सोशल मीडिया की भूमिका समय के साथ और भी ज्यदा महत्वपूर्ण हुई है। इसका राजनीतिक परिदृश्य पर भी खासा असर पड़ रहा है। सोशल मीडिया के यूजर्स में दिन प्रति दिन बढ़ोतरी हो रही है जिसमें अधिकतर 18 से 45 वर्ष के लोग शामिल हैं और चुनावों में इनकी भूमिका भी काफी अहम है। ये सक्रिय यूजर्स सोशल मीडिया की हर खबर पर नजर रखते हैं इनकी नजरों से कुछ बच नहीं पाता है। साल 2014 के आम चुनावों में बीजेपी ने सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को सोशल मीडिया पर खूब उठाया गया था और कांग्रेस की सुस्त और घोटालों से भरी कार्यप्रणाली भी जनता के सामने थी और बीजेपी को इसका फायदा मिला जिसके बाद बीजेपी देश में बहुमत की सरकार बना पायी। आज भी देश के अधिकतर युवा बीजेपी के समर्थन में हैं।
सोशल मीडिया के प्रभाव को देखते हुए कांग्रेस भी इस मैदान में कूद पड़ी और सोशल मीडिया पर अपनी सक्रियता को बढ़ा दिया। कांग्रेस के सोशल मीडिया की कमान दिव्या सपंदना को सौंपी लेकिन वो इसके जरिये कांग्रेस और पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी की छवि को बेहतर बनाने में नाकाम रहीं। वो ज्यादातर बीजेपी और मोदी विरोधी विषयों पर व्यस्त रहीं और बेतुके आधारहीन तथ्यों पर केन्द्रित रहीं। इसके बाद ये खबरें चर्चा में आयीं कि दिव्या स्पंदना ने कांग्रेस आईटी सेल के पद से इस्तीफा दे दिया है लेकिन अब कुछ और ही माजरा सामने आ रहा है। दिव्या ने अपनी प्रोफाइल को फिर से अपडेट करते हुए कहा है कि वो अभी भी कांग्रेस आईटी सेल के पद पर हैं और कुछ दिनों के लिए छुट्टी पर थी और इस बात की जानकारी उन्होंने रणदीप सुरजेवाला को दी थी।
हालांकि, अब दिव्या के गायब होने के पीछे की वजह कुछ और ही सामने आ रही है। डीएनए की रिपोर्ट्स के अनुसार दिव्या का कद पार्टी में घटा है और निखिल अल्वा और दिव्या स्पंदना के बीच रस्साकशी चल रही है। निखिल अल्वा कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व गवर्नर मार्गरेट अल्वा के बेटे हैं। निखिल राहुल गांधी के इंग्लिश ट्वीट को भी संभालते हैं और वो गांधी वंशज राहुल गांधी के काफी करीब भी हैं।
गुजरात विधानसभा चुनावों के बाद से अल्वा पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला का ट्विटर हैंडल संभाल रहे हैं। इससे पहले दिव्या स्पंदना इसे संभालती थीं।
बता दें दोनों के बीच कोल्ड वार तब शुरू हुआ जब अल्वा ने स्पंदना से तीन सोशल मीडिया सलाहकार लाने के लिए कहा था। ये नए सोशल मीडिया सलाहकार जवाहर भवन में बैठते हैं जो अल्वा का ऑफिस है न कि 12, तुगलक रोड पर स्थित सोशल मीडिया ऑफिस में।
अल्वा एक महत्वाकांक्षी व्यक्ति है। वो पार्टी के सोशल मीडिया का हेड बनने की इच्छा रखते हैं और उन्होंने डेटा एनालिटिक्स टीम में भी शामिल होने की इच्छा प्रकट की थी। आने वाले दिनों में उनकी ये इच्छा जल्द ही पूरी भी हो सकती है। खबरों की मानें तो कांग्रेस की सोशल मीडिया हेड दिव्या स्पंदना उर्फ राम्या को किनारे कर दिया गया है और अब सोशल मीडिया की जिम्मेदारी निखिल अल्वा को सौंपी जा सकती है। वहीं, दूसरी तरफ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें कि पूर्व सांसद अब सक्रिय राजनीति में शामिल होने का मन बना रही है हैं और उनकी निगाहें मंड्या की संसदीय सीट पर है।
जैसे जैसे आम चुनाव पास आ रहे हैं पूर्व सांसद स्पंदना दोबरा से सक्रीय राजनीति में उतरने का मन बना रही हैं। इसपर चर्चा के लिए वो शनिवार को बैंगलोर के स्थानीय नेताओं से भी मिली थीं।
ऐसा लगता है कि कांग्रेस अपनी सोशल मीडिया टीम को एकजुट रख पाने में नाकाम रही है। चुनाव पास आ रहे हैं और कांग्रेस पार्टी की सोशल मीडिया टीम में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा, ऐसे में आने वाले दिनों में कांग्रेस को इससे भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि सोशल मीडिया की भूमिका चुनावों में काफी महत्वपूर्ण है।