केन्द्र में सरकार बनते ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गंगा की सफाई के लिए प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए जो सपने देखे थे, वो अब जल्द ही पूरा होने वाला है। दरअसल, एशिया के सबसे बड़े व 128 साल पुराने नाले की गंदगी से गंगा को अब मुक्ति मिल गई है। मंगलवार को भैरो घाट से डायवर्ट किया गया सीवेज, जाजमऊ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंच गया। इसके साथ ही नमामि गंगे का सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट भी सफल हो गया है।
इस सफलता को गंगा को निर्मल व स्वच्छ बनाने की दिशा में बहुत बड़ी पहल को सफलता के रुप में देखा जा रहा है। यह बेहद चुनौती भरा कदम था। इसे लेकर जल निगम व नमामि गंगे के इंजीनियर एड़ी-चोटी का जोर लगा दिए थे। अधिकारियों को ऊपर से सख्त निर्देश दिये गये थे। पहले इस नाले से 14 करोड़ लीटर सीवेज गंगा में गिराता था। लेकिन इसमें से 8 करोड़ लीटर सीवेज कुछ दूर पहले ही मोड़कर एसटीपी तक भेज दिया गया था। यह अलग बात है कि महज 6 करोड़ लीटर गंदगी गंगा में जाने से रोकने में इंजीनियरों की सांसें फूल गई थीं क्योंकि नाले का वेग किसी नहर के समान ही था। ढलान से पंप करके इसे 9.5 किलोमीटर दूर एसटीपी तक पहुंचाना बेहद मुश्किल कार्य था। इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि जेएनएनयूआरएम की दागदार पाइप लाइन के साथ ही रूट पर ब्रिटिश जमाने का डॉट नाला भी है।
बता दें कि इससे पहले भी गंगा को दो नालों के प्रदूषण से मुक्ति मिली थी। जल निगम ने कानपुर में म्योर मिल व नवाबगंज नाले को टैप कर दूषित पानी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट जाजमऊ भेजना शुरू कर दिया। इससे गंगा में सवा दो करोड़ लीटर दूषित पानी गिरना बंद हो गया था।
दरअसल म्योर मिल नाले का 65 लाख लीटर और नवाबगंज का डेढ़ करोड़ लीटर सीवर का पानी शोधन के लिए जाजमऊ ट्रीटमेंट भेजा जाने लगा। अब वह सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से ट्रीट होकर पानी गंगा में जा रहा है। वहीं दूसरी ओर डबका नाला से गंगा में रोज 30 लाख लीटर दूषित पानी गिरता था। सीवर लाइन पूरी नहीं पड़ पाने से नाला नहीं बंद हो था। लेकिन उसे भी सीवर लाइन डालकर नाले को बंद कर दिया गया। यह दूषित पानी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भेजा जा रहा है।
बताते चलें कि स्वच्छ गंगा परियोजना का आधिकारिक नाम एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन परियोजना या ‘नमामि गंगे’ है। अपने वादे के अनुसार उन्होंने प्रधानमंत्री बनते ही कुछ महीनों में यह परियोजना शुरु कर दी। इस परियोजना ने उन्हें लाभ भी देना शुरु कर दिया। इसका सबूत इस वक्त देखने को मिला, जब वह अमेरिका की यात्रा पर गए। वहां उन्हें क्लिंटन परिवार ने इस परियोजना को शुरु करने पर बधाई दी। यह परियोजना इस वक्त खबरों में आई जब आरएसएस ने इसकी निगरानी करने का निर्णय लिया। इसके साथ ही सरकार ने विभिन्न कर लाभ निवेश योजनाओं की घोषणा भी की थी।
यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे खास ड्रीम मिशन में से एक है। प्रधानमंत्री बनने से पहले ही मोदी ने गंगा की सफाई को बहुत महत्व दिया था। उन्होंने वादा किया था कि यदि वह सत्ता में आए तो वो जल्द से जल्द यह परियोजना शुरु करेंगें। जनता ने उनपर भरोसा दिखाया। और अब वह जनता के भरोसे पर खरे उतर रहे हैं।