भगवान अयप्पा के भक्तों की जीत, तृप्ति देसाई को खाली हाथ लौटना पड़ा

तृप्ति देसाई सबरीमाला

PC: The Indian Express

केरल के सबरीमाला मंदिर के कपाट शुक्रवार शाम को खोले गये और मंदिर में प्रवेश करने के उद्देश्य से ‘प्रार्थना के अधिकार’ कार्यकर्ता तृप्ति देसाई कोच्ची हवाई अड्डा पर पहुंची थीं। तृप्ति के साथ यहां 6 महिला अधिकार कार्यकर्ता भी थीं। हालांकि, अयप्पा के भक्तों के भारी विरोध के बाद कार्यकर्ता तृप्ति देसाई को वापस मुंबई लौटना पड़ा। तृप्ति का मकसद सिर्फ मंदिर में प्रवेश कर खुद को लाइमलाइट में लाना था। भले ही वो मंदिर में प्रवेश नहीं कर पायीं लेकीन चर्चा में आने का उनका उद्देश्य जरुर पूरा हो गया है।

28 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर मामले में फैसला सुनाते हुए मंदिर 10-50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध को हटा दिया था। इस फैसले के बाद केरल में अयप्पा के भक्त विरोध पर्दर्शन के लिए सड़कों पर उतर आये थे और इस विरोध प्रदर्शन में ज्यादातर महिलाएं ही शामिल थीं। मंदिर के कपाट भी खोले गये लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मंदिर की पवित्रता को खंडित करने के मकसद से तथाकथित कार्यकर्ता खून से सना नैपकिन तक लेकर गयी थीं। इस महिला का नाम फेमिनिस्ट एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा था। रेहाना फातिमा पर हिंदुओं की धार्मिक भावना को आहत करने का आरोप लगा। इसके बाद खुद मुस्लिम समुदाय ने कार्रवाई करते हुए उन्हें समुदाय से बाहर का रास्ता दिखाया था। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अय्यपा के भक्तों की मांग को भी केरल सरकार ने ठुकरा दिया था जिसमें उन्होंने राज्य सरकार से सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलने के लिए अध्यादेश लाने की मांग की थी। यहां तक कि केरल सीएम पिनाराई विजयन ने तो उन महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने की भी घोषणा कर दी थी जो मंदिर में प्रवेश करना चाहती थीं। इसका काफी विरोध हुआ और जब भक्तों की किसी ने नहीं सुनी तो मंदिर के प्रमुख पुजारी ने मंदिर के कपाट बंद कर दिए थे। गौर हो कि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी कुछ दिनों के लिए मंदिर के कपाट बंद किये गये थे। जब फिर से मंदिर के कपाट 16 नवंबर को खोले गये तो तृप्ति देसाई जो कि अयप्पा की भक्त भी नहीं है वो मंदिर में प्रवेश करना चाहती थी। तृप्ति की जिद थी कि सुप्रीम कोर्ट जब मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की मंजूरी दे चुका है और वो प्रवेश करेंगी।

केरल आने से पहले तृप्ति ने केरल सरकार को एक पत्र भी लिखा था लेकिन उनके इस पत्र का केरल सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया था। फिर भी वो मंदिर में प्रवेश करने के लिए केरल पहुंच गयीं। तृप्ति ने अपने पत्र में अनूरोध करते हुए लिखा था, “हम केरल सरकार से अनुरोध करते हैं कि सुरक्षा के साथ-साथ केरला में लगने वाली व्यवस्थाओं का खर्च और वापस महाराष्ट्र लौटने के लिए हमें खर्चा दिया जाए।” केरल पुलिस ने भी तृप्ति देसाई के लिए किसी विशेष प्रावधान की बात से इंकार कर दिया था और कहा था कि, “कोई विशेष सुरक्षा नहीं दी जाएगी, देसाई के आम तीर्थयात्री ही है।”

वास्तव में तृप्ति देसाई का भक्ति और भावना से कोई संबंध ही नहीं हैं बस वो चर्चा में बने रहने के लिए भक्तों की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने का प्रयास करती रही हैं। शनिधाम शिंगणापुर मंदिर, हाजी अली दरगाह, महालक्ष्मी मंदिर और त्र्यंबकेश्वर शिव मंदिर सहित कई धार्मिक जगहों पर महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दिलाने के अभियान की अगुवाई कर चुकी हैं। इसकी पुष्टि खुद तृप्ति देसाई की पूर्व सहयोगी प्रियंका जगताप ने भी की। प्रियंका ने अपने बताया कि तृप्ति का असली मकसद सिर्फ चर्चा में आना है, भले ही वो मंदिर में प्रवेश नहीं कर पायीं हों लेकिन तृप्ति देसाई का असली मसकद जरुर पूरा हो गया और देखिये वो चर्चा में बनी हुई हैं। पब्लिसिटी के लिए तृप्ति का ये प्रयास निम्न स्तर का है। प्रियंका ने कहा, “उसने पहले ही अपना मकसद हासिल कर लिया है। उसे मीडिया का पूरा ध्यान मिला और जो पब्लिसिटी वो चाहती थी उसे मिल गयी। यही उसका स्टाइल है।” प्रियंका ने ये भी आरोप लगाया कि, “वो किसी की मदद नहीं करती है जबतक उसे उसके लिए पैसे नहीं मिलते। वो फालतू की बकवास करती है और इसके लिए कई बार पुलिस में शिकायत भी की गयी है। अगर गौर करें तो प्रियंका का बयान सही भी लगता है। दरअसल, तृप्ति देसाई ने शनि सिगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर सफल आंदोलन का नेतृत्व कर चर्चा में आई थीं और अब उनका अगला निशाना सबरीमाला मंदिर है जिससे वो एक बार फिर से लाइमलाइट में आ सकें। हालांकि वो मंदिर में प्रवेश नहीं कर पायीं लेकिन लाइमलाइट हासिल करने में जरुर सफल हो गयी हैं। ये शर्मनाक है कि अपने अहंकार और उद्देश्य की पूर्ति के लिए आत्मघोषित कार्यकर्ता इस तरह के पैंतरे अपना रही हैं। हालांकि, लाख कोशिशों के बावजूद अयप्पा के भक्तों की आस्था की जीत हुई है। 

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