केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री और बीजेपी नेता एमजे अकबर ने अपने ऊपर लगे यौन उत्पीडन के आरोपों के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनपर लगे यौन उत्पीड़न का आरोप इन दिनों देश के चर्चित मामलों में से एक है। कई महिलाओं ने उनपर अनुचित व्यवहार और यौन शोषण का आरोप लगाया है। उनके खिलाफ कम से कम 11 मामले सामने आये हैं। सबसे पहले पत्रकार प्रिया रमानी ने उनपर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये थे। एक साल पहले ही प्रिया ने एक लेख लिखा था लेकिन तब उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया था लेकिन जब #Metoo कैंपेन की आंधी चली और कई महिलाओं ने खुलकर अपने साथ हुए यौन उत्पीडन पर बोलना शुरू किया तब उन्होंने भी खुलकर केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर का नाम लिया। इसके अलावा कुछ विदेशी पत्रकारों ने भी एम जे अकबर यौन शोषण के आरोप लगाये हैं जिनमें इंग्लैंड की एक महिला पत्रकार रूथ डेविड और यूएस की पत्रकार पुय कंप हैं।
एक और महिला पत्रकार गजाला वहाब ने भी एमजे अकबर पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाये हैं। इन सभी आरोपों से अकबर की छवि पर गहरा प्रभाव पड़ा पड़ा है और यहाँ तक कि बीजेपी को कई विपक्षी पार्टियों से आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है साथ ही बीजेपी पर अकबर का बचाव करने का भी आरोप लगाया जा रहा है। प्रेस एसोसिएशन ने कहा है कि वो मिलकर इसके खिलाफ लड़ेंगे। यहाँ तक कि दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष ने भी इस मामले में कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। इसके बाद एम जे अकबर आजकल अपने ऊपर लगे आरोपों की वजह से चर्चा में आ गये हैं और यही वजह है कि बीजेपी को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
इस तरह के हालात में एमजे अकबर द्वारा दिया गया इस्तीफा सभी आलोचकों को कड़ा संदेश देगा कि बीजेपी किसी भी अपराध के लिए जांच और न्याय में भरोसा करती है चाहे किसी मामले में उन्हीं की पार्टी के सदस्य ही क्यों न दोषी हों। यहाँ तक कि एम जे अकबर के खिलाफ कोई फैसला सुनाने से पहले दोनों पक्षों को सुना जाना चाहिए और फिर निष्पक्ष जांच के बाद आरोपी को सजा मिलनी चाहिए।
एमजे अकबर पहले भी अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते रहे हैं और इस मामले में उन्होंने सख्त कदम उठाते हुए उन्होंने सम्मान ठेस पहुंचाने और जानबूझकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश के लिए पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा भी दर्ज कराया था। उन्होंने अपने ऊपर लगे यौन उत्पीड़न आरोपों के एक बाद ही मामला दर्ज कराया था। एम जे अकबर ने साफ़ कर दिया है कि वो अपने ऊपर लगे आरोपों के खिलाफ लड़ेंगे और फिलहाल उन्होंने कहा जो वर्तमान समय में करना उचित लगा वही कदम उठाया है।
एम जे अकबर पर इस्तीफा देने के लिए दबाव बनाकर बीजेपी ने ये दर्शा दिया है कि वो #metoo कैंपेन में महिलाओं के साथ खड़ी है। इस कदम से अब उन लोगो को भी अपने सवालों के जवाब मिल गये होंगे जो बार बार बीजेपी पर अकबर का बचाव करने का आरोप लगा रहे थे। सभी को जवाब मिल गया है कि बीजेपी किसी भी अपराधी के साथ नहीं है बल्कि सच के साथ है।