आधार कार्ड भारत के लिए एक वरदान की तरह है इसने बहुत सारे कागजी कार्य और लाल फीताशाही को हटाया है। अब आवेदक आधार कार्ड का इस्तेमाल पहले की तुलना में बड़ी आसानी से पासपोर्ट हासिल करने के लिए कर सकता है। ये कई समस्याओं का एक हल है। कितनी बार दस्तावेजों की लंबी सूची से आप परेशान हुए हैं? गैस कनेक्शन के लिए राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस के राशन कार्ड, पासपोर्ट के लिए पेन कार्ड आदि इस सूची का अंत नहीं। यदि आधार कार्ड हमें दस्तावेजों की इस लंबी सूची से निजात दिलाकर एक फोटो आईडी दस्तावेज़ का समाधान प्रदान करने का वादा कर रहा है, तो इसमें क्या गलत है? आधार ने न सिर्फ पारदर्शिता को बढ़ाया है बल्कि प्रशासन में विश्वसनीयता को भी बढ़ावा दिया है। इसके साथ ही सिस्टम में डुप्लीकेट और फेक दस्तावेजों का इस्तेमाल करने वालों के लिए मौके भी खत्म कर दिए हैं।
आधार कार्ड के सफल होने के बावजूद हाल के समय में उदारवादी और वामपंथियों ने आधार कार्ड पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ा है। उनमें से कई लोगों ने तो #destroyAADHAAR को ट्रेंड करने की भी कोशिश की। वो दावा करते हैं कि आधार गोपनीयता के लिए खतरा है और आधार के खिलाफ कई अन्य आधारहीन मुद्दे भी उठाये गए हैं और उनके इस आधारहीन आलोचना से सब थक चुके हैं। भारत के दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (टीआरएआई) के चेयरमैन आर एस शर्मा ने अपना आधार नंबर ट्वीटर पर साझा किया और एथिकल हैकरों को चुनौती दी कि, इस आधार नंबर से कोई उनका डेटा लीक कर दिखाए और इसका कुछ ठोस उदाहरण दें कि आप आधार नंबर जानकर मुझे कोई नुकसान पहुंचा सकते हैं।
जैसे ही उन्होंने चुनौती दी और नंबर साझा किया कुछ लोगों ने दावा किया कि वो लोग आपकी निजी जानकारी तक पहुंच जायेंगे। हैकर्स ने दावा किया कि उन्होंने आधार नंबर का उपयोग करके आर एस शर्मा का पूरा नाम, उनका मोबाइल नंबर, पता, मेल आईडी, बैंक अकाउंट की जानकारी और अन्य विवरण के बारे में पता लगा लिया है। लेकिन बाद में उनके सभी दावे आधारहीन साबित हुए। जिन जानकारियों को पता लगाने का एथिकल हैकर्स दावा कर रहे थे वो पहले से ही पब्लिक डोमेन में मौजूद हैं। आर एस शर्मा एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं और वो बहुत लंबे समय से पब्लिक सेवा में रहे हैं, उनके अधिकांश विवरण पब्लिक डोमेन में पहले से ही उपलब्ध हैं।
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इसके बाद TRAI चेयरमैन आर एस शर्मा एक शानदार स्पष्टीकरण के साथ सामने आये और बताया कि उन्होंने क्यों अपना आधार नंबर पब्लिक डोमेन में साझा किया था और एक बार फिर से उन्होंने अपने आलोचकों का मुंह बंद कर दिया। आर एस शर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस के कॉलम में लिखा, ‘आधार कार्ड को व्यापक रूप से स्वीकार किया जा रहा जिससे उन लोगों पर असर पड़ रहा है जो कर चोरी, बेनामी संपत्तियों और ऐसी अन्य गतिविधियों के द्वारा सिस्टम के साथ छेड़छाड़ करना चाहते हैं। उनका उद्देश्य लोगों में डर पैदा करना हैं ताकि लोग अपने आधार नंबर को साझा करने से डरने लगे और इस तरह वो अपने निहित हितों के खेल को जारी रखना चाहते हैं।‘ सभी को आश्वस्त करते हुए उन्होंने कहा कि, “जैसे मैंने आधार के विवरण को सार्वजनिक किया था उससे स्पष्ट है कि आधार वास्तविक रूप से साझा करना सुरक्षित है इससे कोई निजी जानकारी हैक नहीं हो सकती है। मेरा उद्देश्य इस बहस में शामिल होना था और एक उदहारण स्थापित करना था कि आधार नंबर को साझा करने को लेकर झूठे दावे किये जा रहे हैं। आधार केवल ऑथेंटिकेशन सर्विस के तौर पर काम करता है और ऐसा करते हुये UIDAI को ये नहीं पता होता कि उसे कहां-कहां लिंक किया गया है या यूज किया जा रहा है। दुर्भाग्यवश, आधार के आलोचकों को कड़ा जवाब मिल गया है जो ये कहते हैं कि आधार निजी जानकारी को लीक करता है, इसके अलावा आधार नंबर के चलते EPFO लाभार्थियों का डाटा लीक नहीं हुआ था।”
तथाकथित एथिकल हैकर्स पर तंज कसते हुए TRAI के चेयरमैन आर एस शर्मा ने अपने आधार कार्ड नंबर को साझा करने के पीछे का कारण बताया। उन्होंने लिखा, “जब मैंने अपना आधार कार्ड नंबर सार्वजनिक किया था मैंने किसी को भी अपना आधार नंबर साझा करने का कोई सुझाव नहीं दिया था। इसी चुनौती को बार बार दोहराने का कोई मतलब नहीं है। आखिरकार तथाकथित हैकर्स को जिन्होंने मुझे चुनौती दी थी उन्हें मुझसे जुड़े कुछ डाटा अन्य जानकारियां गूगल सर्च के द्वारा निकाली हैं न कि आधार नंबर से निकाला है। वो UIDAI के सिस्टम को भेदने में नाकामयाब हुए हैं, आपने मेरी ईमेल आईडी हैक करने की कोशिश की और मुझसे जुड़ी कई सर्विस के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की। इनमें से कई सेवाएं उचित सावधानी बरतती हैं और यही वजह है कि वो मुझे आईडी प्रमाणित करने के लिए ओटीपी भेजती हैं। ऐसे में हैकर्स की कोशिशें बेकार साबित हुईं और मेरा समय भी बर्बाद हुआ लेकिन उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं है।”
कुछ लोगों ने उनके अकाउंट में UPI के जरिये कुछ पैसे भी जमा करवाएं हैं और दावा किया है कि उन्होंने उनके बैंक अकाउंट को हैक कर लिया है।
Hi friends! Back from my village. Quick update: Forget about withdrawing money from my A/c, these "Hackers" couldn't even deposit the Re 1! Looks like @TOIIndiaNews, @ZeeNews @Outlookindia @TimesNow need to change their headline! BTW well designed app @NPCI_BHIM @UPI_NPCI. pic.twitter.com/CqU3MScpMv
— Dr. RS Sharma (@rssharma3) July 30, 2018
Some more attempts to deposit money. Note: This was done using my Aadhaar number, not my "leaked" Bank Accounts! Sorry I am not open for bribes. Friends please look up the word "ethical", because this is not it. pic.twitter.com/z47Vy2dvFF
— Dr. RS Sharma (@rssharma3) July 30, 2018
जो लोग ये दावा कर रहे थे कि उन्होंने TRAI के चेयरमैन के डाटा को जान लिया है, वो एनडीटीवी के कार्यकारी संपादक निधि राजदान से बेहतर नहीं है जिन्होंने दावा किया था कि आधार नंबर का खुलासा एक दंडनीय अपराध है। फिर भी, वो एक छोटी सी बात चूक गयीं, अपना आधार नंबर सार्वजनिक करना न करना व्यक्तिगत अधिकार है!
The TRAI Chief thinks that disclosing his Aadhaar number is no big deal. But under the law, such a disclosure invites 3 years in jail. So if it’s not a big deal, why is there a law against it? And how come authorities haven’t acted against Mr. Sharma yet? What a privilege
— Nidhi Razdan (@Nidhi) July 30, 2018
लोगों को उन्हें सही करने की जल्दी थी।
Small point, Nidhi. Disclosing one's own Aadhar number is a right. It is when others disclose it is wrong.
Personal data = Private property.— Madhavan Narayanan (@madversity) July 30, 2018
लेकिन फिर भी वो हार मानने के लिए तैयार नहीं थीं लेकिन लोगों का जवाब उनके लिए पर्याप्त था।
Retweet isn't is a disclosure, its just sharing an info which is already available 😂
— acer (@acc2467) July 30, 2018
इस पूरे एपिसोड से पता चलता है कि आधार कार्ड की आलोचना करने के लिए उदारवादी वामपंथी किस तरह के हत्कंडे अपनाते हैं। आधार को फेल करने की उनकी कोशिश बुरी तरह से फेल हो गयी है।