कठुआ गैंगरेप और हत्या मामले में कुछ ऐसा देखने को मिला जिसकी उम्मीद नहीं की जा सकती। दरअसल, कठुआ गैंगरेप और हत्या के मामले की पैरवी कर रही चर्चित वकील दीपिका सिंह राजावत को पीड़िता के परिवार ने हटा दिया है। प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िता के पिता ने बुधवार को पठानकोट में ट्रायल कोर्ट के समक्ष दायर आवेदन में कहा है कि राजावत अब मामले में उनका प्रतिनिधित्व नहीं करेंगी। जिस मामले के लिए दीपिका सिंह राजावत के कदम की कभी सराहना की जा रही थी आज उनके ढीले रवैये की वजह से उन्हें केस से हटा दिया गया। द प्रिंट के मुताबिक पीड़िता परिवार को अब दीपिका पर भरोसा नहीं रहा। पीड़िता के पिता दायर किये आवेदन में कहा, “इस मामले में उनकी आशंका और गैर-उपस्थिति को ध्यान में रखते हुए मैं दीपिका सिंह राजवत को जारी किए गए पॉवर ऑफ एटार्नी को वापस लेता हूं और अब वो मेरी वकील नहीं हैं।”
द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित परिवार तरफ से पेश दूसरे वकील मुबीन फारूकी ने बताया कि दीपिका राजावत के पास कोर्ट में सुनवाई के दौरान पेश होने का समय नहीं था। पिछले महीनों की सुनवाई में वो केवल दो बार ही कोर्ट में पेश हुई हैं। मुबीन फारूकी ने बताया कि, “इस मामले की अब तक लगभग 110 सुनवाई हो चुकी है और 100 से ज्यादा लोगों गवाही दे चुके हैं लेकिन राजावत केवल दो बार पेश हुई हैं। उन्होंने दावा किया था कि अगर वो इस मामले में पेश होती हैं तो लोग उन्हें जान से मारने की धमकी देते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए ये निर्णय लिया गया है और उन्हीं इस जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया।”
हालांकि, कठुआ मामले में ये कोई पहली खबर नहीं है जिसने सभी को चौंका दिया हो इससे पहले पीड़ित परिवार के लिए एकजुट किये गये फंड के साथ हेरा-फेरी वाली खबर ने भी सभी को चौंका दिया था। जो सामाजिक कार्यकर्ता कठुआ गैंगरेप और हत्या मामले में मासूम को न्याय दिलाने के लिए सबसे आगे थे उन्हीं पर जुटाए गये पैसों का गबन करने का आरोप लगा। सामाजिक कार्यकर्ता और वकील तालिब हुसैन जिसने जम्मू कश्मीर में कठुआ रेप केस और हत्या मामले में न्याय की मांग के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया था वो भी रेप मामले में गिरफ्तार हुआ था। तालिब हुसैन पर जेएनयू की छात्रा ने सोशल मीडिया के जरिए रेप के आरोप लगाए थे जिसके बाद मशहूर वकील इंदिरा जयसिंह उनके एक केस की पैरवी छोड़ दी थी। तालिब हुसैन पर आरोप है कि उसने दहेज के लिए अपनी पत्नी को जान से मारने की कोशिश की थी।
इसके अलावा एक रिपोर्ट में पीड़िता के पिता ने खुलासा किया कि कैसे उन्हें मामले की सुनवाई के लिए पैसे जुटाने के लिए अपनी भेड़ बकरियां बेचनी पड़ रही है। न्यूज़ 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कठुआ रेप केस का ट्रायल कारगिल से 530 किलोमीटर दूर पठानकोट में चल रहा है जहां सुनवाई के लिए परिवार को लंबी दूरी तय कर जाना पड़ता है। पीड़िता के परिवार को कारगिल से पठानकोट के 530 किलोमीटर के लंबे रास्ते के दौरान खर्चे के लिए कई भेड़ और बकरियां बेचनी पड़ीं।
यही नहीं विवादित जेएनयू छात्र कार्यकर्ता शेहला राशिद भी उन कार्यकर्ताओं में से एक थीं और शेहला पर भी पीड़ित परिवार के लिए जुटाए गए पैसों के गबन का आरोप लगा है लेकिन शेहला ने द ट्रिब्यून की रिपोर्ट को ख़ारिज दिया। शेहला ने कहा को खुद बायोलॉजिकल परिजनों से मुलकात की थी तब उन्होंने कहा था कि उन्हें कोई परेशानी नहीं है उन्हें जुटाए हुए फंड मिले हैं। एक के बाद एक ट्वीट कर शेहला ने एक बार फिर से वही किया जैसा वो हमेशा से करती ये हैं। अपने दावों को सही बताना वो भी बिना किसी सबूत के। जब वो सवालों से घिर गयीं तो उन्होंने अपना ट्वीटर अकाउंट भी बंद कर दिया था। ऐसा लगता है कि अन्य कार्यकर्ताओं की तरह ही दीपिका राजावत भी पहले जिस तरह से कठुआ मामले में मासूम को न्याय दिलाने के लिए आगे थीं वो एक दिखावा था। हम उम्मीद करते हैं पीड़ित परिवार को जल्द ही इस मामले में न्याय मिले।