कांग्रेस पार्टी द्वारा राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करने के बाद से ही प्रदेश में पार्टी के हालात बिगड़ते जा रहे हैं। प्रदेश भर में जगह-जगह कांग्रेसी कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं। टिकट ना मिलने से नाराज कांग्रेसी नेता पार्टी से इस्तीफा देकर बागी बन गए हैं। कार्यकर्ताओं ने कई जगह रेलवे लाइन पर बैठकर ट्रेनें रोकी और कांग्रेस दफ्तर में पड़ी कुर्सियां तक जला डाली। बीकानेर, जयपुर, कोटा और भरतपुर संभाग में सबसे ज्यादा कार्यकर्ताओं में पार्टी के खिलाफ नाराजगी देखी जा रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के ऊपर कार्यकर्ता वादा खिलाफी का आरोप लगा रहे हैं। राहुल गांधी ने राजस्थान में कहा था कि, पार्टी जमीनी कार्यकर्ता को ही टिकट देगी और पैराशूट उम्मीद्वारों को टिकट नहीं दिया जाएगा। गांधी ने इस बार महिलाओं और युवाओं को ज्यादा टिकट देने की भी बात कही थी, लेकिन कांग्रेस द्वारा जारी की गई प्रत्याशियों की पहली सूची को देखें तो इसके ठीक विपरीत ही हुआ है। कार्यकर्ता बाहरियों को टिकट देने से नाराज तो हैं ही, साथ ही बड़े नेताओं पर अपने बच्चों को टिकट देने का आरोप भी लगा रहे हैं।
पहली सूची में खूब चला भाई भतीजावाद, हारे हुए को भी मिला टिकट
कांग्रेस की पहली सूची में भाई भतीजावाद खूब चला है। सूची में शामिल पूर्व केंद्रीय मंत्री अबरार अहमद के बेटे दानिश अबरार, मकबूल मंडेलिया के बेटे रफीक मंडेलिया, नारायण सिंह के बेटे वीरेंद्र चौधरी तो वो हैं, जो पहले चुनाव हार चुके हैं। कांग्रेस नेता महिपाल मदेरणा की बेटी दिव्या, हीरालाल इंदौरा के बेटे कुलदीप व सहदेव शर्मा के बेटे प्रशांत को पार्टी से टिकट दिया गया है। वहीं गुलाब सिंह के बेटे गजेंद्र सिंह, रामनारायण चौधरी की बेटी रीता चौधरी व द्वारिका प्रसाद बैरवा के बेटे प्रशांत को भी पार्टी से टिकट मिला है। इसके अलावा मलखान विश्नोई के बेटे महेंद्र व जुझार सिंह के बेटे भरत सिंह कांग्रेस से चुनाव लड़ेंगे। बेड़े नेताओं की संतानों को मिले ये टिकट उन सीटों के हैं जिन पर कार्यकर्ता टिकट मांग रहे थे लेकिन उनकी उपेक्षा की गई।
बागी बने नेता निर्दलीय लड़ने की कर रहे तैयारी
कांग्रेस की वादा खिलाफी से नारज अब बागी नेता अब निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने अजमेर में मसूदा से पूर्व संसदीय सचिव ब्रह्मदेव कुमावत का टिकट काटकर राकेश पारीक को टिकट दिया है, जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय लड़ने के लिए ताल ठोक दी है। विद्याधर नगर से दो बार चुनाव लड़ चुके विक्रम सिंह भी बागी बन गए हैं, उनके समर्थक जयपुर कांग्रेस कार्यालय पर प्रदर्शन कर रहे हैं। विक्रम सिंह ने निर्दलीय लड़ने के संकेत भी दिए हैं। पहली लिस्ट का ऐलान होते ही जयपुर में शहर की पूर्व मेयर और कांग्रेस के महासचिव ज्योति खंडेलवाल ने तो नाराजगी जताते हुए पार्टी के सभी पदों से ही इस्तीफा दे दिया। डूंगरपुर की चौरासी सीट से कांग्रेस के मंजुला को टिकट दिया गया, जिसके बाद महेंद्र बरजोड़ बगावत कर रहे हैं। जैसलमेर में रूपा राम मेघवाल को टिकट मिलने से नाराज कांग्रेस की पूर्व विधायक सुनीता भाटी ने पार्टी छोड़ने के संकेत दिए हैं। उधर कोटा दक्षिण में राखी गौतम को टिकट मिलने पर पंकज मेहता विरोध में आ गए हैं।
दफ्तरों के बाहर प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं ने कुर्सियां तक जला डाली
बीकानेर में कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष बीडी कल्ला का टिकट कटा है जिसके विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ता उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं ने कई जगह रेलवे ट्रेक पर बैठकर ट्रेनें भी रोकीं। वहीं जयपुर कांग्रेस मुख्यालय में नाराज कांग्रेसियों का डेरा जमा हुआ है। बस्सी से टिकट न मिलने से नाराज लक्ष्मण मीणा के समर्थकों ने तो दफ्तर में पड़ी कुर्सियां तक जला डाली। टोडाभीम में दो बार कांग्रेस से बागी रहे पृथ्वीराज मीणा को उम्मीद्वारी मिलने से नाराज कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया है। भीलवाडा में अनिल डांगी को टिकट मिलने पर कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश का दौरा छोड़ दिल्ली आए राहुल
राहुल गांधी को भी लग रहा है कि, पहली सूची जारी होने के बाद जिस तरह से पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी है, उससे कांग्रेस की राजस्थान में छवी धूमिल हो रही है। यही कारण है कि, गांधी अपना मध्यप्रदेश का दौरा बीच में ही छोड़कर दिल्ली लौट आए हैं। दिल्ली में कार्यकर्ताओं की नाराजगी को देखते हुए कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक भी हुई हैं। राजस्थान में बची हुई 48 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों के निर्णय में अब राहुल की बड़ी भूमिका हो सकती है।
कुल मिलाकर देखें तो राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की हालत दिनों दिन और खराब हो रही है। जिस तरह से पार्टी के कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं वो कांग्रेस का बंटाधार कर सकती है।