हाल ही में AIB के सदस्य यूट्यूबर और कॉमेडियन उत्सव चक्रवर्ती पर कई महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये हैं और इसकी शुरुआत राइटर और कॉमेडियन महिमा कुकरेजा ने एक ट्विटर थ्रेड के जरिये की थी। ऐसे और भी कई मामले हैं जो लिबरल्स के ढोंग को दर्शाते हैं जो सामने कुछ होते हैं और पीछे कुछ और ये ढोंग ‘भारतीय लिबरल्स’ की जड़ों में बसे हैं।
उत्सव चक्रवर्ती का मामला भी कुछ अलग नहीं है। जबसे महिमा कुकरेजा ने AIB के इस सदस्य के असली चेहरे को सामने रखा है तब से भारत का लिबरल गैंग चुप्पी साधे हुए है और इस मामले पर खुलकर बोलने से बच रहा है।
चाहे लिबरल्स की चहेती गुरमेहर कौर हो या स्वरा भास्कर हो या स्वाति चतुर्वेदी उन्होंने न ही इस घटना की निंदा करने का विकल्प चुना और न ही इस अभियान का समर्थन करने के लिए राईट विंगर का मजाक उड़ाने का विकल्प चुना। वैसे ये सभी को पता है कि मोदी समर्थक और राईट विंग राष्ट्रवादी होता इन सभी की प्रतिक्रिया क्या होती।
रेघा झा जिन्होंने तनुश्री दत्ता का समर्थन करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी थी उन्होंने इस मामले में चुप्पी साधी हुई है। बरखा दत्त भी चुप हैं जो कभी हिन्दू समुदाय के खिलाफ चलाए गये अभियान के दौरान जितना संभव हो सके एक जिम्मेदार पत्रकार की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही थीं।
उन्नाव रेप मामला हो या कठुआ रेप मामला उन्होंने दोषी पर हमला करने का एक मौका नहीं छोड़ा था वहीँ मंदसौर मामले में ये शांत रहीं जहाँ आरोपी दूसरे समुदाय का था जो उनके हिसाब से नहीं होना चाहिए था इसलिए कोई समर्थन नहीं किया।
कविता कृष्णा जो अर्बन नक्सल के रूप में भी जानी जाती हैं उन्होंने ने भी इस मामले पर कुछ नहीं कहा। इस मामले पर कुछ कहने से उन्होंने मना कर दिया लेकिन बीजेपी विरोधी, देश विरोधी और योगी आदित्यनाथ के खिलाफ वो राग अलापती रहती हैं। दिलचस्प बात ये है कि स्वाति चतुर्वेदी #MeToo रीट्वीट के जरिये सवालों से बचने की कोशिश कर रहीं थीं लेकिन उनका ये ढोंग भी सामने आ गया जब उन्होंने ऋचा सिंह के ट्वीट को रीट्वीट किया जो अपने ट्वीट से इस मामले का समर्थन करने वाले राईट विंगर्स की आलोचना कर ही थीं.
https://twitter.com/richa_singh/status/1048116924826058753
यहां तक कि स्वरा भास्कर जो कठुआ मामला हो या तनुश्री दत्ता का मामला वो खुलकर समर्थन कर रही थीं और इस तरह के मामलों पर दुःख व्यक्त करती रही हैं लेकिन वो भी AIB के सदस्य पर लगे आरोपों पर चुप हैं। हाँ गुरमेहर कौर इस मामले में बोली हैं वो भी शेखर गुप्ता के मुखपत्र ‘द प्रिंट’ में प्रकाशित किया गया है। गुरमेहर ने जो कहा है उसने इस पूरी गैंग के रुख को साफ़ कर दिया है।
गुरमेहर ने अपनी राय देते हुए न सिर्फ इस मामले में महिमा को समर्थन देने से इंकार कर दिया बल्कि इसे उत्सव को ‘सोशल मीडिया शेमिंग’ का तमगा भी दे दिया वैसे ही जिस तरह से गुरमेहर ने अपने दोस्त शमीर रुबेन का समर्थन किया था।
उत्सव से जुड़ा ये विवादित मामला कोई पहली घटना नहीं है। हालांकि, इस मामले पर साक्ष्य होने के बावजूद इस पूरी गैंग की चुप्पी और उनका रुख तो यही कहता है कि किसी जुर्म के अपराधी के खिलाफ तभी बोलो जब वो उनकी गैंग से न हो वरना शांत बने रहो। तहलका के संस्थापक पत्रकार तरुण तेजपाल के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में भी ये पूरा लिबरल गैंग एकजुट हो उनके बचाव में उतर आया था लेकिन यहां शांत बना हुआ है।
यहाँ तक कि राय सरकार ने जब तय किया कि वो यौन उत्पीड़न करने वालों को बेनकाब करेंगी तब ये पूरा लेफ्ट-लिबरल गैंग ने एक बार फिर से संगठित अभियान छेड़ा और राय सरकार की छवि को बदनाम करने की कोशिश की और आरोपी का भी समर्थन किया था, यहाँ वो गलत नहीं थे क्योंकि वो अपने बेतुके रुख को न्यायिक ठहराने की कोशिश कर रहे थे।
स्वरा भास्कर हो या अन्य लिबरल गैंग के सदस्य ये खुद को फेमिनिस्ट कहते हैं और महिलाओं के हित की बात करते हैं लेकिन जब आरोपी इनके गैंग का हो तो ये मूकदर्शक बन जाते हैं। इन न्याय के ठेकेदारों का ढोंग समय समय पर सामने आता रहा है। आज जब महिमा कुकरेजा ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के साक्ष्य भी पेश किये तो एक बार फिर से इस गैंग का ढोंग सामने आ गया है।