले हिंदू अपने घरों में देवी-देवताओं की मूर्तियां रखते हैं और साथ ही गणेश चतुर्थी, नवरात्र, होली और दिवाली जैसे सभी त्योहार धूमधाम से मनाते हैं। इसके बावजूद वहां एक भी हिंदू मंदिर नहीं हैं। हालांकि, दुबई में दो मंदिर और एक गुरुद्वारा हैं और अबू धाबी के स्थानीय हिंदुओं को अपने किसी भी ख़ास समारोह के लिए दुबई जाना पड़ता है जिससे उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अबू धाबी के हिंदुओं को हो रही परेशानी को देखते हुए यूएई सरकार ने मंदिर निर्माण के लिए जमीन देने का निर्णय लिया था और मंदिर के निर्माण के लिए अबू धाबी को 20,000 वर्ग मीटर जमीन दी।
अबू धाबी में हाइवे से सटे ‘अल वाकबा’ नाम की जगह पर इस मंदिर का निर्माण होगा जो अबू धाबी से तकरीबन 30 मिनट की दूरी पर है। इस मंदिर में भगवान कृष्ण, शिव और अयप्पा (विष्णु के अवतार) की मूर्तियां होंगी। इस मंदिर को बनाने की मुहिम सबसे पहले बीआर शेट्टी ने शुरू की थी। बीआर शेट्टी अबू धाबी के जाने-माने भारतीय कारोबारी हैं और वो ‘यूएई एक्सचेंज’ नाम की कंपनी के एमडी और सीईओ हैं। मंदिर के निर्माण के लिए पत्थरों पर नक्काशी भारतीय शिल्पकारों द्वारा की जायेगी और बाद में इन पत्थरों को यूएई में मंदिर निर्माण के लिए भेजा जायेगा।
यूएई भारत के बसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है। कच्चे तेल और ऊर्जा के क्षेत्र में यूएई भारत का महत्वपूर्ण सहयोगी है। पीएम मोदी अपनी विदेश नीति को मजबूत करने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अबूधाबी की साल 2015 में की गई यात्रा के दौरान संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी में मंदिर निर्माण की योजना को अपनी मंजूरी देना और फिर पीएम मोदी द्वारा ही मंदिर का शिलान्यास करना दोनों देशों के बीच के संबंधों की मजबूती को दर्शाता है। भारत को गैस और तेल की आवश्यकता है और संयुक्त अरब अमीरात इसका एक बड़ा आपूर्तिकर्ता है। ऐसे में दोनों देशों के बीच व्यापारिक साझेदारी बढ़ेगी। वैश्विक स्तर पर एक बड़ा बाज़ार है यूएई को अपने फंड के निवेश के लिए एक बड़ा बाज़ार चाहिए जहां से उसे अच्छा लाभ मिल सके ऐसे में भारत में निवेश करना यूएई के लिए फायदे का सौदा होगा।