मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एससी-एसटी एक्ट को लेकर प्रदेश में चल रहे विरोध-प्रदर्शन को देखते हुए बड़ा फैसला लिया है जिसने विपक्ष के नोटा अभियान को बड़ा झटका दे दिया है। उन्होंने अपने फैसले में कहा है कि राज्य में जांच के बाद ही एससी-एसटी एक्ट के तहत गिरफ्तारी होगी और न ही इस एक्ट का दुरुपयोग होगा।
एमपी में नहीं होगा SC-ST ऐक्ट का दुरुपयोग, बिना जाँच के नहीं होगी गिरफ़्तारी।
— Shivraj Singh Chouhan (मोदी का परिवार ) (@ChouhanShivraj) September 20, 2018
गौर हो कि एससी-एसटी एक्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च 2018 को अपने फैसले में त्वरित गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी और गिरफ्तारी से पहले आरोपों की जांच को जरुरी बताया था। सीके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के अपने आदेश में कहा था कि FIR दर्ज करने से पहले DSP स्तर का पुलिस अधिकारी मामले में प्रारंभिक जांच करेगा। सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से नाराज़ दलित संगठनों जमकर इसका विरोध किया था इसके साथ ही हिंसा भी हुई थी। इसके बाद दलित समुदाय को शांत करने के लिए केंद्र सरकार ने एससी-एसटी एक्ट को पुराने मूल स्वरूप में लाने के लिए संशोधन करने का फैसला किया था। इसके बाद केंद्र की मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी अधिनियम में किए गए बदलावों को बदल दिया जिससे सवर्ण समूह में सरकार के खिलाफ रोष बढ़ गया है। सवर्ण समूह को भड़काने के पीछे भी विपक्ष की रणनीति है।
मोदी सरकार को हटाने के उद्देश्य में जुटी विपक्ष की मंशा सिर्फ अपना राजनीतिक हित है न कि जनता का हित। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार पर हमला साधा था कि वो दलित विरोधी पार्टी है और वर्तमान सरकार में दलित समुदाय खतरे में है। इसके साथ ही विपक्ष ने दलित संगठन को भड़काने का भी काम किया था यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर गुमराह करने वाली खबरों को भी बढ़ावा दिया गया। दलित संगठन में भारी विरोध को देखते हुए जब केंद्र सरकार ने इसे पुराने एक्ट को मूल स्वरूप में लाने का फैसला किया तो भी विपक्षी पार्टियों ने इस बदलाव को लेकर बीजेपी को सवर्ण विरोधी पार्टी के रूप में चित्रित करना शरू कर दिया और सवर्ण समूह को मौजूदा सरकार के लिए भड़काना शुरू कर दिया। केंद्र सरकार द्वारा मानसून सत्र में अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदल दिए जाने के बाद दलित संगठनों में तो संतोष की स्थिति बन गयी लेकिन सवर्ण समाज के कई तबकों में इसका विरोध शुरू हो गया है। सवर्ण समूह को भड़काने के पीछे भी विपक्षी पार्टियों का ही हाथ था जो मोदी सरकार के खिलाफ रोष पैदा कर देश की जनता को इस बार नोटा का विकल्प चुनने के लिए अभियान चला रही हैं।
हालांकि, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष की इस रणनीति पर पानी फेर दिया है। उन्होंने कहा, “एमपी में नहीं होगा SC-ST एक्ट का दुरुपयोग, बिना जांच के नहीं होगी गिरफ़्तारी।” मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के इस कदम एससी/एसटी एक्ट में संशोधन को लेकर सवर्ण समूह की नाराजगी खत्म हो जाएगी जिससे प्रदेश में चल रहा विरोध प्रदर्शन भी शांत हो जायेगा। स्पष्ट रूप से विपक्ष की सभी रणनीतियों पर पानी फिर जायेगा जो केंद्र सरकार के फैसले के जरिये मोदी सरकार के खिलाफ लोगों गुस्सा पैदा करना चाहती था। चूंकि केंद्र और मध्य प्रदेश दोनों जगह बीजेपी की सरकार है इसलिए विपक्षी पार्टियां जनता को भड़काने का भरसक प्रयास कर रही हैं जिससे वो मध्य प्रदेश के विधान सभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में इसका लाभ उठा सकें।
हालांकि, शिवराज सिंह चौहान ने गिरफ्तारी स से पहले जांच की घोषणा करके विपक्ष द्वारा चलाए जा रहे नोटा अभियान को 2019 के आम चुनाव से पहले ही जोर का झटका दे दिया है