एनडीटीवी के रवीश कुमार अब देशभर के अख़बारों और न्यूज चैनल्स के गुरु बन गए हैं। उन्होंने देश भर के नामी अख़बारों को अपने फेसबुक पेज के माध्यम से न्यूज सेंस बांटना शुरु कर दिया है। वैसे तो रवीश अपने पेज और ब्लॉग पर जिस प्रोफेशन में काम करते हैं उसी को हर दिन कोसते रहते हैं। अपने और कुछ चुनिंदा वाममार्गी मीडिया हाउसेज के अलावा उन्हें पूरी मीडिया बेवकूफ ही नजर आती है। रवीश कुमार के इस रवैये और विवादित बयानों के कारण सिवाय वाममार्गियों के कोई भी उनकी बातों से सहमत नहीं होता। इसमें नया मोड़ तब आया, जब रवीश की एक फेसबुक पोस्ट के बाद उन्हीं के टीवी चैनल एनडीटीवी के ही एक पत्रकार ने ट्वीट के जरिए रवीश कुमार पर तगड़ा कटाक्ष कर दिया। इस ट्वीट के बाद रवीश की सोशल मीडिया में खूब खिंचाई हो रही है।
दरअसल रवीश कुमार ने मंगलवार दोपहर अपने फेसबुक पेज़ पर 11 अखबरों के फ्रंट पेज की फोटो शेयर करते हुए एक पोस्ट किया है। इस पोस्ट में वो कई बड़े अख़बारों में न्यूज सेंस पर सवाल खड़ा करते नजर आ रहे हैं। कौनसी खबर कहां छपी… फ्रंट पर छपी तो लीड क्यों नहीं हैं…किसके बयान को हेडलाइन बनाया…वो हेडलाइन क्यों नहीं हैं…इतने कॉलम में ही क्यों छपी…इस तरह के सवाल रवीश कुमार ने अपनी पोस्ट में खड़े किये हैं। उन्होंने अपनी पोस्ट में न्यूज चैनल्स को भी बुरा-भला कहा। इस पोस्ट से तो यही प्रतीत होता है कि रवीश कुमार चाहते हैं कि, सभी मीडिया हाउसेज अपनी खबरें प्रकाशित करने से पहले उनसे जांच करवाएं। किसी खबर में क्या हेडलाइन जाए, यह शुद्द रूप से न्यूज एडिटर के थॉट पर निर्भर करता है। कई बार एक ही खबर की दस सटीक और सही हेडलाइन भी निकल आती हैं। अखबार के पहले पन्ने पर कौनसी खबर जानी चाहिए ये संपादक के न्यूज सेंस पर निर्भर करता है। ऐसे में रवीश कुमार अपने आप को पत्रकारिता के बड़े जानकार समझते हैं, तो तमाम मीडिया हाउसेज के पत्रकारों के लिए ट्यूशन क्यों नहीं स्टार्ट कर देते! सच तो ये कि मेन स्ट्रीम मीडिया में नाकाम होते वाम एजेंडे की छटपटाहट रवीश कुमार में देखने को मिल रही है। यही वजह है कि वे आए दिन मेन स्ट्रीम मीडिया को भला-बुरा कहते रहते हैं।
अब एनडीटीवी के पत्रकार ने ही किया कटाक्ष
रवीश कुमार की इस फ्रस्ट्रेशन पर अब तक तो बाहर के लोग ही उन पर टिप्पणियां करते थे, लेकिन अब उनके खुद के चैनल एनडीटीवी के ही पत्रकार उनकी हरकतों से परेशान नजर आने लगे हैं। रवीश कुमार की फेसबुक पोस्ट के बाद एनडीटीवी के पत्रकार अखिलेश शर्मा ने ट्वीट के माध्यम से बिना नाम लिए ही रवीश पर कटाक्ष किया। उन्होंने लिखा, “अब कुछ पत्रकारों पर ज़िम्मेदारी बढ़ गई है। उन्हें ना सिर्फ़ अपना काम करना होता है, बल्कि ये भी देखना होता है कि दूसरे पत्रकार सही काम कर रहे हैं या नहीं। मसलन ख़बर छपी कि नहीं। छपी तो कहां छपी, कितने कॉलम में छपी, पहले पन्ने पर छपी तो लीड क्यों नहीं छपी? ठीक हेडलाइन क्यों नहीं लगी?” अखिलेश के इस कटाक्ष के बाद से रवीश कुमार पर सोशल मीडिया में काफी हमले हो रहे हैं।
दूसरों को पत्रकारिया सिखाते, लेकिन खुद कुछ नहीं करते
रवीश ने फेसबुक पर एक और पोस्ट डाली है। इसमें वे एनडीटीवी के लिए काम करने वाले छत्तीसगढ़ के एक रिपोर्टर द्वारा वाट्सएप पर भेजी गई न्यूज नोटिफिकेशंस को शेयर कर रहे हैं। साथ ही ये भी कह रहे हैं कि उन्हें न्यूज की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल होने का समय नहीं है इसलिए उन्हें नहीं पता कि इन तमाम सूचनाओं का क्या होगा। यहां विडंबना ये है कि, उनकी एक ही दिन में की गई दोनों पोस्ट्स में उनका रवैया भारी विरोधाभास दिखाता है। एक पोस्ट में तो जहां वे तमाम मीडिया को पत्रकारिता का ज्ञान दे रहे थे वहीं दूसरी पोस्ट में वे कह रहे हैं कि, उन्हें अपने चैनल में आ रही सूचनाओँ का क्या होगा वह भी नहीं पता। ये दर्शाता है कि रवीश कुमार सिर्फ ज्ञान बांटते ही है उस पर अमल नहीं करते।