तूतीकोरिन में वेदांता समूह के स्टरलाइट कॉपर प्लांट के खिलाफ चलाए गये अभियान के बाद इस संयत्र को बंद करवाना पड़ा था। इस प्लांट में बनने वाला कॉपर देश के तांबा उद्योग में 40 फीसदी का योगदान करता है और ये भारत का दूसरा सबसे बड़ा कॉपर बनाने वाला प्लांट है। इस प्लांट के खिलाफ चले विरोध के बाद इसे बंद करना पड़ा था। जुलाई में वीरोध प्रदर्शन के बाद तमिलनाडु के थूथुकुड़ी जिले के मछुआरों ने दावा किया था कि 22 मई को हुई हिंसा से उनका कोई लेना देना नहीं था। थूथुकुड़ी में थेरेसा पुरम के एक मछुआरों ने खुलेआम घोषणा करके कहा था कि गांव के युवाओं को वामपंथी समूह, मक्कल अधिक्रम के वकीलों द्वारा उकसाया गया था। मछुआरों ने इस संबंध में जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण को लिखित याचिका भी सौंपी थी। इस बार भी कुछ ऐसा ही सच सामने आया है और कई अज्ञात लोगों ने दावा किया है कि स्टरलाइट कॉपर प्लांट के खिलाफ हुई हिंसा का जो भी लोग नेतृत्व कर रहे थे उन्हें 50 लाख रुपये का लाभ मिला है।
Ground report from Tuticorin! Affected villager accuses the local anti #Sterlite lead Mahesh on suspicious huge financial transactions! Who benefited nearly 50lakhs for the protest.
பிரியாணி சப்ளை பன்னவன் அடுத்த போராட்டத்துக்கு போய்டா.
நீ? யோசி மயிரு டுமில்👊👊#ReOpenSterlite pic.twitter.com/lsEw7a70QD
— Subash_இனி (@swamisaranamm) September 25, 2018
स्टरलाइट कॉपर प्लांट के बंद होने से तूतीकोरिन के आसपास के कई गांव प्रभावित हुए हैं और गांव के लोगों ने आरोप लगाया है कि जो लोग इस विरोध में शामिल थे उनके पास अचानक से लाखों रुपये आ गये हैं। जहां नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) पैनल तीन सदस्यों से युक्त थे वहां मौजूद एक अज्ञात व्यक्ति ने मीडिया और एनजीटी पैनल के समक्ष कहा, “क्या आप जानते हैं कि स्टरलाइट विरोधी अभियान के नेतृत्व में महेश ने पैसे कमाए हैं? उन्हें 50 लाख रुपये मिले हैं (जो स्टरलाइट विरोधी अभियान के पीछे थे)। 50 लाख रुपये में से उसने मुथम्मा कॉलोनी में 22 लाख रुपये का एक घर खरीदा है। उसने ये घर कैसे खरीदा? उसने पैसों के लिए स्टरलाइट विरोधी अभियान में शामिल था। उसने 4.5 लाख की चार खरीदी है। उसे इतने पैसे कैसे मिले? उसने हमारी आजीविका को बर्बाद कर दिया है। यहां तक कि वो पहला व्यक्ति है जिसने एनजीटी पैनल में याचिका दी थी”। ऐसे कई लोग हैं जो इस प्लांट के बंद होने से काफी प्रभावित हुए हैं और वो सभी पानी की कमी और भूख दोनों से मर रहे हैं। स्टरलाइट कॉपर प्लांट को एक बार फिर से खोलना चाहिए।
विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों के खिलाफ लगे ये आरोप काफी गंभीर है। इस विरोध प्रदर्शन ने गांव के लोगों की आजीविका छीन ली। स्टरलाइट प्लांट के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में 13 लोगों की मौत हुई थी और इसका ठीकरा मोदी सरकार पर फोड़ने की कोशिश की गयी थी। एनजीटी द्वारा स्टरलाईट कॉपर प्लांट को बंद करने के तमिलनाडु सरकार के आदेश के खिलाफ स्टरलाईट की याचिका पर विचार करने के लिए एक स्वतंत्र कमेटी का गठन करने के आदेश दिया था जिसके बाद मेघालय हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस तरुण अग्रवाल के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन हुआ था और उन्हें इस मामले में अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है। ये कमेटी फिलहाल इस मामले में स्थानीय लोगों की राय सुन रही है। अभी तक स्टरलाईट कॉपर प्लांट के बंद होने के खिलाफ अब तक पैनल को 45,000 से अधिक याचिकाएं मिली हैं जो इस प्लांट को दोबारा शुरू करने की मांग कर रहे हैं। धीरे-धीरे इस विरोध के पीछे का सच अब बाहर आ रहा है उम्मीद है कि आने वाले वक्त में जल्द ही ये मामला सुलझ जाए और वहां के लोगों को न्याय मिले।