जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को विवादों से गहरा लगाव है और ऐसा लगता है कि बिना कोई विवाद खड़ा किये उनका दिन नहीं गुजरता है। ऐसा ही कुछ उन्होंने एक बार फिर से किया है और इस बार उन्होंने और उनके समर्थकों ने पटना एम्स में जाकर जूनियर डॉक्टर्स के साथ गुंडागर्दी की है जिसके बाद पटना एम्स के प्रशासन ने कन्हैया कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।
मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार कन्हैया रविवार को एम्स में भर्ती अपने एक मित्र और एआईएसएफ नेता सुशील कुमार से मिलने एम्स गए थे। उनपर आरोप है कि वहां जाकर उन्होंने और उनके समर्थकों ने अस्पताल के कुछ जूनियर डॉक्टरों के साथ बदसलूकी की थी जिसके बाद डॉक्टर्स हड़ताल पर चले गये थे। डॉक्टरों ने बताया कि कन्हैया के साथ करीब 80-100 अन्य समर्थकों ने उनके साथ ट्रॉमा इमरजेंसी में जाने का प्रयास किया था जब सुरक्षा गार्ड ने उनके समर्थकों को रोकने की कोशिश की तो गार्ड के साथ मारपीट की गई और अस्पताल में हंगामा काटा गया। डॉक्टर्स ने बताया कि कन्हैया के समर्थकों ने उनके मोबाइल फ़ोन छीने और उनके साथ मारपीट भी की। मामले को बढ़ता देख अस्पताल के प्रशासन ने फुलवारी शरीफ पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई थी। हालांकि, पुलिस के आश्वासन के बाद उन्होंने अपनी हड़ताल वापस ले ली है। हालांकि, इस हड़ताल से अस्पताल के मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। इस मामले को बिहार के स्वास्थ्य मंत्री के पास भी ले जाया गया। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा, “मैंने पटना एम्स के डायरेक्टर पीके सिंह से बात की है और उनसे पूरी घटना का विवरण भी लिया है। हम मामले की जांच के बाद जरुरी कार्रवाई करेंगे।” उन्होंने आगे कहा, “ये जेएनयू नहीं है जहां तुम कुछ भी करो और तुम्हें छोड़ दिया जाए।”
कन्हैया और उनके समर्थकों का इस तरह का व्यव्हार उनकी मानसिकता को दर्शाता है। ये तो सिर्फ एक छोटा सा नमूना है अगर उनके समर्थन वाली सरकार राज्य में बन जाएगी तब वो क्या करेंगे इस बात का अंदाजा इस घटना से भी लगाया जा सकता है। मीडिया की खबरों की मानें विवादित जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार फिलहाल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के टिकट पर बिहार के बेगूसराय लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं और इसके संकेत पहले ही भाकपा दे चुकी है। इस चुनाव के लिए उन्हें राजद का भी समर्थन प्राप्त है इसके अलावा कुछ सितारे भी उनके लिए चुनाव प्रचार करेंगे। डेक्कन हेराल्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, कन्हैया कुमार को अभिनेत्री शबाना आजमी और कवि और हिन्दी फिल्मों के गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर का समर्थन प्राप्त है और ये दोनों ही आगामी लोकसभा चुनाव में कन्हैया के लिए चुनाव प्रचार कर सकते हैं।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के अनुसार, जवाहरलाल नेहरू विवि जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य कन्हैया कुमार को बेगूसराय से उम्मीदवार बनाया जायेगा। भाकपा पहले ही बिहार में बड़े पैमाने पर बीजेपी को हराने के लिए प्रचार शुरू कर चुकी है वो भी ‘बीजेपी हराओ, देश बचाव’ के टाइटल के साथ प्रचार कर रहे हैं। इसके जरिये वो राज्य के कई शहरों में बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन की ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं। कन्हैया कुमार की रैली में कांग्रेस, राजद, भाकपा माले, माकपा, लोकतांत्रिक जनता दल और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख नेताओं को आमंत्रित किया गया है। कन्हैया कुमार का ये व्यवहार न सिर्फ निंदनीय है बल्कि गुंडागर्दी की पराकाष्ठा को भी दर्शाता है। वास्तव में ये लिबरल गैंग की मानसिकता को दर्शाता है जो कन्हैया कुमार जैसे व्यक्ति को समर्थन देते हैं। जो देशद्रोही बयानों के लिए और अब हंगामा काटने के लिए मशहूर हो गया है।
वैसे ये पहली बार नहीं है जब कन्हैया कुमार विवादों में फंसे हों। इसी साल जेएनयू की उच्चस्तरीय जांच समिति ने अनुशासनात्मक नियमों के उल्लंघन के लिए छात्रसंघ के तत्कालीन अध्यक्ष कन्हैया कुमार समेत 13 अन्य छात्रों पर जुर्माना भी लगाया था। साल 2016 में कन्हैया को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाते हुए अंतरिम जमानत दे दी थी। दिल्ली यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर और जेएनयू की पूर्व छात्रा कमलेश ने भी साल 2015 के जून के माह की एक घटना का जिक्र करते हुए कन्हैया कुमार पर जेएनयू हॉस्टल परिसर में अभद्रता करने का आरोप लगाया था।
कमलेश ने अपने फेसबुक पेज पर उस घटना का जिक्र करते हुए लिखा, “10 जून 2015 की सुबह मैंने जेएनयू की एक मुख्य सड़क पर कन्हैया कुमार को पेशाब करते देखा था। जब मैंने उन्हें ऐसा करने से मना किया तो वो मुझपर चिल्ला उठे और कहा कि मैं यहां जो चाहूं कर सकता हूं। तुम मुझे नहीं रोक सकती। मेरी जहां मर्जी वहीं पेशाब करूंगा। और तुम्हें तो मैं देख लूंगा।” कन्हैया कुमार का ये जवाब दर्शाता है कि वो देश की महिलाओं के प्रति की तरह की भावना रखते हैं। ये अगर भविष्य में किसी क्षेत्र में किसी पार्टी का नेतृत्व करते हैं तो कैसा संदेश समाज के युवा वर्ग में जायेगा ? वास्तव में जेएनयू के लिबरल गैंग ने कन्हैया को हीरो का तमगा दे दिया। इसके साथ ही मीडिया और तथाकथित लेफ्ट-लिबरल गैंग खुलकर कन्हैया का समर्थन करता रहा है। यही वजह है कि कन्हैया न ही किसी अस्पताल, न किसी डॉक्टर और न ही किसी महिला का सम्मान करते हैं और दबंगई करते हैं।