पाकिस्तान में भारी हिंसा के बीच बुधवार (25 जुलाई) को आम चुनाव संपन्न हुए थे जिसके नतीजे सामने आ चुके हैं। चुनाव के अभी तक के नतीजों में पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक – ए – इंसाफ 119 सीटों के साथ सबसे आगे है वहीं, उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) को 65 सीटें मिली हैं।
इस देश के आम चुनाव हिंसक प्रदर्शन, बम ब्लास्ट और व्यापक धांधली के आरोपों के बीच सम्पन्न हुए लेकिन इन सबके बीच एक सुखद खबर सामने आयी है। पूर्व प्रधानमंत्री अब्बासी समेत कई दिग्गजों को पीछे छोड़ते हुए दक्षिणी सिंध प्रांत में थरपरकर से पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के महेश कुमार मलानी नेशनल असेंबली सीट जीतने वाले पहले हिंदू बन गए हैं। अल्पसंख्यक समुदाय के 55 वर्षीय मलानी ने राष्ट्रीय एसेंबली (एनए) -222 निर्वाचन क्षेत्र में ग्रैंड डेमोक्रेटिक अलायंस के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी अरब जकाउल्ला को भारी मतों के अंतर से हराया है। मलानी ने 19 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से अपने प्रतिद्वंद्वी को हराया, जहां मलानी को 37,245 वोट मिले जबकि जकाउल्ला को सिर्फ 18323 वोट ही मिले। इस्लामिक गणराज्य न का थारपरकार जिला सिंध का सबसे बड़ा जिला है और इसका मुख्यालय मीठी में स्थित है। पाकिस्तान के मीठी में मुस्लिम बहुमत में नहीं हैं यहां 80 फीसदी आबादी हिंदुओं की है। 2018 के आम चुनावों से पहले तैयार नई मतदाताओं की सूची के अनुसार इस इस्लामिक गणराज्य में 1.77 मिलियन हिंदू मतदाता हैं। 2013 में, हिंदू मतदाताओं की संख्या 1.40 मिलियन थी। पाकिस्तान की अधिकांश हिंदू आबादी सिंध प्रांत में रहती है।
इस्लामिक गणराज्य के चुनाव में एक हिंदू की जीत से अल्पसंख्यक समुदाय में एक नई उम्मीद जगी है। मलानी पहले गैर-मुस्लिम राजनीतिज्ञ हैं, जो पाकिस्तान नेशनल असेंबली के चुनाव में जनरल सीट से चुने गए हैं। भारत से अलग होने के बाद से पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति समय के साथ दयनीय होती गयी। पाकिस्तान के हिंदू उत्पीड़न का शिकार हैं, ऐसे में एक हिंदू नेता की जीत से हिंदुओं में उम्मीद जगी है कि शायद अब उनके अधिकार की लड़ाई लड़ने के लिए उनका अपना नेता अब सत्ता में आ गया है जो उनकी दबी हुई आवाज और उनके साथ हुए अत्याचार को बड़े स्तर पर उठाएगा।
पुष्करण ब्राह्मण जाति के महेश मलानी दो दशकों से कहीं ज्यादा समय से पाकिस्तान की राजनीति में सक्रिय हैं। थारपरकार के मीठी में मलानी का परिवार रसूखदार परिवारों में गिना जाता है। महेश मलानी 2003-08 में आरक्षित सीट से संसद के सदस्य थे। मलानी 2013 के आम चुनाव में सिंध में प्रांतीय असेंबली के सदस्य निर्वाचित हुए थे। वर्ष 2013 के चुनाव में मलानी अकेले हिंदू सदस्य थे ,जो पूरे पाकिस्तान में सामान्य सीट से विधायक चुने गये थे। वो पाकिस्तान की अल्पसंख्यक मामलों की समिति समेत कई समितियों के सदस्य भी रह चुके हैं।
इस इस्लामिक गणराज्य में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि नई सरकार का हिंदू, सीख, ईसाई, पारसी जैसी अन्य जातियों के प्रति कैसा दृष्टिकोण होगा। पाकिस्तान की पिछली सरकारों का अल्पसंख्यकों के प्रति भेदभाव से भरा रवैया रहा है यहां तक उन्होंने अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न को रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया, अल्पसंख्यकों का दुरुपयोग किया, जबरदस्ती उनपर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव मजबूर किया जाता है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक आये दिन कई यातनाओं से गुजरते हैं। ऐसे में ये तो आने वाला समय ही बताएगा कि नई सरकार के आने से अल्पसंख्यकों की स्थिति में कितना सुधार आयेगा।