ऐसा लगता है कि चंद्रबाबू नायडू द्वारा एनडीए के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए कुछ और नए सहयोगी मिल गए हैं। अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए सदन के कम से कम 50 सदस्यों के समर्थन की जरूरत है जिसके बाद ही लोकसभा स्पीकर इस प्रस्ताव को स्वीकार करेंगी। नीचला सदन अब शुक्रवार को अविश्वास प्रस्ताव पर विचार-विमर्श करने के लिए तैयार है साथ ही चर्चा के बाद वोटिंग भी कराई जा सकती है। अविश्वास प्रस्ताव जो बीजेपी और उसके सहयोगियों के प्रभुत्व के कारण विफल होने के लिए बना है उसे फिर भी विपक्षी पार्टियों द्वारा समर्थन मिल रहा है। वरिष्ठ नेता और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस प्रस्ताव को समर्थन देने का निर्णय लिया है और उन्हें विशवास है कि ये प्रस्ताव सफल होगा और शुक्रवार को मतदान के बाद ये प्रस्ताव आगे बढ़ेगा। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से जब अविश्वास प्रस्ताव पर नंबर को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, “कौन कहता है कि हमारे पास नंबर नहीं हैं।“ नीचले सदन में बीजेपी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को पूर्ण बहुमत है जो अविश्वास प्रस्ताव के भाग्य को शुरू होने से पहले ही खत्म कर देगा। संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार ने अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा, “चर्चा के बाद सभी चीजें स्पष्ट हो जायेंगी। मैं सदन में ये स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि देश के लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर पूरा भरोसा है।” अनंत कुमार ने ये भी कहा कि एनडीए सरकार फिलहाल अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग को लेकर चिंतित नहीं है और इसका एनडीए की सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
रिपोर्ट के अनुसार ममता बनर्जी की नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं ने लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन से शुक्रवार की जगह सोमवार को इस प्रस्ताव पर चर्चा और वोटिंग के लिए कहा है। टीएमसी पार्टी के एक नेता के अनुसार, टीएमसी के नेताओं ने स्पीकर से अनुरोध किया है कि वोटिंग को स्थगित कर दें क्योंकि “इस चर्चा के दौरान कम से कम 34 सांसद गायब रहेंगे।” टीएमसी नेता के अनुसार शुक्रवार को ये सभी नेता पश्चिम बंगाल में रहने के लिए बाध्य हैं। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने स्वंय भी बुधवार को चली बहस में स्पीकर से चर्चा का समय स्थगित करने का अनुरोध किया क्योंकि कुछ सांसद पूर्व प्रतिबद्धताओं के कारण मतदान में शामिल नहीं हो पाएंगे। लोकसभा में पार्टी के नेता खड़गे खुद ही निश्चित सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और वोटिंग के लिए अपने सहयोगियों की उपस्थिति को लेकर निश्चित नहीं हैं।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की ये रिपोर्ट और बयान विपक्ष में एकता की कमी का प्रदर्शन करता है। लोकसभा में बीजेपी के 273 से ज्यादा सदस्य हैं और पार्टी बहुमत के आंकड़ों के साथ आराम से पद पर आसीन है। यद्यपि ये नामुमकिन नहीं है लेकिन ये इतना आसान भी नहीं है, अगर क्रॉस वोटिंग होती भी है तो विपक्ष के विपरीत एनडीए के सदस्य अनुशासित हैं और वो अपने सहयोगियों को धोखा नहीं देंगे। इस प्रपंच से कांग्रेस और विपक्षी नेताओं को कुछ हासिल नहीं होगा और इससे सिर्फ उन्हें मानसून सत्र में राष्ट्रीय विषयों पर चर्चा को बाधित करने के लिए एक मुद्दा मिल जायेगा। ये कुछ भी नहीं है बल्कि प्रगतिशील कार्यों को रोकने और व्यर्थ विवादों में एनडीए और बीजेपी को फंसाने के लिए वीपक्ष की एक छोटी चाल है। विपक्षी पार्टियों को इससे सियासी प्रपंच और मगरमच्छ के आंसू बहाने का मौका मिल जायेगा जिन्होंने सत्ता में रहते हुए कभी देश के विकास के लिए कार्य नहीं किया है।