पिछले कुछ समय में भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल में अपनी स्थिति में काफी सुधार किया है। जमीनी स्तर पर अपनी अपनी पकड़ को मजबूत किया है। राज्य में बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ हुई हिंसक घटनाओं और हत्याओं के बावजूद भारतीय जनता पार्टी राज्य में ममता के स्वायत्तता को चुनौती दे रही है। साल 2014 के बाद से बीजेपी ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के समक्ष मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभरी है। कुछ समय पहले संपन्न हुए पंचायत चुनावों में कम्युनिस्ट और कांग्रेस दोनों पार्टियों को पीछे छोड़कर बीजेपी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। पार्टी के वोट शेयर में भी उल्लेखनीय सुधार देखा गया था। ऐसे में इसे 2019 के चुनावों के सीटों के रूप में देखा जा सकता है। अगले साल लोकसभा चुनाव में पार्टी का उद्देश्य 42 में से कम से कम 25 सीटें जीतने का है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने दावा करते हुए कहा भी कि अब बंगाल में लोग बीजेपी को तृणमूल के विकल्प के रूप में देख रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय जनता पार्टी कभी मुसलमानों के खिलाफ नहीं रही बल्कि उन लोगों के खिलाफ रही है जो बाहरी सीमाओं से आकर हमारी भूमि में घुसपैठ कर रहे हैं।
अब तक पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने हिंदू-विरोधी राजनीति की है ऐसे में बीजेपी के लिए ये राज्य से ममता की सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए एक बढ़िया अवसर है। एनआरसी के मुद्दे पर ममता का गैर-जिम्मेदाराना और राष्ट्र –विरोधी रवैया और अवैध बंगलादेशी अप्रवासियों के प्रति उनकी सहानुभूति ने बीजेपी को राज्य में अपनी पकड़ को और भी ज्यादा मजबूत करने का अवसर दे दिया है।
अब भारतीय जनता पार्टी को टीएमसी की एक और कमजोरी का पता चल गया हो। खबरों की मानें तो ममता के मूल मतदाता आधार मुस्लिम उनसे नाराज चल रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मौजूदा सरकार जिन मुस्लिमों पर काफी भरोसा करती है वही ममता के रुख से थोड़ा नाराज चल रहे हैं। दरअसल, हाल ही में हिंदुओं को लुभाने के लिए ममता बनर्जी ने राज्य की छोटी-बड़ी करीब 28 हजार दुर्गा पूजा कमेटियों को 10-10 हजार रुपये अनुदान देने की घोषणा की थी। जिसका मतलब ये है कि उन्होंने राज्य में दुर्गा पूजा के आयोजन के लिए पूजा समितियों को कुल 28 करोड़ रुपये का वित्तीय अनुदान दिया था। उनकी इस घोषणा से मौलवी नाराज हो गये थे। नाराज मुस्लिम समुदाय ने सडकों पर उतरकर ममता सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था और राज्य सरकार से मांग की कि उन्हें भी मिलने वाले वजीफे को बढ़ा कर 10 हजार रुपये किया जाए। नाराज मौलवियों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मांग की थी कि वो उन्हें मिलने वाले स्टाइपेड को 2500 से बढ़ाकर 10 हजार रुपये कर दें। यही नहीं मौलवियों और मुस्लिम विद्वानों की संस्था अखिल बंगाल अल्पसंख्यक युवा संघ ने भी मुख्यमंत्री से मांग की थी कि वो सभी मदरसों की रख रखाव और सुविधा के लिए दो लाख रुपये का सहयोग प्रदान करें।
स्पष्ट रूप से हिंदुओं को लुभाने के प्रयास में ममता बनर्जी ने ऐसा कदम उठाया जो उन्हीं पर भारी पड़ता हुआ नजर आ रहा है। अब बीजेपी टीएमसी के लिए और मुश्किलें बढाने का काम कर रही है। भारतीय जनता पार्टी ने अब घर-घर प्रचार करने का फैसला किया है ताकि वो पश्चिम बंगाल में हर कोने तक अपने संदेश को पहुंचा सकें। बीजेपी के बंगाल अल्पसंख्यक मार्चा के प्रमुख अली हुसैन ने भी कहा, “बंगाल के मुस्लिमों को ये समझना चाहिए कि बीजेपी ही राज्य में विकास सुनिश्चित कर सकती है।” पार्टी के मुस्लिम नेताओं से कहा गया है कि अपने राज्यों के सभी मुस्लिमों तक पहुंचने का प्रयास करें। हुसैन ने कहा, “हम उन्हें केंद्र की विकास्पूर्ण नीतियों से अवगत कराएंगे।” यदि बीजेपी अल्पसंख्यक समुदाय तक अपनी नीतियों को पहुंचाने में कामयाब हो जाती है तो राज्य में टीएमसी की पकड़ और कमजोर होगी और बीजेपी के लिए भविष्य में निर्णायक जीत का कारण बनेगा।