केरल के प्राचीन सबरीमाला मंदिर के द्वार आज शाम को खुलेंगे। कुछ समय पहले ही मंदिर में 10-50 वर्ष की आयु की महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंद को सुप्रीम कोर्ट ने हटाया था। ‘प्रार्थना के अधिकार’ कार्यकर्ता तृप्ति देसाई भगवान अयप्पा के दर्शन करने के लिए कोच्ची हवाई अड्डा पर शुक्रवार तड़के ही पहुंच गयीं जहां उन्हें भारी विरोध का समाना करना पड़ा। तृप्ति देसाई पांच और कार्यकर्ताओं के साथ कोच्ची एयरपोर्ट पहुंची। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने तृप्ति का रास्ता रोक दिया और अब अब उन्हें हवाई अड्डे पर मौजूद टैक्सी वालों ने उन्हें बाहर ले जाने से मना कर दिया है। वो कोई सच्ची भक्त नहीं हैं लेकिन फिर भी मंदिर में जाने जाने की बात पर अड़ी हुई हैं। भरी विरोध प्रदर्शन को देखते हुए इलाकों में धरा 144 लागू कर दी गयी है।
Kerala: Protesters gather outside Cochin International Airport. Trupti Desai, founder of Bhumata Brigade, has arrived at the airport from Pune. She had written to Kerala CM seeking security for her visit to #SabrimalaTemple on 17 November. pic.twitter.com/QbzdSZeyKa
— ANI (@ANI) November 16, 2018
बुधवार को, तृप्ति ने केरल सरकार को पत्र लिखकर मंदिर में प्रवेश करने के लिए सुरक्षा की मांग की थी। उनके इस पत्र का केरल सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया था लेकिन फिर भी वो मंदिर में प्रवेश करने के लिए केरल पहुंच गयीं। तृप्ति ने अपने पत्र में अनूरोध करते हुए लिखा था, “हम केरल सरकार से अनुरोध करते हैं कि सुरक्षा के साथ-साथ केरला में लगने वाली व्यवस्थाओं का खर्च और वापस महाराष्ट्र लौटने के लिए हमें खर्चा दिया जाए।”
I have not received any response from the Kerala government. If any incident occurs, its responsibility will be on Kerala CM and DGP: Trupti Desai, founder of the Bhumata Brigade. She had written to Kerala CM seeking security for her visit to #SabrimalaTemple on 17 November pic.twitter.com/lB54OeU7AS
— ANI (@ANI) November 15, 2018
हालांकि, केरला पुलिस ने तृप्ति देसाई के लिए किसी विशेष प्रावधान की बात से इंकार कर दिया है। केरल पुलिस ने कहा, “कोई विशेष सुरक्षा नहीं दी जाएगी, देसाई के आम तीर्थयात्री ही है।”
तृप्ति देसाई का भक्ति और भावना से कोई संबंध ही नहीं हैं बस वो चर्चा में बने रहने के लिए भक्तों की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने का प्रयास करती रही हैं। शनिधाम शिंगणापुर मंदिर, हाजी अली दरगाह, महालक्ष्मी मंदिर और त्र्यंबकेश्वर शिव मंदिर सहित कई धार्मिक जगहों पर महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दिलाने के अभियान की अगुवाई कर चुकी हैं। सच्ची भक्त तो वो महिलाएं हैं जो खुद ही अपने धर्म और उससे जुडी आस्था और विश्वास को बनाये रखने के लिए #ReadyToWait नामक अभियान चला रही हैं। मंदिर में दर्शन के लिए वही भक्त जातें हैं जिन्हें भगवान पर आस्था और विश्वास हो। इसके साथ ही मंदिर में अनुष्ठान और कुछ रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है जो मंदिर की पवित्रता को बनाये रखता है। हालांकि, ये आत्मघोषित फेमिनिस्ट और कार्यकर्ता मंदिर में प्रवेश कर मंदिर की पवित्रता को खंडित करने का उद्देश्य रखती हैं जिससे वो चर्चा में आ सकें और अपने अहंकार की तृप्ति के लिए वो ऐसा करते हैं। हाल ही में तथाकथित कार्यकर्ता जिस मुद्दे पर अभियान चला रही हैं।
तृप्ति देसाई ने शनि सिगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर सफल आंदोलन का नेतृत्व कर चर्चा में आई थीं और अब उनका अगला निशाना सबरीमाला मंदिर है जिससे वो एक बार फिर से लाइमलाइट में आ सकें।
After Shani Shingnapur , Trupti Desai plans to visit Sabarimala to hog the limelight again. Interestingly, she did not even try to enter the inner sanctum of Haji Ali Dargah during her visit in 2016. #SaveSabarimala https://t.co/RERmv8RF7P
— Mrs Rajvardhan (@MrsRajvardhan) November 14, 2018
हालांकि, हाजी अली में तृप्ति का दोहरा रुख सामने आ गया था। तृप्ति देसाई हाजी अली दरगाह में महिलाओं के जियारत की वकालत की थी और और सुप्रीम कोर्ट के दरगाह में प्रवेश करने की अनुमति भी दे दी थी। यहां तृप्ति नेप्रवेश किया जहां तक महिलाओं के प्रवेश की अनुमति है और सभी नियमों का पालन और पवित्र दरगाह की सीमा को नहीं पार किया।
Pic 1 – Trupti Desai Trying to Enter Shani Temple.
Pic 2 – Trupti Desai Trying to Enter Haji Ali. #RightToPray pic.twitter.com/DWCkB4f39p— The Frustrated Indian (@FrustIndian) May 12, 2016
अब सबरीमाला मंदिर में तृप्ति जबरदस्ती प्रवेश करने का प्रयास कर रही हैं। बता दें कि, 28 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिअलों के परवेश पर अलगे प्रतिबंध को हटा दिया था। इसके तुरंत बाद ही पूरे राज्य में कोर्ट के फैसले के खिलाफ अयप्पा के भक्तों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया जिसमें अधिकतर महिलाएं शमिल थीं। महिला श्रद्धालु पूरे जोश के साथ भगवान अय्यपा के प्रति अपनी धार्मिक मान्यताओं के लिए लड़ रही हैं वहीं इस बीच कुछ ‘एक्टिविस्ट’ जो हिंदू धर्म की नहीं थीं और न ही उन्हें हिंदू धर्म की मान्यताओं से कोई मतलब है वो जबरदस्ती मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश कर रही थी। ये एक्टिविस्ट वो लोग हैं जो मुस्लिम, ईसाई धर्म और कम्युनिस्ट थे जिनके अंदर भगवान अयप्पा के लिए कोई भक्ति भावना नहीं थी और न ही उनके मन में हजारों वर्षों से चली आ रही हिंदू धर्म की मान्यता के लिए कोई सम्मान है। सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच फेमिनिस्ट एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा, रिपोर्टर कविता जक्कल और मैरी स्वीटी मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश कर रही थीं। केरल पुलिस ने इन्हें मंदिर में प्रवेश करने में मदद भी की थी। ये शर्मनाक है कि तथाकथित कार्यकर्ता सिर्फ पब्लिसिटी के लिए इस तरह से भक्तों की भावनाओं का मजाक बनाते हैं।