पीएम मोदी अपनी महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना झारखंड में लॉन्च कर चुके हैं लेकिन कुछ राज्य इसे लागू न करने के पक्ष में थे जिनमें से एक पंजाब भी था। हालांकि, अब पंजाब मंत्रिमंडल ने राज्य में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) को लागू करने को बुधवार को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। तेलंगाना, उड़ीसा, केरल और दिल्ली अभी तक आयुष्मान भारत में शामिल नहीं है। बता दें कि पहले पंजाब ने इस योजना को राज्य में लागू करने से इंकार कर दिया था और कहा था कि इस योजना का लाभ कुछ सीमित परिवारों को ही मिल पायेगा। हालांकि, इन राज्यों के मना करने के पीछे की वजह कुछ और थी। इन राज्यों को लगता है कि अगर ये योजना लागू हुई तो इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा लेकिन ये अच्छी बात है कि पंजाब ने इस योजना के लिए मंजूरी दे दी है।
इस योजना को लेकर दिल्ली और पंजाब की प्रतिक्रिया सबसे खराब है। अन्य राज्यों की तरह आयुष्मान भारत को खारिज करने के लिए इन राज्यों की सरकार के पास पहले से कोई योजना नहीं है। दोनों ही राज्यों की सरकार के अहंकार की वजह से आम जनता इस स्वास्थ्य योजना के लाभ से वंचित है। पंजाब ने इस योजना को लागू करने को मंजूरी देते हुए ये भी कहा कि वो इस योजना में और अधिक पैसे लगाएंगे जिससे इसका लाभ अधिक से अधिक गरीब परिवारों को मिल सके जो आर्थिक मज़बूरी की वजह से बेहतर इलाज से वंचित रह जाते हैं। बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा, “मंत्रिमंडल ने मुख्य सचिव के नेतृत्व में एक समिति के गठन का फैसला किया है जो 300 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से योजना को लागू करने के वित्तीय पक्ष को देखेगी। जरूरत पड़ने के पर बाकी विभागों के बजट में कटौती की जाएगी।” केंद्रीय योजना के तहत आने वाले परिवारों की प्रस्तावित संख्या 14।96 लाख थी जिसे बढ़ाकर पंजाब सरकार ने 42 लाख परिवार कर दिया है। बता दें कि राज्य में कुल 61 लाख परिवार हैं ओए आयुष्मान भारत योजना के तहत केंद्र ने पंजाब को सामाजिक-आर्थिक जातीय जनगणना (एसईसीसी) के मुताबिक 14.96 लाख परिवारों को कवर करबे का प्रस्ताव दिया था वहीं पंजाब सरकार ने इसे बढ़ाकर योजना का लाभ 42 लाख परिवारों को भी देने का फैसला किया है। इसमें पंजाब के भगत पुरन सिंह सेहत बीमा योजना के लाभार्थियों को भी शामिल किया गया है। इस योजना को योजना को पंजाब सरकार ने साल 2015 में लागू किया था जिसके अंतर्गत 30 लाख नीले कार्ड धारकों व अन्य 7.90 लाख परिवारों को 50 हजार रुपये प्रति परिवार प्रति वर्ष स्वास्थ्य बीमा मुहैया करवाया जाता है।
पंजाब ने आयुष्मान भारत योजना का नाम बदलने की भी मंजूरी डे दी है लेकिन अभी तक ये साफ़ नहीं हुआ है कि आयुष्मान भारत योजना का नाम बदलकर क्या रखा जायेगा। पंजाब सरकार ऐसा इसलिए कर रही है क्योंकि ये योजना बीजेपी सरकार की है ऐसे में उन्हें डर है कि कहीं इस योजना से बीजेपी को फायदा होगा। एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा, “पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में संपूर्ण स्वास्थ्य बीमा मुहैया करवाने का वादा किया था और इस योजना को लागू कर 61 लाख परिवारों में से 42 लाख परिवारों को स्वास्थ्य योजना का लाभ पहुंचाकर कांग्रेस की पंजाब सरकार ने अपना वादा पूरा कर लेगी। इस योजना के अंतर्गत प्रति व्यक्ति का सालाना प्रीमियम 1082 रुपये होगा जो केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से 60:40 के अनुपात के मुताबिक वहन किया जाएगा।
दिल्ली सरकार अभी तक इस योजना में शामिल नहीं हुई है वो अभी भी अपने तर्कों पर अटको हुई है। हर साल दिल्ली में डेंगू से कई लोग मौत के मुंह में समा जातें हैं लेकिन इस तथ्य को जानते हुए भी अपने अहंकार के आगे इन दोनों ही राज्यों ने आयुष्मान भारत योजना को लागू करने से मना कर दिया। यही नहीं आम आदमी पार्टी ने तो अपनी संकीर्ण सोच का उदाहरण भी सामने रखा ये कहकर कि पीएम मोदी द्वारा शुरू की गयी ये योजना एक और ‘‘जुमला’’ साबित होगी। यही नहीं आम आदमी पार्टी ने ये तक कहा कई दिल्ली सरकार इस योजना को तभी लागू करेगी जब इस योजना का नाम बदलकर‘मुख्यमंत्री आम आदमी स्वास्थ्य बीमा योजना-आयुष्मान भारत’ रखा जायेगा। वहीं, पंजाब का रुख भी दिल्ली सरकार जैसा ही था। वो भी इस योजना को लागू न करने एके पीछे केंद्र सरकार के प्रचार का एक जरिया बता रहे है।
आने वाले दिनों में आयुष्मान भारत योजना सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को सुनिश्चित करने के लिए एक प्रभावी तंत्र साबित होगा। ये बात इन राज्यों की सरकारों को अच्छी तरह से पता है लेकिन अपने स्वार्थ की राजनीति के चलते ये ये राज्य इस योजना को लागू करने के पक्ष में नहीं हालाँकि, ये अच्छा है कि पंजाब को ये बात जल्द समझ आ गयी।