“मैं किसी भी तरह के हिंदुत्व में विश्वास नहीं रखता चाहे वो नरम हिंदुत्व हो या फिर कट्टर हिंदुत्व।“ ये शब्द राहुल गांधी के हैं जो उन्होंने हैदराबाद में मंगलवार को संपादकों के साथ बातचीत के दौरान कहे। राहुल गांधी ने अंततः ये सार्वजनिक तौर स्वीकार कर लिया है कि कांग्रेस पार्टी का हिंदुत्व से कोई नाता नहीं है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हिंदुत्व में यकीन नहीं करते तो गुजरात और कर्नाटक के विधानसभा चुनाव के दौरान उनका मंदिरों जाकर दर्शन करने के क्या मायने थे?
राहुल गांधी का कहना है कि धार्मिक नेताओं से उनकी मुलाकात और धार्मिक स्थलों पर जाने में कुछ गलत नहीं है। ठीक है राहुल गांधी का कहना सही है धार्मिक स्थलों पर जाने में कुछ गलत नहीं है लेकिन सिर्फ चुनाव के दौरान ही आपको धार्मिक नेता और धार्मिक स्थल का दौरा क्यों याद आता है? गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान जब सोमनाथ मंदिर में दर्शन के दौरान एंट्री रजिस्टर में राहुल गांधी का नाम गैर-हिंदू के रूप में दर्ज होने पर सियासी घमासान मचा था तब गुजरात पार्टी के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि, “राहुल गांधी जी सिर्फ हिंदू नहीं हैं, बल्कि वह जनेऊधारी हिंदू हैं।“ ऐसे में ये सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी का जनेऊ, अविश्वास प्रस्ताव के दौरान आरएसएस और बीजेपी से शिव शक्ति का ज्ञान लेना, मंदिर दर्शन सब दिखावा है? राहुल गांधी का भाषण इन सभी सवालों के जवाब बखूबी देते हैं।
दो दिवसीय हैदराबाद दौरे के दूसरे दिन राहुल गांधी ने दावा करते हुए कहा कि, “नरेंद्र मोदी 2019 में प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे।” उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी की ही सरकार बनेगी शायद इस दावे के पीछे की वजह भी उनका धर्म को लेकर राजनीति करना ही है। जिस पार्टी ने दशकों तक तुष्टिकरण की राजनीति की हो उस पार्टी और उसके नेता अब समझ चुके हैं कि किसी विशेष धर्म के बल पर वो अब सरकार नहीं बना सकते यही वजह है कि अब वो हिंदू धर्म को लुभाने के लिए मंदिर में जातें हैं धार्मिक गुरुओं से मिलते हैं। उनके इस रुख से कुछ लोगों को लगने लगा कि कांग्रेस पार्टी ने तुष्टिकरण की राजनीति छोड़ दी है लेकिन इसके पीछे की सच्चाई तो कुछ और ही है। हिंदी में एक कहावत है, “कौवा चला हंस की चाल और अपनी चाल भी भूल बैठा” ये कहावत कांग्रेस पार्टी और उनके नेताओं पर बिलकुल फिट बैठती है। पीएम मोदी देश में विकास को बढ़ावा दे रहे हैं लेकिन राहुल गांधी ने इसे भगवाकरण की राजीनीति समझ कर तुष्टिकरण की राजनीति को कुछ देर छोड़कर मंदिरों में दर्शन करने जाने लगे। कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति ही वर्ष 2014 में कांग्रेस की हार की मुख्य वजह थी और आने वाले सभी चुनावों में पार्टी को लगातार हार मिलती रही। शायद यही वजह है अब कांग्रेस अध्यक्ष हिंदुओं को लुभाने के लिए कोशिश में जुटे हैं लेकिन उनकी कोशिश विफल हो रही है।
लगातार मिलती हार से हताश कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हंस की चाल चलते हुए अपनी तुष्टिकरण की राजनीति को कुछ देर छोड़कर अब हिंदुओं को लुभाने में व्यस्त हो गये लेकिन कब तक पार्टी अपनी असली पहचान छुपाती ? अक्सर ही कई मौकों पर पार्टी की तुष्टिकरण की राजनीति जो दशकों से इस पार्टी की परंपरा रही है वो सामने आ ही जाती है।
बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दोहरे रवैये को सामने रखते हुए कहा कि “राहुल का जनेऊ सिर्फ़ दिखावा है, आज जिस प्रकार से राहुल ने हिंदुत्व के बारे में अपनी बात रखी, उससे तो यही कहा जा सकता है कि राहुल इच्छाधारी हिंदू हैं। यानी जब मौक़ा आया तो हिंदू बन जाते हैं। राहुल इसलिए मंदिर नहीं जाते कि उनकी आस्था है, बल्कि इसलिए जाते हैं कि उन्हें इनविटेशन मिला है।” इसके साथ ही संबित पात्रा ने देश की सबसे पुरानी पार्टी को बेनकाब करते हुए कहा, “राहुल आपका इतिहास कहता है कि आप हिंदुत्व पर विश्वास नहीं करते। हिंदू आतंकवाद भी आपकी पार्टी का ईजाद किया हुआ है। हमारा सवाल है कि क्या आप हिंदुओं से घृणा करते हैं?”
संबित पात्रा का कहना सही भी है राहुल गांधी धर्म की राजनीति करते हैं और उनकी पार्टी हमेशा से यही करती आयी है। अपनी पार्टी की परंपरा को राहुल गांधी आगे बढाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। उनका मंदिरों में दर्शन करने जाना और अचानक से ‘हिंदू आतंकवाद’ को बढ़ावा देने वाली पार्टी के अध्यक्ष का ‘शिव भक्त’ बन जाना स्पष्ट करता है कि कांग्रेस और उसके नेता अपने एजेंडा के लिए कुछ भी कर सकते हैं। राहुल गांधी राजनीतिक लाभ पाने के लिए हर सम्भव कोशिश कर रहे हैं यहां तक कि वो दिखावे के लिए जनेऊ भी धारण करते हैं। भगवा आतंक की रचयिता कांग्रेस पार्टी अब बहुसंख्यक को लुभाने के हर संभव कोशिश कर रही है और राहुल गांधी उनका नेतृत्व कर रहे हैं।
वास्तव में कांग्रेस और उसके नेताओं ने हमेशा ही हिंदू धर्म को उपेक्षा की नजरों से देखा है और हेमशा ही अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष रूप से बहुसंख्यक समुदाय पर हमले किये हैं और अल्पसंख्यक को हमेशा हिंदुओं द्वारा पीड़ित दिखाया है। यहां तक कि तृष्टिकरण के लिए इस पार्टी ने देश की सुरक्षा तक को ताक पर रख दिया था। राहुल गांधी ने कहा था ‘कांग्रेस एक मुस्लिम पार्टी है” और उनका हिंद्त्व को लेकर दिया गया बयान उनके दोहरे रवैये को दर्शाता है उनके धर्म की राजनीति को दर्शाता है।