जबसे नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं उनकी लोकप्रियता बढ़ती गयी है। कम से कम ब्रॉडकास्ट ऑडिएंस रिसर्च कौंसिल (बार्क) डाटा तो यही कहता है। कोई उनसे प्यार कर सकता है कोई भी उनसे नफरत कर सकता है लेकिन कोई भी उन्हें नजरंदाज नहीं कर सकता है। बार्क के ताजा आंकड़े तो यही कहते हैं कि जब भी पीएम मोदी बोलते हैं राष्ट्र उन्हें सुनता है। टीवी के दर्शकों की संख्या बढ़ जाती है जब भी पीएम मोदी टीवी पर आते हैं। राष्ट्र उन्हें किसी न किसी कारण से सुनना पसंद करता है।
बिज़नस स्टैण्डर्ड रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल और मई 2018 के बीच टीवी चैनलों द्वारा कार्यक्रम के प्रसारण में पीएम मोदी की उपस्थिति से दर्शकों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गयी। डीडी न्यूज पर स्मार्ट इंडिया हैकथॉन के सीधे प्रसरण में दर्शकों की संख्या में 1.4 गुना वृद्धि और पीएम मोदी कृषि उन्नति मेला के कार्यक्रम के प्रसारण के दौरान दर्शकों की संख्या में 2.3 गुना वृद्धि हुई।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले हुई बीजेपी की परिवर्तन रैली में प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति से कन्नड़ चैनलों पर उनके दर्शकों की संख्या में 418 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। जब वस्तु एवं सेवा कर को लागू करने के लिए पीएम मोदी ने जनता को संबोधित किया था तब इस कार्यक्रम का प्रसारण सभी चैनलों ने किया था उस दौरान हिंदी चैनलों के दर्शकों की संख्या 47 प्रतिशत और अंग्रेजी चैनलों के दर्शकों की संख्या में 2.7 गुना बढ़ोतरी हुई थी।
बार्क के मुताबिक, जीएसटी लागू करने वाले कार्यक्रम के दौरान अंग्रेजी चैनलों के महिला दर्शकों की संख्या में 123 फीसदी और हिन्दी चैनलों के महिला दर्शकों की संख्या में 239 फीसदी बढ़ोतरी हुई। वहीं, अंग्रेजी चैनलों के पुरुषों की संख्या में 101 फीसदी की बढ़ोतरी जबकि हिन्दी चैनलों के पुरुष दर्शकों की संख्या में 240 फीसदी की वृद्धि हुई।
जब पीएम मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया था तब अंग्रेजी चैनलों के महिला दर्शकों की संख्या में 22 फीसदी वृद्धि और हिंदी चैनलों के महिला दर्शकों की संख्या में 53 फीसदी बढ़ोतरी हुई और हिंदी चैनलों के पुरुष दर्शकों की संख्या में 44 फीसदी और अंग्रेजी चैनलों के पुरुष दर्शकों की संख्या 17 फीसदी बढ़ोतरी हुई।
ये शायद तीन कारणों में से एक कारण की वजह से हो सकता है:
पहला, मीडिया द्वारा पीएम की कितनी भी नकारात्मक छवि क्यों न दिखाई जाए वो फिर भी देश में सकारात्मक छवि का आनंद उठा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट और वास्तविकता के बीच बहुत बड़ा अंतर है। लोग उन्हें मानते हैं और उनकी लोकप्रियता बढ़ रही है। लोग उन्हें सुनने के लिए उनके टीवी पर आने का इंतेजार करते हैं।
दूसरा, हो सकता सभी लोग उन्हें न चाहते हों लेकिन वो फिर भी उनके दिलों-दिमाग पर हावी होने में सक्षम रहे हैं। उनके बोलने और चीजों को समझने का तरीका, उनकी शैली, विरोधियों को चित्त करने और उनके द्वारा समय समय पर हर कहानी को प्रस्तुत करने का तरीका इन सभी गुणों की वजह से लोग उन्हें पसंद करते हैं। और ये सभी गुण उन्हें सुनने के लिए सबसे अलग बनाते हैं।
तीसरा, उनके द्वारा नोटबंदी की अचानक घोषणा के बाद से लोग अब हमेशा सतर्क और उत्सुक रहते हैं कि वो आगे क्या करने वाले हैं।
सबसे अधिक संभावना पहले विकल्प की हो सकती है। कम से कम जमीनी वास्तविकता तो ऐसे ही संकेत मिलते हैं। बीजेपी के 2014 में सत्ता में आने के बाद से उन्होंने एक के बाद एक राज्यों में जीत दर्ज की है। बीजेपी ने उन जगहों पर जीत दर्ज की जहां वर्षों से वामपंथी सरकार का कब्जा था और विभिन्न स्तरों पर खुद को मजबूत किया है। ये सभी संकेत पीएम मोदी की लोकप्रियता बढ़ी है। वो समय के साथ और मजबूत होती गयी और यदि उनकी उपस्थिति से टेलीविज़न पर दर्शकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। कोई भी ये मान सकता है कि जब भी वो बोलते हैं तब लोग उन्हें सुनने के लिए कि आगे प्रधानमंत्री मोदी क्या क्या करने वाले हैं जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। पूरे दिन न्यूज़ चैनलों पर जो भी दिखाया जा रहा है उसके विपरीत लोग उस क्षण का आनंद उठाते हैं जब भी पीएम मोदी बोलते हैं।