आम आदमी पार्टी के विधायक और विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे एचएस फुल्का ने अमृतसर में हुए ग्रेनेड हमले पर एक ऐसा बयान दिया है, जो न सिर्फ शर्मनाक है बल्कि गैर-जिम्मेदाराना भी है। अमृतसर में हुए ग्रेनेड हमले में तीन लोगों की जान गयी है और 20 लोग घायल हुए हैं। उन्होंने अमृतसर में हुए हमले के पीछे सेनाध्यक्ष को ही जिम्मदार बता दिया और कहा कि, “हो सकता है सेनाध्यक्ष विपिन रावत ने अपनी ही बात साबित करने के लिए ग्रेनेड हमला करवाया हो।” संभवतः ये हमला आतंकवादियों द्वारा करवाए गये लेकिन यहां आम आदमी पार्टी के विधायक ने सार्वजनिक तौर पर अपने गैर-जिम्मेदाराना बयान से सभी को चौंका दिया।
आम आदमी पार्टी के विधायक एचएस फुल्का ने अपने बयान में कहा, “कुछ दिन पहले सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने पंजाब में आकर कहा था कि, राज्य पर आतंकी हमले का खतरा है। हो सकता है कि, उन्होंने ही अपने लोगों से ये हमला करवाया हो ताकि उनका बयान सही साबित हो।“ वो यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा, “इस समय देश का माहौल खराब करने के भी प्रयास किये जा सकते हैं। क्योंकि इस समय देश में चुनाव पास आ रहे हैं। पहले की सरकारें भी ऐसा करती रही हैं।“ उन्होंने सेनाध्यक्ष और सरकार पर इस हमले का दोष मढ़ दिया। वास्तव में किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले उसकी गहराई में जान जरुरी होता है बिना मामले की जांच के ही इस तरह के आरोप मढ़ना कितना सही है? क्या ये सेना को कमजोर करने के प्रयास नहीं हैं? उनके इस बयान का मतलब तो यही है कि कोई आतंकी संगठन हमले नहीं करवाता बल्कि देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान की परवाह किये बिना सीमा पर तैनात रहने वाली हमारी फौज ही ये सब करती है। फुल्का का यह बयान बहुत ही घटिया है। पंजाब एक संवेदनशील राज्य है और यहां आतंकी अक्सर ही हमले करने की फिराक में बैठे रहते हैं। ऐसे में बिना तथ्यों के अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस तरह का गैर-जिम्मेदाराना बयान देना एक विधायक को शोभा नहीं देता। ये सीधे-सीधे सेनाध्यक्ष का अपमान है, जो देश की एक सम्मानित संस्था का नेतृत्व करते हैं।
गौर हो कि, 3 नवंबर को सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने ‘भारत में आंतरिक सुरक्षा की बदलती रूपरेखा: रुझान और प्रतिक्रियाएं’ विषय पर एक सेमिनार में कहा था कि, “पंजाब में ‘उग्रवाद को पुनर्जीवित करने’ के लिए ‘बाहरी संबंधों’ के माध्यम से प्रयास किए जा रहे हैं। यदि जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया गया तो बहुत देर हो जाएगी।“ इस सेमीनार में वो सेना के वरिष्ठ अधिकारियों, रक्षा विशेषज्ञों, सरकार के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों और पुलिस को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने ये भी कहा था कि, “पंजाब शांतिपूर्ण रहा है, लेकिन इन बाहरी संबंधों के कारण राज्य में उग्रवाद को फिर से पैदा करने के प्रयास किये जा रहे है। हमें बहुत सावधान रहना होगा।“ ये कोई पहली बार नहीं है जब विपिन रावत ने सुरक्षा संबंधी बयान दिया हो। इससे पहले भी उन्होंने राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंता जाहिर की थी। चार दिन पहले पठानकोट में सैन्य कार्यक्रम में भी वो इस बयान को दाहेरा चुके हैं। उनके इस बयान से ये स्पष्ट है कि एक बार फिर से पंजाब में कट्टरतावाद और विद्रोह के पुनरुत्थान का खतरा है। इसके बाद रविवार को अमृतसर के राजासांसी स्थित निरंकारी भवन में ग्रेनेड हमला एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा बन गया। ऐसे समय में फुल्का का बयान कट्टरपंथी तत्वों को राज्य में आक्रोशित कर सकता है और एक बार फिर से उन्हें उकसा सकता है।
ये कोई पहली बार नहीं है जब किसी नेता ने सेनाध्यक्ष को ले कर इस तरह का विवादित बयान दिया हो। इससे पहले वरिष्ठ कांग्रेसी संदीप दीक्षित ने जनरल बिपिन रावत पर विवादित बयान दिया था और उन्हें सड़क का गुंडा कहा था। वरिष्ठ कांग्रेसी संदीप दीक्षित ने अपने बयान में कहा था कि, “पाकिस्तान तो उल जुलूल हरकतें और बयानबाजी करता रहता है, लेकिन अगर हमारे सेना प्रमुख भी जब ‘सड़क के गुंडे’ की तरह बोलते हैं, तो खराब लगता है।” ये बहुत ही शर्मनाक है कि, सिर्फ अपने राजनीतिक फायदे के लिए ये नेता इस तरह के असंवेदनशील बयान देते हैं।