अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल समझौते को लेकर जो कहा वो अब उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है। अपने भाषण में राहुल गांधी द्वारा लगाये गये आरोपों के जवाब में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने खुलासा किया था कि कैसे राहुल गांधी संसद और पूरे देश को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे थे ये कहकर कि उन्होंने फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों के साथ बातचीत की थी और फ्रांस के राष्ट्रपति ने उन्हें बताया था कि राफेल के विमानों की कीमत गुप्त रखने की कोई शर्त नहीं है और मोदी पूरे देश को सौदे को लेकर झूठ बोल रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा था कि राफेल समझौते को लेकर निर्मला सीतारमण ने पीएम मोदी के दबाव में देश से झूठ बोला है। हालांकि, रक्षा मंत्री ने एक इंटरव्यू में दिए गये फ्रांस के राष्ट्रपति के बयान का जिक्र किया और बताया कि इस सौदे को लेकर राहुल गांधी जो आरोप लगा रहे हैं वो पूरी तरह से गलत हैं। उन्होंने संसद के फ्लोर पर ये भी कहा कि, “ये समझौता 25 जनवरी, 2008 को दोनों सरकारों के बीच हुआ था। तत्कालीन रक्षा मंत्री ए के एंटनी द्वारा गोपनीयता के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।”
कांग्रेस और उनके अध्यक्ष को इस वजह से शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। अब ये भी प्रकाश में आया है कि फ्रांस भारत को 32 सेंकेड हैंड जगुआर विमान मुफ्त में दे रहा है और इसके साथ दो मिराज-2000 लड़ाकू विमान भी देने जा रहा है इस विमान ने कारगिल युद्ध के दौरान अपनी क्षमता सिद्ध की थी। ऐसा लगता है कि जब राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी से सवाल कर रहे थे कि राफेल समझौते के लिए मोदी सरकार क्यों फ्रांस को यूपीए सरकार की तुलना में ‘अधिक पैसे’ दे रही है वो ये समझने में विफल रहे कि भारत को मुफ्त में 32 जगुआर विमान और दो मिराज-2000 लड़ाकू विमान का भी फायदा हो हुआ है।
फ्रांस से मुफ्त में मिल रहे 32 जगुआर विमान भारतीय वायुसेना के लिए काफी फायदेमंद साबित होंगे और भारतीय वायुसेना को इसकी आवश्यकता भी थी। इसके अलावा, मिराज-2000 लड़ाकू विमान जिसकी क्षमता कारगिल युद्ध के दौरान देखी गयी थी इसे लंबे समय तक भारतीय वायुसेना को फायदा होगा। ऐसा लगता है कि संसद के फ्लोर पर राहुल गांधी झूठे आरोपों से संसद को भ्रमित करना चाहते थे और अपने भाषण में उन्होंने जोर देते हुए इस मुद्दे को उठाया था यहां तक कि उन्होंने इस भारत-फ्रांस के इस समझौते से जुड़े पूरे तथ्यों के बारे में जानने की कोशिश नहीं की कि कैसे इस समझौते से भारतीय वायुसेना को फायदा पहुंचेगा और सेना की शक्ति में भी बढ़ोतरी होगी।
राफेल समझौते में कई उतार-चढ़ाव देखा गया। 2012 में रूस और अमेरिका चाहते थे कि भारत उनसे लड़ाकू विमान खरीदें लेकिन भारत ने राफेल का चयन किया था। शुरुआत में भारत की योजना फ्रांसीसी फार्मा डसाल्ट एविएशन से 18 एयरक्राफ्ट ऑफ द शेल्फ खरीदने की थी और 108 अन्य विमानों को सार्वजनिक क्षेत्र के निकाय हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा इकठ्ठा किया जाना था। हालांकि, 2015 में पीएम मोदी ने कहा था कि भारत एक फ्रांसीसी विमान निर्माता से 36 राफेल एयरक्राफ्ट ऑफ द शेल्फ खरीदेगा। जब भारत फ्रांस की कंपनी राफेल से 36 जेट विमान खरीदने के लिए तैयार हुआ था तब 2016 में इस समझौते को अंतिम रूप दिया गया था।
सितंबर 2016 में भारत और फ्रांस ने इस समझौते के लिए हस्ताक्षर किया था वहीं भारत को 36 विमानों के लिए फ्रांस को 58,000 करोड़ रुपये देने थे। इस समझौते का भुगतान का लगभग 15 प्रतिशत अग्रिम में किया जाना है। भारत को समझौते के तहत अन्य हथियारों के साथ स्पेयर पार्ट्स और उल्का मिसाइल भी मिलेंगे। कांग्रेस और इसके पूरे पारिस्थितिकी तंत्र ये आरोप लगा रहे हैं कि मोदी सरकार ने जेट विमान निर्धारित मूल्य से अधिक पैसे दे रहे हैं। चूंकि अब ये प्रकाश में आ गया है कि भारत को इस सौदे में मुफ्त में 32 जगुआर विमान और दो मिराज-2000 लड़ाकू विमान भी मिल जायेगा। इससे ये स्पष्ट होता है कि भारत ने फ्रांस के साथ फायदे का सौदा किया है और भारत को इससे कोई नुकसान नहीं हुआ है