कहा गया है, पारिवारिक कलह और फूट अच्छे-अच्छों को बरबाद कर देता है। अच्छे-अच्छों की लुटिया डुबो देता है। ऐसा ही कुछ मुलायम सिंह यादव द्वारा सींची गई पार्टी समाजवादी पार्टी के साथ हो रहा है। समाजवादी पार्टी (सपा) में उचित ओहदा न मिलने से नाराज होकर पार्टी छोड़ दिया था। उन्होंने अपनी नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बना ली। शिवपाल की पार्टी के गठन के समय लगाए गए कयास अब सही भी साबित हो रहे हैं। शिवपाल की नई पार्टी अब समाजवादी पार्टी के लिए ही मुसीबत बनती जा रही है।
दरअसल, लोकसभा 2019 के चुनाव में फिरोजाबाद सीट अभी सपा के नाम है। इस सीट को बचाने के लिए समाजवादी पार्टी अपनी तैयारी कर रही है लेकिन सपा के लिए मुश्किल ये है कि शिवपाल यादव ने भी फिरोजाबाद सीट से चुनाव लड़ने का संकेत दे दिया है। चुनाव की इसी तैयारी के लिए शुक्रवार को मुलायम सिंह यादव फिरोजाबाद के नागला छबरैया पहुंचे। उनके साथ सपा मुखिया अखिलेश, चचेरे भाई और राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव व सांसद अक्षय यादव भी थे। अवसर था, कारगिल शहीद सम्मान समारोह का। इस समारोह में जुटी भारी भीड़ के सामने मुलायम सिंह यादव ने अक्षय यादव का हाथ उठवा कर अक्षय को ही चुनाव जिताने की अपील कर दी।
दूसरी तरफ शिवपाल अपने लिए फिरोजाबाद सीट पर निगाह लगाए बैठे हैं। शिवपाल ने पहले ही कह दिया है कि अगर जनता और कार्यकर्ताओं ने चाहा तो वो फिरोजाबाद से चुनाव लड़ेंगे। जो इस बात का पूरा संकेत है कि शिवपाल फैजाबाद से चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुके हैं। ऐसे में एक बात तो जग जाहिर है कि अगर शिवपाल सिंह यादव इस सीट से चुनाव लड़ गए तो सपा का अच्छा-खासा नुकसान होने वाला है।
बता दें कि, इस समय समाजवादी पार्टी की 5 जिताऊ लोकसभा सीटों में से फिरोजाबाद भी एक है। इस सीट से रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव सांसद हैं। जबकि इस समय समाजवादी पार्टी के पास कुल 5 लोकसभा सीटें हैं। ये सीटें फिरोजाबाद, मैनपुरी, कन्नौज, आजमगढ़ व बदायूं हैं।
ऐसे में इस बात की से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि, शिवपाल सिंह यादव की नई पार्टी अखिलेश की समाजवादी पार्टी को पग-पग पर नुकसान पहुंचाएगी। इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि शिवपाल समाजवादी पार्टी के पुराने कद्दावर नेता हैं। समाजवादी पार्टी में उनकी जबरदस्त पकड़ और जनाधार है लेकिन, अब उनके अलग होते ही समाजवादी पार्टी के का जनाधार दो हिस्सों में बंटता दिख रहा है। इसके अलावा सपा से नाराज या उपेक्षित नेता व कार्यकर्ता भी तेजी से शिवपाल की तरफ रुख कर रहे हैं। इन सभी गतिविधियों का सबसे बड़ा फायदा बीजेपी को होगा।
बीजेपी को फायदा होने का कारण भी जगजाहिर है। इसका कारण ये है कि बीते लोकसभा चुनाव में बीजेपी इन सीटों पर नंबर 2 पर थी। चुनावी विशेषज्ञों द्वारा ऐसा माना जाता है कि यूपी में अब बीजेपी का रथ अगर कोई है, जो रोक सकता हैं तो वो समाजवादी पार्टी है। ऐसे में अपनी इस मुख्यविपक्षी पार्टी के दो हिस्सों में बंट जाने से बीजेपी की रणनीति कामयाब होती दिख रही है।
वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने भी अपनी नई पार्टी ‘जनसत्ता पार्टी’ का गठन कर लिया है। उनकी इस पार्टी के गठन से भी बीजेपी को फायदा होता दिख रहा है। इसका कारण ये है कि अभी तक राजा भैया केवल कुछ सीटों से ही चुनाव लड़ते थे। इसके अलावा उनके विधायकों का समर्थन सपा को ही जाता था लेकिन अब नई पार्टी के गठन के बाद जाहिर सी बात है कि वो ढेरों सीटों पर अपने प्रत्याशियों को उतारेंगे। हर विधानसभा में जनाधार बढ़ने के साथ वो हर विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों को उतारते ही जाएंगे जिस वजह से अगर उनके प्रत्याशी अपनी सभी सीटों को जिताऊ सीटों में न भी बदल पाए तो भी वोट तो जरूर काटेंगे। ऐसे में शिवपाल व राजाभैया मिलकर सपा का जबरदस्त नुकसान करेंगे। इस नुकसान का जिम्मेदार खुद अखिलेश यादव होंगे। उन्होंने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को उचित सम्मान नहीं दिया। पार्टी के सर्वेसर्वा बनने के चक्कर में वो बुरी तरह मात खाते दिख रहे हैं। इससे स्पष्ट रूप से बीजेपी को लाभ होगा क्योंकि बिखरे मतदाता आधार के कारण समाजवादी पार्टी के वोट में सेंध लगेगा जिससे बीजेपी के लिए चुनावी तैयारी करना और आसान होगा।