यूनाइटेड किंगडम के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा कि भारत भाग्यशाली है कि उसके पास नरेंद्र मोदी जैसा प्रधानमंत्री है, जिनका व्यक्तित्व स्पष्ट दृष्टि वाला है। उन्हें कोलकाता में इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) की 90 वीं वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में आमंत्रित किया गया था जहां डेविड कैमरन ने ये बात कही। उन्होंने याद किया कि भारत-ब्रिटेन संबंध 2010 से 2016 तक अपनी प्रीमियर शिप के दौरान प्राथमिकताओं में से एक था। डेविड कैमरन ने कहा कि, “जी-20 देशों में भारत में ब्रिटेन से ज्यादा कोई भी निवेश नहीं करता और ब्रिटेन में भारत के मुकाबले कोई भी बड़ा निवेशक नहीं है। हमें इसपर गर्व है क्योंकि हम एक दूसरे की सफलता से लाभ उठाते हैं।“ उन्होंने आगे कहा, “भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और इसे अपने आकार की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था कहा जाता है।।। देश के भावी विकास के लिए कौशल विकास और बुनियादी ढांचे पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए।”
वैश्वीकरण और मुक्त व्यापार के समर्थक ने जनता से कहा कि यदि भारत आर्थिक विकास चाहता है तो उसे विश्व स्तर पर खुलकर सामने आना होगा। उन्होंने उदाहरण दिया कि ब्रिटेन व्यापार के माध्यम से एक सफल अर्थव्यवस्था कैसे बना और भारत ने आर्थिक सुधारों के मध्यम से लाखों लोगों को गरीबी से निकाला। कैमरन ने कहा, “ब्रिटेन व्यापार, निवेश, बिक्री और नए नीतियों के माध्यम से सफल अर्थव्यवस्था बन गया, जबकि भारत अपने एंटरप्राइज़ को मुक्त करके मात्र दो दशकों में 150 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल हुआ था।”
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के ‘कौशल भारत’ कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए निजी क्षेत्र को शामिल किये जाने की जरूरत है क्योंकि अकेले सरकार की पहल पर्याप्त बदलाव नहीं ला सकती है, दक्षिण कोरिया जो 98 प्रतिशत छात्रों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करता है जबकि इसकी तुलना में ब्रिटेन 68 प्रतिशत और भारत में सिर्फ में दो प्रतिशत छात्रों को ही कौशल प्रशिक्षण प्रदान करता है। कैमरन ने कहा कि भारत और ब्रिटेन जैसे देशों को कौशल विकास में और निवेश करने की आवश्यकता है। अपने भाषण में कैमरन ने उल्लेख किया कि उन्हें आशा है कि भारत जल्द ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य बन जाएगा।
मोदी सरकार के आर्थिक सुधारों की नीति से दुनिया भर के बड़े नेता प्रभावित हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक जैसे वैश्विक संस्थानों ने भारतीय अर्थव्यवस्था में विश्वास व्यक्त किया है और इसे दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था मानते है। हमारे पड़ोस के कई छोटे देश पीएम मोदी को एक आदर्श मॉडल के रूप में देखते हैं। प्रधानमंत्री ने अकेले ही राजनयिक चाल और वैश्विक नेताओं के साथ अच्छे संबंधों के जरिये देश की विदेश नीति में बदलाव किये हैं। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह में सार्क नेताओं को आमंत्रित किया जो दर्शाता है कि वह राजनयिक चाल के मास्टर रणनीतिकार हैं।
उनके नेतृत्व में कई सामाजिक और आर्थिक सुधार हुए हैं। स्वच्छ भारत मिशन जैसी पहल ने स्वच्छता की दिशा में लोगों की सोच में एक क्रांतिकारी बदलाव लाया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना (एनएचपीएस) यूनिवर्सल हेल्थकेयर सिस्टम की दिशा में पहला प्रयास है। इस योजना को मोदीकेयर के नाम से भी जाना जाता है जिससे देश में 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य सेवा का लाभ मिलेगा। जीएसटी और दिवालियापन और दिवालियापन संहिता जैसे आर्थिक सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने, कर आधार में सुधार करने और देश को पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने के लिए बड़े कदम हैं। शैल कंपनियों पर शिकंजा कसने की रणनीति से कालाधन जमा करने वालों बड़ा झटका लगा है। यही वो बडोर साहसिक कदम हैं जिसकी वजह उन्हें वैश्विक स्तर सराहा जा रहा है।