योगी आदित्यनाथ जबसे सत्ता में आये हैं उन्होंने प्रदेश की कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कई सख्त कदम उठाये हैं। ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश की पुलिस भी अपने पुराने अंदाज को छोड़ कर सही ट्रैक पर आ गयी है तभी तो प्रदेश में कानून को हलके में लेने वालों के खिलाफ पुलिस का डंडा बोल रहा है और आये दिन अपराधियों को सलाखों के पीछे भेज रही है।
प्रदेश पुलिस की फुर्ती का एक और उदाहरण सामने आया है जिसमें एक महिला ने अपनी ही मौत की झूठी कहानी बुनी और अपने ही पति को जेल की सलाखों के पीछे डलवा दिया था और इस पूरे प्रकरण में महिला का पिता भी शामिल था। जब मामला सामने आया तो पुलिस ने आरोपी महिला और उसके पिता के खिलाफ कार्रवाई की। ये मामला बाराबंकी के सफदरजंग का है जहां लड़की के पिता हरिप्रसाद राहुल और उसके परिवार के खिलाफ अपनी बेटी की हत्या के लिए प्राथमिकी दर्ज करवाई थी जिसके बाद पुलिस ने शिकायत अनुसार राहुल और उसके परिवार को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था।
इस मामले के अनुसार साल 2016 में राहुल और रूबी की शादी हुई थी। जून 2018 को रूबी के पिता हरिप्रसाद के दबाव देने पर स्थानीय पुलिस ने रूबी के पति के खिलाफ हत्या, दहेज़, उत्पीड़न का मामला दर्ज किया था। यूपी पुलिस ने जब इस मामले की जांच की तो रूबी का शव न मिलने पर इसे दर्ज नहीं करने का फैसला किया लेकिन हरिप्रसाद ने स्थानीय कोर्ट का रूख किया और पुलिस पर मामले को दर्ज करने के लिए कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया। इसके बाद पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी।
इस मामले में नया मोड़ तब आया जब यूपी पुलिस को जांच में रूबी सही सलामत मिली। बाराबंकी के एसपी वीपी श्रीवास्तव के मुताबिक, “जब रूबी के पिता ने हमसे संपर्क कर बेटी की हत्या के लिए दामाद राहुल को जिम्मेदार ठहराया था तो हमने मामले की जांच की थी, लेकिन मृतका का शव नहीं मिल सका था, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद एफआईआर दर्ज की गई तो हमने मामले की फिर से जांच शुरू कर दी। अपनी जांच में हमने पाया कि मृतका रूबी की फेसबुक आईडी एक्टिव है।“
यूपी पुलिस ने अपने बयान में आगे कहा, “जब हमें पता चला कि रूबी की फेसबुक आईडी एक्टिव है तो हमने उसके दो महीने के फुटप्रिंट ट्रैक किए और उसके फोन को सर्विलांस पर रख दिया।“ कानून को अपने प्रयासों में आखिरकार सफलता मिली और जांच में सामने आया कि ‘मर चुकी रूबी’ वास्तव में जीवित है और वो दिल्ली में रामू नाम के एक शख्स के साथ रह रही है। पुलिस ने बिना देरी किये अपनी एक टीम को दिल्ली भेजा और रामू और रूबी दोनों को ही गिरफ्तार कर लिया।
मामले के खुलासे के बाद पुलिस ने राहुल और उसके परिजनों के खिलाफ दर्ज एफआईआर हटा दिया और रूबी के पिता के खिलाफ धारा 182 के तहत कोर्ट को गुमराह करने का मामला दर्ज कर लिया है। ये मामला दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था में किस तरह से बदलाव आया है। पुलिस ने मामले की तह तक जाकर आरोपी पिता और पुत्री को गिरफ्तार कर निर्दोष राहुल को बरी कर दिया, पुलिस प्रदेश में बेहतरीन काम कर रही है और राज्य सरकार भी ये सुनिश्चित कर रही है कि निर्दोष के साथ अन्याय न हो।
इसके लिए हमे सोशल मीडिया को भी धन्यवाद देना चाहिए जिसकी वजह से महिला का झूठ सामने आ पाया। अगर सोशल मीडिया पर रूबी की फेसबुक आईडी नहीं होती तो निर्दोष परिवार उस गुनाह के लिए सजा काट रहा होता जो उन्होंने किया ही नहीं था। यूपी पुलिस को भी उनके प्रयासों के लिए सैल्यूट करना चाहिए जिसने इस मामले में फुर्ती दिखाकर इस पूरे मामले का सच सामने रखा है और आरोपी को जेल की सलाखों में कैद किया।