तमिलनाडु के एक लोकप्रिय दैनिक अखबार ‘द हिंदू’ में कुछ ऐसा देखने को मिला जिसने सोशल मीडिया पर आक्रोश पैदा कर दिया है। इस अखबार में एक एड प्रकाशित किया गया जिसमें एक आतंकवादी को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी है और ये आतंकवादी अल उम्माह का है। इस आतंकवादी का उद्देश्य हिंदू स्मारक, मंदिर और समुदाय से जुड़े लोगों को खत्म करना था। आईएसआई द्वारा प्रशिक्षित ये आतंकवादी विस्फोटक बनाने में माहिर था।
ये आतंवादी चेन्नई में स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक मुख्यालय में 1993 में हुए बम विस्फोट के मुख्य आरोपियों में से एक था। इस विस्फोट में 13 लोगों की जान गयी थी। उसे पहले भी इस आरोपी को हिंदू मुन्नी नेता की हत्या के प्रयास में गिरफ्तार किया गया था। उसने तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी और तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री मुरली मनोहर जोशी की हत्या की योजना बनाई थी। यही नहीं ये आतंकवादी 1998 में हुए कोयंबटूर विस्फोट में भी शामिल था। इसके अलावा इस आतंकवादी ने कई प्रमुख और बड़े हिंदू मंदिर उसके निशाने पर थे और उसने इन मंदिरों को नष्ट करने की धमकी भी दी थी। प्रसिद्ध मीनाक्षी मंदिर भी उन्हीं मंदिरों में से एक है जिसे नष्ट करने की उसने योजना बनाई थी। उसने कोयंबटूर के पलानी बाबा द्वारा स्थापित ऑल इंडिया जिहाद समिति के तहत अपनी आतंकी गतिविधियों की शुरुआत की थी। इसके बाद वो इसके बाद वो अल उम्माह संगठन के साथ काम करने लगा और इस्लामिक डिफेन्स फोर्स का भी गठन किया।
साल 2002 में एक एनकाउंटर में बैंगलोर सिटी पुलिस द्वारा अली मारा गया। अब तमिलनाडु के दैनिक अखबर द हिंदू में इस आतंकी की तस्वीर कई सवाल उठा रहा है। इस तस्वीर को इंडियन नेशनल लीग पार्टी (आईएनएलपी) ने तमिलनाडु के दैनिक अख़बार में प्रकाशित करने के लिए दिया था जिसमें इस आतंकवादी का गुणगान किया गया है और लिखा है, “भले ही तुम्हारी आंखें बंद हो चुकी हैं लेकिन तुम्हारे सपने नहीं।” सवाल ये है इस पंक्ति में किन सपनों की बात हो रही है? सवाल तो ये भी उठता है कि आईएनएलपी उन सपनों का समर्थन कर रही है जो हिंदुओं को मारने और उनके चिन्हों को खत्म करने का उद्देश्य रखता था जिसके मन में हिंदू समुदाय के लिए नफरत भरी थी।
यहां चौंका देने वाली बात ये थी कि इस एड में इमाम अली को ‘शहीद’ का तमगा दिया गया था। यहां लोगों को गुमराह करने की कोशिश की गयी है। ये घृणास्पद है कि एक ऐसा आतंकवादी जिसने 70 से अधिक लोगों की जान ली और उसे अब शहीद का टैग दिया जा रहा है और वो भी किसी कट्टरपंथी या सांप्रदायिक अख़बार में नहीं बल्कि तमिलनाडु के दैनिक अखबार में प्रकाशित किया गया है।
इस एड में रजा हुसैन की फोटो भी शामिल है जो हिंदू मुन्नानी नेता राजगोपाल की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था और इसके लिए उसे 20 साल की सजा भी हुई थी। हाल ही में वो जेल से रिहा हुआ है। ये दर्शाता है कि किस तरह से आज की पीढ़ी को इन आतंकवादियों की गतिविधियों को लेकर गुमराह किया जा रहा है और हत्यारों को शहीद बताया जा रहा है।
ये बेहद शर्मनाक है कि बोलने की आजादी की आड़ में आतंकवादियों की गतिविधियों को न्यायसंगत बताने की कोशिश की जा रही है और उन्हें शहीद बताया जा रहा है। बोलने की आजादी का मतलब ये नहीं है कि देश विरोधी और देश के दुश्मनों को शहीद कहने का अधिकार मिल जाये। सरकार को इसके खिलाफ सख्त कदम उठाना चाहिए। द हिंदू को भी इस तरह के विषयों को प्रकाशित करने से पहले एक बार तो गौर करना चाहिए। अख़बार आम जनता के जीवन को प्रभावित करता है और ऐसे में द हिंदू के अख़बार द्वारा एक आतंकवादी को शहीद कहा जाना शर्मनाक है। हालांकि, वो एक विचारधारा को लेकर चलते हैं इसका मतलब ये नहीं है कि वो इस तरह के एड को प्रकाशित करें जो देश का दुश्मन का समर्थन करता हो। द हिंदू को एक आतंकवादी को नायक के रूप में पेश करने के लिए देश से माफ़ी मांगनी चाहिए।