बॉलीवुड में कई ऐसी फिल्में देखने को मिलती हैं जिनमें समाज की सच्चाई से ज्यादा उन मुद्दों पर जोर दिया जाता है जो सांप्रदायिक या किसी विशेष समुदाय से जुड़ा हो। बॉलीवुड में फिल्में सामाजिक विषयों पर ज़रूर बनी हैं लेकिन बहुत कम ही फिल्में वास्तव में समाज को सच दिखाती हैं बाकी फिल्मों में सिर्फ पब्लिसिटी और फिल्म की कमाई बढ़ाने के लिए जाति, धर्म का सहारा लिया जाता है। हाल ही में अभिनव सिन्हा द्वारा निर्देशित फिल्म मुल्क में भी कुछ ऐसा ही किया गया और इसके जरिये बॉलीवुड में ‘हिन्दूफोबिया’ को बढ़ावा दिया गया है।
अक्सर ही बॉलीवुड के सितारे अपनी फिल्म के रिलीज़ होने से पहले उसके प्रमोशन के लिए कई सामाजिक प्रचार करते हैं। फिल्म के रिलीज़ से पहले वो समाजसेवक बन जातें और फिल्म के प्रमोशन के लिए रंग-रूप तक बदल लेते हैं और आम जनता के बीच जाकर उनके हितैषी बन जाते हैं। सोशल मीडिया पर अपने फिल्म के प्रमोशन के लिए एक विशेष वर्ग को लुभाने से भी पीछे नहीं हटते। ऐसा ही कुछ फिल्म मुल्क की टीम ने भी किया। इसके मुख्य कलाकारों ने फिल्म के प्रमोशन के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। फिल्म मुल्क से जुड़े ट्वीटस को सभी ने देखा था जिसने स्पष्ट रूप से फिल्म की टीम के ढोंग को दर्शाया है और ऐसा ही दिखावा कठुआ मामले में भी सामने आया था:
फिल्म पिंक की तरह ही तापसी पन्नू ने एक बार फिर से फिल्म को प्रमोट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और अपनी फिल्म मुल्क की सफलता को सुनिश्चित करने के लिए वो नफरत की राजनीति में शामिल हो गयीं थी , उनका साथ दिया था निर्माता निर्देशक अनुभव सिन्हा ने।
Aarti Malhotra or Aarti Mohammed. Does it make a difference????#MYMULK pic.twitter.com/920WtaNfcF
— taapsee pannu (@taapsee) July 17, 2018
इन प्रमोशनल स्टंट्स के जरिये फिल्म ‘मुल्क’ की टीम ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस किये जहां ‘भारत में मुस्लिमो के प्रति दुराभाव’ को दर्शाने की भरसक कोशिश भी के गयी। फिल्म को सफल बनाने के लिए फिल्म में इस्लामोफोबिया जैसे विवादास्पद विषय को दिखाया गया। इस फिल्म को देखकर ऐसा लगता है जैसे मानो इसे अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण और हिन्दुओं को लताड़ने के लिए बनाया गया था। इस फिल्म के जरिये राईट विंग को भड़काने की भी खूब कोशिश की गयी थी, हालांकि, अधिकतर राईट विंग सोशल मीडिया योद्धा अपनी परिपक्वता का परिचय देते हुए शांत रहे और फिल्म के रिलीज़ के एक हफ्ते के बाद मुल्क की टीम को सबक भी मिल गया है। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हो पायी। फिल्म का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा।
मुल्क सप्ताह के अंत तक में सिर्फ 11.3 करोड़ रुपये ही कमा पायी थी। सिर्फ खराब ही नहीं बल्कि ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से मुंह के बल गिर पड़ी, निर्देशक और मुल्क के अभिनेताओं की राईट विंग को भड़काने की कोशिशें नाकाम रहीं और फिल्म की पब्लिसिटी के लिए की गयी कोशिशें भी व्यर्थ साबित हुईं।
वैसे भी बॉलीवुड के लिए ये कोई नई बात नहीं है। बॉलीवुड के सितारे अपनी फिल्म के रिलीज़ होने से पहले उसके प्रमोशन के लिए कई सामाजिक प्रचार करते हैं। उड़ता पंजाब का प्रमोशन इसका बढ़िया उदाहरण है। इस फिल्म के चार मुख्य अभिनेताओं ने ड्रग विरोधी अभियान के खिलाफ लड़ने वाले योद्धा बन गए और ड्रग से जुड़े खतरे के बारे में लोगों को जागरूक कर रहे थे। जब पहलाज निहलानी की अध्यक्षता वाली सेंसर बोर्ड कमेटी ने फिल्म के 13 सीन पर कट लगाने का आदेश दिया था तब सभी इसकी आलोचना कर रहे थे।
हालांकि, जब फिल्म रिलीज़ हो गयी थी और वो अपने लक्ष्य में सफल हो गए इसके बाद दिलजीत सिंह दोसांझ को छोड़कर, फिल्म के बाकी अभिनेता मतलब शाहिद कपूर, आलिया भट्ट और करीना कपूर जैसे इस समस्या को भूल ही गए और ड्रग से जुड़ी समस्याओं के खिलाफ अपने प्रयास भी बंद कर दिए, ऐसे में क्या उनकी कोशिशें सिर्फ अपने लाभ तक के लिए सीमित थीं?
हाल ही में ‘वीरे दी वेडिंग’ में भी यही देखा गया था। स्वरा भास्कर, सोनम कपूर और करीना कपूर खान जैसी अभिनेत्रियों द्वारा प्लाकार्ड अभियान क्या था? इन अभिनेत्रियों ने जानबूझकर ‘हिंदुस्तान’ और ‘देव स्थान’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था और पूरे हिन्दू समुदाय को अपराधी के रूप में उद्धृत किया था। किस उद्देश्य से? सिर्फ अपनी आने वाली नई फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ के प्रमोशन के लिए जिससे उन्हें पर्याप्त पब्लिसिटी मिल सके। दुःख की बात ये है की इनका प्रमोशन काम कर गया और फिल्म ने अच्छी कमाई भी की, वरना ऐसे औसत दर्ज़े की फिल्म का चलना नामुमकिन ही था! ऐसा ही कुछ आमिर खान की फिल्म पीके में भी देखने को मिला था जहाँ राइट विंग योद्धाओं ने इसकी इतनी आलोचना की जिन्हे नहीं भी देखना था वो भी देख आये!
फिल्म मुल्क के पुरे एपिसोड का मतलब तो यही है कि राईट विंग को भी सीख मिल गया है खासकर उन्होंने फिल्म को लेकर भाईचारा के ढोंग के पाठ को भी समझ लिया है। वीरे दी वेडिंग, पीके जैसी फिल्मों को लेकर राईट विंग ने विरोध किया था जिससे इन फिल्मों को पब्लिसिटी मिली थी जिससे इन फिल्मों को फायदा पहुंचा और ये सफल भी हुईं लेकिन, मुल्क पर राईट विंग शांत रहा और ‘मुल्क’ को इस वजह से उतनी पब्लिसिटी नहीं मिल पायी थी और आखिर में ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बेहतर प्रदर्शन करने में असफल हुई।