उत्तर प्रदेश में कुंडा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) ने नई पार्टी गठन करने का निर्णय लिया है। वे सवर्ण और मुस्लिम वोटबैंक के जरिए अन्य राजनीतिक दलों को चुनौती देना चाहते हैं। रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) लोकसभा चुनावों से पहले अपनी नई पार्टी लेकर आएंगे। उन्होंने चुनाव आयोग को पार्टी के लिए तीन नाम भेजे हैं, जिसमें जनसत्ता पार्टी, जनसत्ता लोकतांत्रिक पार्टी और जनसत्ता दल नाम दिये गए हैं। लखनऊ में शुक्रवार को हुई प्रेस कांफ्रेंस में राजा ने ये साफ कर दिया था कि, उनके राजनीतिक एजेंडे में सवर्ण वोटबैंक प्रमुख है। उन्होंने आरक्षण और एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ अपनी राय रखते हुए कहा कि, “इस समय सभी राजनीतिक पार्टियां सिर्फ जातिवाद और आरक्षण की राजनीति ही कर रही है।“ उन्होंने आगे कहा कि, उनकी पार्टी इससे इतर उन लोगों की आवाज बनेगी जो एससी-एसटी एक्ट के शिकार हैं और आरक्षण की वजह से बेरोजगार हैं। उन्होंने आगे कहा, “आज किसी दलित लड़की के साथ बलात्कार होता है तो उसके लिए अलग मुआवजे का प्रावधान है और अगर वहीं सामान्य वर्ग के साथ इस तरह की घटना होती है तो सरकार का रवैया कुछ दूसरा होता है। अपराध किसी के साथ भी हो, सभी को एक ही नजर से देखा जाना चाहिए।”
यही नहीं राजा भैया ने पदोन्नती में आरक्षण का भी विरोध किया है। उन्होंने कहा, “आज आरक्षण में प्रमोशन की बात हो रही है। मेरा मानना है कि पदोन्नती गुणवत्ता और वरिष्ठता के आधार पर होनी चाहिए, न कि जाति के आधार पर।” चर्चा है कि, राजा भैया अपनी पार्टी में बीजेपी और एसपी से नाराज चल रहे नेताओं को भी शामिल कर सकते हैं और चुनावों के समय प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में बीजेपी को फायदा पहुंचा सकते हैं।
चुनाव के बाद बीजेपी के साथ जाने की चर्चा
राजा भैया का नई पार्टी घटित करने के पीछे बीजेपी का हाथ होने के भी चर्चा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि राजा बीजेपी से नाराज चल रहे वोट बैंक को अपनी ओर खींचना चाह रहे हैं। यही नहीं वो बीजेपी और सपा से नाराज चल रहे नेताओं को भी अपनी नई पार्टी में शामिल कर सकते हैं। माना जा रहा है चुनाव में अच्छे आंकडें जुटाने और एक मजबूत पॉवर सेंटर बनने के बाद वो बीजेपी से जुड़ सकते हैं। राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा इसलिए है, क्योंकि इन दिनों बीजेपी की नीति सपा और बसपा के महागठबंधन को खत्म करने की चल रही है। उधर राजा भैया की ये पार्टी चुनावों में मुस्लिम और राजपूत वोटबैंक को अपने पक्ष में कर कई सीटों पर बीजेपी प्रत्याशियों की राह आसान करने का काम करेगी।
यूपी में हैं 24 से ज्यादा सीटों पर दखल
राजा भैया चुनाव कुंडा से जरूर लड़ते हैं लेकिन उनका यूपी की लगभग 24 से अधिक सीटों पर दखल रहा है। ऐसे में उनका नई पार्टी बनाने का निर्णय यूपी की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है। राज भैया के बीजेपी और एसपी से जुड़ाव रहा है। वो 1993 से लेकर 2017 तक कुंडा विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतते आए हैं। वो पहली बार ही दलीय राजनीति में उतरने जा रहे हैं। बीजेपी और एसपी दोनों से अच्छे रिश्तों के चलते उन्हें कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री का पद भी दिया गया था। यही नहीं दोनों दल राजा के दखल वाली सीटों पर उनके पसंद के प्रत्याशियों का चयन भी करते रहे हैं।
मुसलमानों का लेंगे साथ
सवर्ण वोट बैंक को साधने के साथ ही राजा भैया मुस्लिम वोट बैंक को भी अपनी ओर लाना चाह रह हैं। उन्होंने अपनी जनसत्ता पार्टी के झंडे में हरे रंग को भी जगह दी है। इस झंड़े में दो रंग हैं, पीला और हरा। पीला रंग जहां राजपूतों से जुड़ा है तो हरा रंग मुस्लिम धर्म में पवित्र समझा जाता है।