दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल अपने अतीत को लेकर एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। दरअसल, अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद से जुड़ी तीन महिला श्रद्धालुओं ने ताजमहल में बनी 400 साल पुरानी मस्जिद में पूजा-अर्चना की। महिला श्रद्धालुओं ने यहां बाकायदा धूप-बत्ती जलाकर गंगाजल छिड़का और पूजा-अर्चना की। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हो रहा है।हालांकि, सीआईएसएफ ने ऐसी किसी भी पूजा से इंकार किया है।
ताजमहल में हिंदू महिलाओं के पूजा-अर्चना करने से मस्जिद और उससे जुड़े लोगों में बौखलाहट बढ़ गई है और अब इसपर तमाम बयान भी आने लगे हैं। मस्जिद के इमाम सादिक अली ने तो हद पार करते हुए यहां तक कह दिया है कि इन महिलाओं पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि मस्जिद में पूजा करना गलत यानी अपराध है। बता दें, ये वही इमाम हैं जो इस्लाम को ‘भाईचारे’ का संदेश देने वाला बताते रहते हैं।
हालांकि ऐसा कहते वक्त शायद इमाम ये भी भूल गए कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने तो वहां पर नमाज अदा करने पर भी रोक लगाई है। उस समय उन्हें नियम-कानून की याद क्यों नहीं आई। हालांकि हिंदू महिला श्रद्धालुओं ने भी बिना डरे खुलकर अपनी बात रखी है। श्रद्धालुओं का कहना है कि ये ताजमहल हमारे शिव का आलय यानी शिवालय था। इसे शाहजहां ने नहीं बल्कि एक हिंदू राजा श्री हरि सिंह जी ने बनवाया था। उन्होंने यह मंदिर मुगल शासक शाहजहां को दान में दे दी थी। महिलाओं को मानना है कि हमसे हमारे पूजा करने का अधिकार छीनकर हमारी आस्था पर प्रहार किया जा रहा है। संगठन की जिला अध्यक्ष मीना देवी दिवाकर ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘अगर मुस्लिमों को यहां हर दिन नमाज पढ़ने की इजाजत है, तो फिर हम भी यहां हमारे तेजोमहालय में पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
इस घटना के क्रम में जब सीआईएसएफ के कमांडेंट ब्रज भूषण से बात की गई तो उन्होंने इस पूर घटना क्रम से अनभिज्ञता जाहिर की। उन्होंने कहा कि हमारे जवानों को मस्जिद के भीतर जाने की अनुमति नहीं है इसलिए हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
इस बारे में जब एएसआई के सुपिरिटेंडिंग ऑर्कोलॉजिस्ट (आगरा सर्कल) वसंत सावरकर से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने बताया कि मस्जिद में धूपबत्ती जैसे किसी भी पूजा सामग्री के अवशेष अभी नहीं मिले हैं। हम सीसीटीवी फुटेज खंगाल रहे हैं। अगर ऐसी कोई गतिविधि पाई जाती है तो हम इसके खिलाफ ऐक्शन लेंगे।
इस घटना के क्रम में जब सीआईएसएफ के कमांडेंट ब्रज भूषण से बात की गई तो उन्होंने इस पूरे घटना क्रम से अनभिज्ञता जाहिर की। उन्होंने कहा कि हमारे जवानों को मस्जिद के भीतर जाने की अनुमति नहीं है इसलिए हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
खैर यहां कहना गलत नहीं होगा कि अगर ताजमहल में मुस्लिमों को नमाज पढने से नहीं रोका जा रहा तो एक हिंदू को वहां पूजा करने से क्यों रोका जा रहा है? राष्ट्रीय बजरंद दल के नेता गोविंद पराशर ने सही कहा कि, ‘अगर मुस्लिमों को नमाज अदा करने पर कोई रोक नहीं है तो हिंदू श्रद्धालुओं का अपने तेजोमहालय में पूजा-आराधना करना क्यों गलत है।’
आपको बता दें इतिहासकार पीएन ओक और योगेश सक्सेना तक अपनी किताब Taj Mahal: The True Story में भी इस बात का दावा कर चुके हें कि ताजमहल कोई मकबरा नहीं बल्कि एक शिव मंदिर है। इसे एक हिंदू राजा हरि सिंह में शाहजहां को दान में दे दिया था। दरअसल इसका असली नाम तेजो महालय है। इससे पहले भी इस मामले में सीआईसी यानी सेन्ट्रल इन्फॉर्मेशन कमिशन (केंद्रिय सूचना आयोग) ने संस्कृत मंत्रालय से जानकारी मांगी थी। सीआईसी मंत्रालय से पूछ चुकी है कि ताजमहल का असली नाम क्या है?
बता दें कि ताजमहल को लेकर इससे पहले भी कई विवाद खड़े हो चुके हैं। एक ओर जहां हिंदू संगठन अपने हक़ के लिए लंबे समय से जूझते रहे हैं तो दूसरी ओर सेक्युलर दल वोटबैंक के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के शोध और जाने-माने इतिहासकारों की किताबों के प्रमाण तक को ठेंगा दिखाते हुए इसे शाहजहां द्वारा बनवाया मकबरा और मस्जिद सिद्ध करने पर तुले रहे हैं। हालांकि, चुनाव को नजदीक देखते हुए इस बार कांग्रेस समेत उसके अन्य घटक और सेक्युलर दल ने इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।