इस्लामी विद्वान मुफ्ती एजाज़ अरशद क़ासमी ने एक टीवी चैनल पर लाइव शो में तीन तलाक पर चल रही बहस के दौरान फराह फैज नाम की एक महिला पर हमला किया। फराह फैज पेशे से सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं और वो कोर्ट में तीन तलाक के खिलाफ मामला लड़ रही हैं। मौलाना दृढ़ता से तीन तलाक के पक्ष में है। एजाज जैसे मौलाना द्वारा इस तरह से एक महिला पर घृणास्पद हमले ने स्पष्ट कर दिया कि वो महिलाओं की स्वतंत्रता को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं और इसलिए उन्होंने एक टीवी शो के दौरान एक महिला पर हमला कर सारी सीमा पार कर दी क्योंकि वो तीन तलाक जैसे नारी विरोधी और क्रूर प्रथा के खिलाफ लड़ रही थीं।
मौलाना ने न सिर्फ फराह फैज के साथ मारपीट की बल्कि कार्यक्रम में मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता अंबर जैदी के साथ भी बदसलूकी की। शो के शुरुआत में उन्होंने उनके परिवार के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का भी इस्तेमाल किया। उनका घृणास्पद व्यवहार यहीं नहीं रुका इसके बाद उन्होंने फराह फैज को थप्पड़ तक जड़ दिए।
इस घटना के बाद महिला वकील ने कहा, “कासमी ने ऑन एयर कार्यक्रम के दौरान अप्रिय शब्दों का उपयोग किया। मैंने बचाव किया और हाथ उठा दिया। इसके बाद वो तुरंत हिंसक हो गये। उन्होंने टेबल के ऊपर रखें पानी से भरे ग्लास को भी मेरे ऊपर फेंका यासिर (अन्य पेनलिस्ट) ने उन्हें पकड़ा। वो (कासमी) इसके बाद भी लगातार मुझपर हमले कर रहे थे।” महिला वकील ने कासमी के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई है।
मौलाना एजाज अरशद कासमी अखिल भारतीय पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईपीएलबी) और दारुल उलूम देवबंद के पूर्व प्रवक्ता भी हैं और वो सीसीटीवी कैमरों और नृत्य और संगीत को गैर इस्लामी मुद्दे करार देते हुए फ़तवा जारी करने के लिए अक्सर ही चर्चा में रहते हैं।
मौलाना के इस शर्मनाक और घृणित व्यवहार के बाद समाचार चैनल ज़ी हिंदुस्तान ने पुलिस को मामले की सुचना दी जिसके बाद मौलाना को गिरफ्तार कर लिया गया। चैनल ने शर्मनाक घटना की निंदा की है।
मौलाना और कट्टरपंथी जो मुस्लिम महिलाओं के प्रति सुधारों का विरोध करते हैं उन्हें सख्ती से दंडित किया जाना चाहिए और सलाखों के पीछे भेज देना चाहिए। सभ्य समाज में ऐसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं है। सीपीआई के आमिर हैदर जैदी जैसे कुछ लोग मौलाना के समर्थन में सामने आये वो मौलाना जिसने एक चैनल पर प्रसारित क्रायक्रम के दौरान फराह फैज के साथ बदसलूकी की। जैदी ने आरोप लगाया कि चैनल ने मौलाना को खलनायक के रूप में चित्रित किया है।
फेमिनिस्ट, उदारवादी वामपंथी, प्लाकार्ड आदि सभी ने लाइव टीवी बहस के दौरान महिला के साथ हुई बदसलूकी पर चुपी साधी हुई है। उनकी तरफ से कोई आक्रोश नजर नहीं आया और उनके गौरवशाली ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए उनसे यही उम्मीद की जा सकती है। स्वामी अग्निवेश के साथ हुई मारपीट को लेकर वो ज्यादा सक्रीय हैं क्योंकि वो एक राष्ट्रविरोधी, हिंदू विरोधी और नक्सल समर्थक है।
मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक, निकाह हलाला, बहुविवाह और महिला जननांग कर्तन जैसी प्रथाओं से पीड़ित हैं। जब मुस्लिम महिलाएं इन बर्बर प्रथाओं के खिलाफ खड़ी हो रही हैं तो उन्हें टीवी चैनल के लाइव बहस के दौरान धमकाया जाता है और उनके साथ मारपीट की जाती है। मीडिया को इस मामले को और भी गंभीरता से उठाने की आवश्यकता है। इस तरह के क्रूर और नारी विरोधी प्रयासों की इस आधुनिक दुनिया में कोई जगह नहीं है। हम इस तरह के पूराने नियमों के साथ बर्बर समय में रहने का खतरा नहीं उठा सकते हैं। महिलाओं के अधिकारों, मानवाधिकारों और भारतीयों की गरिमा के लिए इस तरह के पूराने भ्रमित करने वाले नियमों को धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील राष्ट्र के भीतर संचालित करने की छुट नहीं दी जानी चाहिए।
इसके अलावा सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे #TalktoAMuslim यही बताता है कि किसी भी कहानी का दूसरा पहलु जानने के लिए अन्य धर्म में विश्वास रखने वालों से बात की जा सकती है। हालांकि, यदि किसी मौलाना से बात करने पर इस तरह की प्रतिक्रिया मिलती है तो कोई भी व्यक्ति ऐसे लोगों से बात नहीं करना चाहेगा।