यूरोपीय विद्वान जो शायद ही संस्कृत और हिंदी शब्दों को सही तरह से उच्चारण कर पाते थे, मनुस्मृति का सही अनुवाद कर सकते थे। वास्तव में, इन विद्वानों ने हिंदू धर्म को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उदाहरण के तौर पर जगरनॉट शब्द को ही देख लीजिये जिसका इस्तेमाल वो भगवान जगन्नाथ के लिए करते थे।
भगवान जगन्नाथ ईसाई मिशनरियों के लिए ओडिशा के “मूर्तिपूजा के मूल” थे जहां वो बंगाल के प्रवेश द्वार माध्यम से पहुंचे थे। मिशनरी क्लॉडियस बुकानन ने अपनी किताब ‘ईसाई रिसर्च इन एशिया’ में जगन्नाथ को जगरनॉट के रूप में वर्णित किया है और हिंदू धर्म को “खूनी, हिंसक, अंधविश्वास और पिछड़ा धार्मिक तंत्र कहा।“ बुकानन के अनुसार, ईसाई धर्म द्वारा हिंदू धर्म को समाप्त कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने मोलोच के बिब्लिकल में जगरनॉट का विवरण दिया- एक कनानी देवता जिनकी बाल-त्याग के साथ पूजा की गई थी।

मोलोच के बिब्लिकल का वर्णन में की प्रतिष्ठा इतनी बीमारू है कि प्रसिद्ध वीडियो गेम फ्रेंचाइजी “मोर्टल कॉम्बैट” ने भी अपने खेल में मोलोच नामक एक राक्षसी चरित्र को जोड़ा- एक मांस खाने वाली नरभक्षी सदियों से लोगों को डराता है।

बुकानन ने अपने कार्य में जगरनॉट मंदिर को गोलगाथा (वो चीज जहाँ क्रूस पर ईशा मसीह को चढ़ाया गया था) के रूप में संदर्भित किया था। उन्होंने दावा किया कि जगरनॉट परंपरा अंतहीन, अर्थहीन रक्त का बहाव था और घाटी में देवताओं क़ झूठे मुर्तिपुजन के लिए बच्चों का बलिदान दिया गया था। उन्होंने दावा किया कि वो ‘अश्लील पंक्तियों’ की वजह से जुग्गरनॉट को समर्पित भजनों को पढ़ नहीं सके। बुकानन ने दावा किया कि भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा एक खूनी अनुष्ठान था जहां भगवान का रथ सड़कों पर चलाया जाता है और भक्त रथ के सामने लेट जाते थे जिसके परिणामस्वरूप इसमें हजारों लोगों की मौत होती थी। माइकल जे अल्टमैन की किताब जिसका नाम Heathen, Hindoo, Hindu: American representations of India है, “इस किताब के अनुसार, बुकानन ने घोषित कर दिया था कि रक्त के बहने को भगवान की प्रसन्नता का प्रतिक मानते हैं। जब उन्होंने खुद भगवान की छवि को देखा तो कहा, एक चेहरा जो भयानक है और भयानक जाके रंग से रंगा हुआ है और मुंह को खुनी लाल रंग से रंगा गया है।”
आज जगरनॉट शब्द का मतलब शाब्दिक या रूपक बल है जो निर्दयी, विनाशकारी और अजेय का माना जाता है, क्लॉडियस बुकानन जैसे लोगों का धन्यवाद।
फिर भी ये तो कुछ भी नहीं है, जगरनॉट शब्द आजकल अस्थिर बल को बढ़ने से रोकने के लिए भाषण में अक्सर ही उपयोग किये जाते हैं। यहाँ तक कि पीएम मोदी ने इस शब्द का इस्तेमाल अपने भाषण में किया जो दुर्भाग्यपूर्ण है। हर बार हम इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं और इस तरह हम भगवान जगन्नाथ का निरादर बार बार करते हैं। प्रत्येक आत्म-सम्मानित हिंदू को अभी से इस शब्द का उपयोग करना बंद कर देना चाहिए और दूसरों को अपने हिंदू मूल के बारे में भी बताना चाहिए।



























