आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां जमकर तैयारी कर रही हैं और जनता को लुभान एके लिए वो कई तरह के पैंतरे अपना रही हैं। जब उत्तर प्रदेश की बात आती है तो इस राज्य का महत्व चुनाव में काफी अहम हो जाता है क्योंकि यहां लोकसभा की 543 में से 80 सीटें हैं। प्रदेश की ये एकमुश्त सीटें जब किसी दल को मिलती हैं, तो उसका असर लोकसभा की संरचना पर पड़ता ही है। पिछले लोकसभा चुनाव को ही देख लें जिसमें भारतीय जनता पार्टी को 80 में से 71 लोकसभा सीटें प्राप्त हुई थीं और लोकसभा में बीजेपी को बहुमत मिलने की सबसे बड़ी वजह उत्तर प्रदेश की सीटें ही थीं। पिछली बार बसपा को लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली थी लेकिन इस बार बसपा सुप्रीमों ने एक अलग ही पैंतरा अपनाया है। मायावती का ‘दलित आधार मत’ उनसे दूर हुआ है ऐसे में अब बसपा के पदाधिकारी ब्राह्मणों के गांव-गांव जाकर पैर छुओ अभियान चलाने पर विचार कर रही है और यही नहीं ब्राह्मण समाज को पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग की जानकारी भी देगी।
अमर उजाला की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 10 नवंबर को बिल्हौर के एक गेस्ट हाउस में हुई बैठक के बाद बिल्हौर के पूर्व कमलेश चंद्र दिवाकर ने बताया कि राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा के आदेश पर अब विधानसभा क्षेत्र के ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्रों में पार्टी के पदाधिकारी पैर छुओ अभियान चलाएंगे। इसके लिए बसपा जल्द ही कार्ययोजना भी तैयार करेगी। स्पष्ट रूप से बसपा ब्राह्मणों को लुभाने के लिए इस तरह की योजना बना रही है। वैसे ये योजना काफी अजीब है और अलग भी। जातिवाद की राजनीति करना इन नेताओं के लिए आम बात है।
वैसे बसपा का ये चुनाव प्रचार का तरीका बसपा पार्टी का कहीं मजाक बनाकर न रख दे। पैर छूने से कुछ नहीं होता काम से होता है लेकिन अब ये मायावती को कौन समझाये। खैर, हमेशा से बसपा का मजबूत मतदाता आधार पिछड़ा वर्ग रहा है लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा का पूरी तरह से सफाया हो गया था जिसके बाद बसपा सुप्रीमों मायावती को ये एहसास हो गया कि कि सत्ता में आने के लिए विकास और सबका साथ कितना जरुरी है यही वजह है कि अब वो ब्राह्मणों को लुभाने की कोशिश कर रही हैं। अब उनकी ये चाल जनता को भी खूब समझ आती है लेकिन फिर भी उनकी ये योजना उन्हें कितनी सफलता दिलाती है ये आने वाले वक्त में ही पता चल आयेगा।