पिछले कुछ वर्षों में भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र में एक मजबूत पार्टी बनकर उभरी है। महाराष्ट्र में जबसे बीजेपी सत्ता में आयी है चाहे वो नगर निगम चुनाव हो या पंचायत चुनाव बीजेपी ने सभी में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। बीजेपी ने बृहन मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव में शिवसेना और एनसीपी-कांग्रेस के गठबंधन का सामना किया था और अपने बढ़िया प्रदर्शन से सभी को चौंका दिया था। बीजेपी ने बीएमसी में शिवसेना के एकाधिकार को समाप्त किया था। शिवसेना 227 में से केवल 84 सीटों पर ही कब्जा कर पायी थी और वहीं बीजेपी ने 82 सीटों पर कब्जा किया था जिससे शिवसेना को हर बड़े फैसले के लिए मजबूर होकर बीजेपी को शामिल करना पड़ा। इसके बाद बीजेपी ने अधिकांश नगरपालिका और पंचायत चुनाव में जीत दर्ज की। जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने एक विरोधी सहयोगी को संभाला और शिवसेना और एनसीपी-कांग्रेस की सीटों पर कब्जा किया ये बीजेपी की शानदार राजनीतिक शैली को दर्शाता है।
बीजेपी ने अब 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए कमर कस ली है। लोक सभा के चुनाव पास आ रहे हैं शिवसेना और बीजेपी ने ये स्पष्ट कर दिया है कि दोनों चुनाव एकसाथ नहीं लड़ेंगे। एनसीपी और कांग्रेस महाराष्ट्र में एकसाथ चुनाव लड़ेंगे। अब, बड़ा सवाल ये है कि राज्य का चुनावी अंकगणित इस तरह के गठन के साथ कैसा दिखाई देगा? नागपुर के स्थानीय निकाय चुनाव से इसकी एक झलक साफ़ नजर आती है।
नागपुर में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था जबकि एनसीपी और कांग्रेस ने गठबंधन में चुनाव लड़ा। इस तरह के समीकरण से भगवा के मतदाता और समेकित विपक्षी के मतदाता में विभाजन होना चाहिए था लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। पूरे शहर में भगवा लहर देखा गया।
भारतीय जनता पार्टी ने अधिकतर सीटों पर जीत दर्ज किया, नागपुर के वानाडोंगरी और पारशिवनी दोनों नगर निकाय के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की। वानाडोंगरी के नगर पालिका परिषदों में पंचायत अध्यक्ष की सीट पर भी जीत दर्ज करने में सफल रही। शिवसेना पारशिवनी नगर पंचायत के चुनाव में परिषद अध्यक्ष पद जीत सकी।
वनाडोंगरी में बीजेपी ने 21 सीटों में से 19 सीटें जीतीं। एनसीपी को सिर्फ एक सीट से संतोष करना पड़ा था और एक सीट निर्दलीय पार्टी के खाते में गयी है जबकि शिवसेना यहां अपना खाता भी नहीं खोल पायी है। पारशिवनी नगर पंचायत में, भारतीय जनता पार्टी ने 17 सीटों में से 11 पर जीत दर्ज की थी। शिवसेना ने नगराध्यक्ष पद की सीट समेत 4 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस पार्टी केवल दो सीटें ही हासिल करने में कामयाब रही।
ये नतीजे दर्शाते हैं कि महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी की जड़ें मजबूत हुई हैं और जब जमीनी स्तर पर काम और लोकप्रियता की बात आती है तो उसके प्रतिद्वंद्वी बहुत दूर नजर आते हैं। कुछ असामाजिक तत्व राज्य को अस्थिर करने की कोशिश करते हैं और महाराष्ट्र के विशेष वर्गों को बीजेपी के खिलाफ करने की कोशिश करते हैं, इस तथ्य को जानने के बाद भी बीजेपी की स्थिति मजबूत बनी रही। महाराष्ट्र में पार्टी की लोकप्रियता बढ़ी है और वो राज्य में पसंदीदा पार्टी बनी हुई है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस राज्य में सबसे लोकप्रिय नेता बनकर उभरे हैं। फड़नवीस ने स्पष्ट रूप से महाराष्ट्र में हवा के रुख को बदल दिया है। जिस तरह से उन्होंने अपने सहयोगी विरोधियों को संभालते हुए सरकार चलाना जारी रखा और साथ ही उन्हें उनकी सही जगह भी दिखाई, ये उनकी शानदार राजनीति को दर्शाता है। उन्होंने एक बड़े नेता के रूप में अपनी क्षमता को साबित किया है। महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए देवेंद्र फड़नवीस ने पूरी कमान संभाल रखी है। राज्य उनकी लोकप्रियता और राजनीतिक कौशल बेजोड़ रहा है।
इन सभी में शिवसेना एक हारी हुई पार्टी के रूप में उभरी है। उद्धव ठाकरे एक राजनेता के तौर पर पूरी तरह से विफल रहे हैं। जबसे उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना ने खुद को बीजेपी से अलग किया है तबसे पार्टी का पतन शुरू हो गया है। यदि शिवसेना का यही रवैया रहा तो ये निश्चित है कि शिवसेना आने वाले समय में महाराष्ट्र में मजाक का पात्र बनकर रह जाएगी। नागपुर नगरपालिका चुनाव इसका बढ़िया उदाहरण है।