कांग्रेस और जेडीएस के बीच चल रही तनातनी के कारण हो सकता है कि साल 2019 के आम चुनाव से पहले ही दोनों पार्टियां अलग हो जायें। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि कुमारस्वामी और एचडी गौड़ा ये दावा कर रहे हैं
3 नवंबर को तीन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों शिवमोग्गा, बल्लारी, मंड्या और दो विधानसभा क्षेत्र रामानगर और जमखंडी होंगे में उपचुनाव होने हैं और वोटों की गिनती 6 नवंबर को होगी। कांग्रेस ने जमखंडी और बल्लारी और वोटों की गिनती 6 नवंबर को होगी। कांग्रेस ने जमखंडी और बल्लारी में अपने प्रत्याशियों को उतारा है जबकि जेडीएस ने शिवमोग्गा, रामानगर और मंड्या में अपने प्रत्याशी उतारे हैं। बेल्थान्गढ़ी टाउन पंचायत में 11 सदस्यीय शहरी स्थानीय निकाय के चुनाव में बीजेपी ने 7 सीटें जीती जबकि कांग्रेस सिर्फ 4 सीटें ही जीत पायी थी जबकि यहां पिछले दो सालों से कांग्रेस की पकड़ रही है
कुमारस्वामी ने कई बार मीडिया से बातचीत में कांग्रेस से गठबंधन में हो रही परेशानियों का रोना रोया हो और बताया किस तरह से कांग्रेस उनपर दबाव डालती है। कुमारस्वामी के बयान और उनके रुख से ये संकेत मिलते रहे हैं कि राज्य में बीजेपी विरोधी गठबंधन ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पायेगा और अब ऐसा लगता है कि ये आगामी लोकसभा चुनाव से पहले ही आखिरी सांसें ले रहा है।
#WATCH: Karnataka CM HD Kumaraswamy breaks down at an event in Bengaluru; says 'You are standing with bouquets to wish me, as one of your brother became CM & you all are happy, but I'm not. I know the pain of coalition govt. I became Vishkanth&swallowed pain of this govt' (14.07) pic.twitter.com/cQ8f90KkFT
— ANI (@ANI) July 15, 2018
एक बार इस गठबंधन पर बातचीत करते हुए उनका दर्द भी छलका था और रोते हुए उन्होंने कहा था, “आप लोग गुलदस्ता लेकर मेरा स्वागत करने के लिए खड़े रहते हैं। आपको लगता होगा कि आपका भाई मुख्यमंत्री बन गया है। आप सभी खुश हैं, लेकिन मैं इससे खुश नहीं हूं। मैं जानता हूं कि गठबंधन का दर्द क्या होता है? मुझे विषकंठ (भगवान शंकर) की तरह गठबंधन सरकार का जहर पीना पड़ रहा है।” वो यही नहीं रुके थे इसके बाद, एचडी कुमारस्वामी ने कई बयान दिए थे जो कांग्रेस पार्टी को एक तानाशाही बॉस के रूप में चित्रित करता है जिसकी कृपा से कुमारस्वामी को राज्य की कमान मिली है। कुमारस्वामी ने गठबंधन की मजबूरी के चलते हाथ बंधे होने का इशारा करते हुए कहा “मैं लोगों का नहीं, बल्कि कांग्रेस का ऋणी हूं। मैं आज कांग्रेस की कृपा पर हूं। मैं राज्य के 6।5 करोड़ लोगों के दबाव में नहीं हूं।”ये बयान यही साबित करते हैं कि कुमारस्वामी कांग्रेस के साथ गठबंधन कर खुश नहीं हैं और गठबंधन पर लटकती तलवार के भी ये संकेत देता है। इसे साथ ही ये सबित करता है कि कर्नाटक में मौजूदा सरकार विकास के लिए नहीं बल्कि राज्य में सत्ता में बने रहने के लिए गठबंधन हुआ है।
इस पूरे घटनाक्रम में कांग्रेस की हार नजर आ रही है और उसका असली चेहरा भी सामने आया है। स्पष्ट रूप से राज्य में कांग्रेस ने सरकार सिर्फ अपने फायदे के लिए बनाई है न कि जनता की सेवा करने के लिए बनाई है। हालांकि, कांग्रेस का उद्देश्य अब जब सामने है कि वो सिर्फ बीजेपी को हराना चाहती थी ऐसे में उसकी हार होनी तो तय थी और हाल ही में हुए राज्य के पंचायत चुनाव में बीजेपी की हुई जीत भी यही दर्शाती है।