लंबे समय से इलाहाबाद के नाम को फिर से प्रयागराज करने की मांग उठ रही थी आखिरकार काफी विरोध के बावजूद यूपी सरकार से इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गयी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंगलवार को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इलाहाबाद शहर का नाम प्रयागराज किए जाने के प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लगा दी गयी। अब इलाहाबाद को प्रयागराज के नाम से जाना जायेगा जाहिर ये विपक्षी पार्टियां इसका कड़ा विरोध करने वाली हैं। एक बार फिर से उन्हें एक मुद्दा जो मिल गया जिसे लेकर वो वर्तमान की यूपी सरकार पर निशाना साध सकेंगी और धर्म की राजनीति का आरोप मढ़ने वाली हैं।
अर्ध कुंभ मेले से पहले ही इलाहाबाद के नाम को उसके पुराने नाम से बदल दिया गया है। भले ही विपक्षी पार्टियां आज इसे लेकर विरोध कर रही हैं लेकिन पौराणिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए काफी लंबे समय से इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने की मांग उठती रही है। बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ से पहले साल 2001 में जब मौजूदा यूपी के सीएम राजनाथ सिंह ने इलाहाबाद के प्रयागराज के नाम रखने की कोशिश की थी, लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो पाए थे। हालांकि, सीएम योगी ने वादा किया था कि वो इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करेंगे और उन्होंने आज अपना वादा पूरा कर दिया है।
उत्तर प्रदेश की न्यायिक राजधानी इलाहाबाद है और हमेशा से ही ये महत्वपूर्ण शहरों में से एक रहा है और इसके पीछे कई कारण हैं। इसका प्राचीन नाम प्रयाग था जो फिर से शहर को वापस मिल गया है। इसे ‘तीर्थराज’ (तीर्थों का राजा) भी कहते हैं। वाराणसी के बाद इलाहाबाद भारत का दूसरा प्राचीनतम बसा नगर है। हिंदू धर्म में इलाहबाद का महत्वपूर्ण स्थान है। परंपरागत तौर पर नदियों का मिलन बेहद पवित्र माना जाता है और इलाहबाद में तो गंगा, यमुना और सरस्वती का अद्भुत मिलन होता है। यहां प्रत्येक 12 वर्ष पर कुंभ मेला और छह वर्ष पर अर्ध कुंभ मेले का खास महत्व है। कुंभ को लेकर कई पौराणिक कथाएँ भी प्रचलित हैं। रामचरित मानस में इस शहर को प्रयागराज ही कहा गया है।
दरअसल, अकबर ने इस शहर का नाम प्रयागराज से बदलकर इलाहाबाद रखा था और यहां एक नया शहर बसाया था। अब सीएम योगी ने अतीत में आक्रमणकारियों द्वारा की गयी गलतियों को सुधारकर सभी को उनके मूल रूप से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि उन्होंने एक बार फिर से इलाहाबाद का नाम प्रयागराज कर दिया है जिससे इस शहर की खोई हुई सांस्कृतिक और प्रशासनिक गरिमा फिर से स्थापित हो गयी है। गोरखपुर से संसद के सदस्य रहते हुए भी सीएम योगी ने अपने कार्यकाल के दौरान ऐसे कई बदलाव किए थे। गोरखपुर में मिया बाज़ार का नाम बदलवाकर उन्होंने माया बाजार करवाया था। इसी प्रकार उर्दू बाजार का नाम बदलकर उन्होंने हिंदी बाजार रखा था। उन्होंने अली नगर बाजार का नाम बदलकर आर्य बाजार रखा था। उत्तर प्रदेश के चुनाव के दौरान इंडिया टीवी को दिए एक इंटरव्यू में स्पष्ट किया था कि वो इस तरह के बदलाव करना जारी रखेंगे। उन्होंने अपने इंटरव्यू में ऐसा करने के पीछे की वजह को समझाया भी था और कहा था कि वास्तव में कुछ बदला नहीं है बल्कि वो इतिहास के आधार पर उन्हें अपनी मूल पहचान देने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास में देखें तो आप पाएंगे कि इन सभी जगहों का नाम बाहरी शक्तियों द्वारा बदले गये थे और अब वो इन जगहों का नाम बदलकर बस अपने कर्तव्य का निर्वाह कर रहे हैं और उन्हें उनकी मूल पहचान दे रहे हैं। किसी को भी इन बदलावों से कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।
इस प्रकार सीएम योगी वही कर रहे हैं जो उन्होंने चुनाव से पहले वादा किया था। वो आलोचनाओं से पीछे नहीं हटें और अपनी बातों पर अमल कर रहे हैं। उन्होंने अपनी घोषणा के अनुसार इलाहाबाद का नाम बदलकर फिर से प्रयागराज रख दिया है। सीएम योगी अतीत में आक्रमणकारियों द्वारा किये गये बदलावों को पुनः स्थापित कर रहे हैं जाहिर है इसमें उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा लेकिन वो अपने वादों पर अडिग हैं। स्पष्ट है कि वो अपने इन प्रयासों से राज्य को उसके मूल जड़ों से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।