2019 के आम चुनाव से पहले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान मेंऔर मिज़ोरम, इन चार राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन सभी राज्यों में से राजस्थान बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा अहम है। यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी ने यहां विशेष रणनीति तैयार की है। वहीं, मुख्यधारा की मीडिया के मुताबिक इन चारों राज्यों में से राजस्थान एक ऐसा राज्य है जहां बीजेपी के लिए स्थिति अनुकूल नहीं है। मुख्यधारा की मीडिया राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनावों में बीजेपी की स्थिति को कमजोर चित्रित करने की पूरी कोशिश कर रही है। कांग्रेस पहले से ही आंतरिक मतभेदों से गुजर रही है ऐसे में लुटियंस मीडिया के विपरीत राज्य में विपक्षी पार्टी कांग्रेस की तुलना में बीजेपी की पकड़ काफी मजबूत है और इसके पीछे 5 कारण हैं।
जनता के लाभ वाली नीतियां
कर्ज माफ़ी: राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बांसवाड़ा जिले में अपनी महत्वकांक्षी कर्ज माफी योजना की घोषणा थी। इस कदम से 29 लाख से ज्यादा किसानों को फायदा मिलेगा। इस कर्ज माफी के लिए कुल बजट 8,400 करोड़ रुपये से अधिक है। राजस्थान सरकार द्वारा कर्ज माफी की घोषणा अन्य नीतियों के साथ मिलकर राज्य और केंद्र सरकार को आने वाले चुनावों में निश्चित रूप से लाभ पहुंचाएगी। अभी हाल ही में राज्य में हुए उपचुनाव के नतीजों से तो यही लगता है कि इस योजना से लाभ हुआ है। ये आने वाले आम चुनाव में बड़ी भूमिका निभाएगा।
भामाशाह योजना: मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे सिंधिया ने 15 अगस्त, 2014 को मेवाड़ अंचल के उदयपुर शहर से इस योजना का शुभारंभ किया था। इस योजना का उद्देश्य वित्तीय समावेश, महिला सशक्तिकरण और प्रभावी सेवा वितरण से है। इस योजना के तहत हर परिवार को प्रतिवर्ष सामान्य बीमारियों के लिए 30 हज़ार तथा गम्भीर बीमारियों के लिए 3 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर उपलब्ध करवाया जाता है। योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थी अपना भामाशाह कार्ड अस्पताल प्रशासन को देता है उसके बाद अस्पताल प्रशासन सारी प्रक्रिया की जि़म्मेदारी उठाता है। इस योजना से कई परिवारों को लाभ मिला है। देश में बिमारियों के इलाज के कारण कई परिवारों को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ता है ऐसे में राजस्थान सरकार का ये कदम सराहनीय है। अवश्य ही इस योजना से आने वाले आम चुनावों में बीजेपी को फायदा मिलेगा।
जल स्वावलंबन योजना:
इस योजना की शुरुआत जनवरी 2016 से हुई है। इसका उद्देश्य वर्षा के पानी को बर्बाद होने से बचाना और संरक्षण करना है ताकि लोगों को पानी को लिए दूर न जाना पड़े। इस योजना से प्रदेश के किसान, खेत और पशुपालकों व पशुओं को काफी लाभ मिल रहा है। इस अभियान के तहत बारिश के पानी को सहेज कर जल आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अभियान के पहले चरण में 1270 करोड़ रुपये की लागत से करीब 94 हज़ार निर्माण कार्य किये गए और जल संरचनाओं गांवों में पानी को लेकर आत्मनिर्भरता बढ़ी है।
सहारी जन कल्याण योजना, मुख्यमंत्री पालनहार योजना जैसी कई योजनायें शुरू की जिससे हर वर्ग और स्तर हर क्षेत्र के लोगों को फायदापहुंचा है। ऐसे में मतदाता चुनाव के दौरान वसुंधरा के लिएवोट करने से परहेज नहीं करेंगे।
‘मोदी अस्त्र’ से जीत तय करेगी बीजेपी
वसुंधरा के प्रयास में प्रधानमंत्री मोदी ने भी उनसे हाथ मिला लिया है जिससे राज्य की जीत सुनिश्चित हो सके। बीजेपी के स्टार प्रचारक पीएम मोदी अब राजस्थान में हर महीने में दो रैली करेंगे। इससे पहले भी वो राजस्थान के अमरूद का बाग में रैली कर चुके हैं। उनकी रैली के दौरान भारी तादाद में लोगों की भीड़ देखी गयी थी। राजस्थान में चुनावी सरगर्मियों को देखते हुए बीजेपी ने राजस्थान चुनावों में अपना ब्रह्मास्त्र लॉन्चकरने की एक बार फिर से पूरी तयारी कर ली है।
गुजरात में पीएम मोदी की रैलियों और उनके आक्रामक तेवर ने एक बार फिर से राज्य में बीजेपी को स्थापित किया था। हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवानी की मदद से बनाये हुए जातिवादी समीकरण भी बीजेपी के रथ को रोक नहीं सकी। पीएम मोदी की आखिरी क्षणों में की गयी रैलियों की मदद से बीजेपी अपने घर में जीत दर्ज करने में कामयाब रही थी। इसके बाद कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में भी उनकी लोकप्रियता का असर दिखा था। कर्नाटक के 222 सीटों पर हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। राजस्थान के माहौल को देखते हुए पीएम मोदी वसुंधरा राजे की उपलब्धियों पर प्रकाश डालने के लिए सबसे उचित पब्लिक फिगर हैं।
गहलोत बनाम पायलट
कांग्रेस अपनी ही पार्टी के आंतरिक मतभेदों से परेशान है। कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट कई मुद्दों को लेकर एकमत नहीं है। ये आंतरिक मतभेद राजस्थान में कांग्रेस के मुख्यमंत्री उम्मीदवार को लेकर है जो राज्य में कांग्रेस के सपनों पर ग्रहण लगा सकता है। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य के सीएम पद के उम्मीदवार के लिए अपनी इच्छा व्यक्त की है। वहीं, राहुल गांधी ने अशोक गहलोत को सलाह दी कि वे महासचिव के तौर पर अपनी भूमिका पर ध्यान दें इसके साथ ही उन्हें राजस्थान से दूर रहने की सलाह भी दी। इसके अलावा राहुल गांधी ने राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पालयलट को सीएम पद का उम्मीदवार बनाने के इच्छुक हैं जिससे गहलोत के समर्थकों में आक्रोश है। ऐसे में कांग्रेस का ये आन्तरिक मतभेद सुलझने की जगह और बढ़ गया है जो कांग्रेस के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
राजपूत मतदाता:
राजस्थन में हमेशा से ही राजपूत बीजेपी के समर्थक रहे हैं। हालांकि, 31 जुलाई को हुए गैंगस्टर आनंदपाल के एनकाउंटर (एक स्थानीय राजपूत नायक) और पद्मावत फिल्म की वजह से राजपूत मतदाताओं में बीजेपी के खिलाफ थोड़ी नाराजगी जरुर थी लेकिन अगर अगर गहराई में जाकर देखें तो आज भी राजपूत मतदाता आधार का झुकाव बीजेपी की ओर है। अगर हम बारीकी से विश्लेषण करें तो पातें हैं कि राजपूतों ने कांग्रेस का समर्थन इसलिए किया था क्योंकि अजमेर में बीजेपी उम्मीदवार जाट थे और राजस्थान में दो जाति समूह के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं। कांग्रेस का उम्मीदवार एक ब्राह्मण था। ऐसे में राजपूतों ने जाट को वोट देने की बजाय कांग्रेस के ब्राह्मण उम्मीदवार को चुना था। अलवर और मंडलगढ़ में पद्मावत विवाद के बावजूद राजपूत समुदाय ने बीजेपी को बढ़त मिली था। इससे स्पष्ट है कि राजपूत उम्मीदवार के अनुसार ही मतदान करते हैं। राजस्थान के उपचुनाव में बीजेपी की हार के पीछे और भी कई कारक थे। बीजेपी की खराब रणनीति, ढीला रवैया भी पार्टी की हार के पीछे की मुख्य वजहों में से एक था। हालांकि, इस बार भारतीय जनता पार्टी कोई भी रिस्क नहीं ले रही है ऐसे में एक चीज स्पष्ट है कि राजपूत का झुकाव बीजेपी के पक्ष में ही रहने वाला है।
एक राष्ट्र एक चुनाव:
यदि राजस्थान में विधानसभा चुनाव आम चुनावों के साथ होते हैं तो निश्चित रूप से इसमें बीजेपी की ही जीत होगी क्योंकि इस मामले में वसुंधरा राजे नहीं बल्कि मोदी बनाम राहुल की लड़ाई होगी। ऐसे में पीएम मोदी की लोकप्रियता को देखते हुए राहुल की हार होनी तय है।
मुख्यधारा की मीडिया के विपरीत देश के शीर्ष राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक राज्य में बीजेपी अभी भी मजबूत स्थिति में है। कांग्रेस राजस्थान में बीजेपी को कड़ी चुनौती देने की पूरी कोशिश कर रही है लेकिन बीजेपी अपनी रणनीति से उसकी सभी कोशिशों पर पानी फेर देगी।