तेलंगाना में चुनाव प्रचार जोरों पर है। इस बार तेलंगाना सत्ता विरोधी लहर की चपेट में है। वहां सत्ता विरोधी लहर जायज भी है। इसके सबसे बड़े कारणों में से एक है के चंद्रशेखर राव (केसीआर) का हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाना और विकास की अनदेखी। दरअसल, राज्य में केसीआर ने हिंदुओं, उनकी आस्थाओं और विकास का जमकर मजाक उड़ाया है। इसकी सबसे बड़ी गवाह मंदिरों की नगरी भद्राचलम है। यही नहीं ये यहां कोई विकास कार्य नहीं हुआ है जिससे स्थानीय लोगों में नाराजगी है। ऐसे में भद्राचलम बीजेपी के लिए तेलंगाना में ट्रम्प कार्ड साबित हो सकता है।
दरअसल भद्राचलम को दक्षिण में ‘मंदिरों की नगरी’ कहा जाता है। ये ‘दक्षिण की अयोध्या’ के नाम से भी मशहूर है लेकिन केसीआर द्वारा इसे आस्था और विकास, दोनों ही तौर पर अनदेखा किया गया है। यहां तक कि केसीआर यहां रामनवमी के पर्व पर भी हिंदुओं के बीच आना उचित नहीं समझते जब यहां रिवाज रहा है कि कर्यक्रम में राय के उख्य्मंत्री शामिल होते हैं।
यहां मंदिरों की नगरी के नाम से भी चर्चित भद्राचलम से करीब 32 किलोमीटर दूर ‘पर्णशाला’ नाम की एक जगह है। यहां के हिंदुओं की ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने अपने 14 साल के वनवास के कुछ दिन पर्णशाला में बिताए थे। यही नहीं, मान्यता ये भी है कि रावण ने इसी जगह से मां सीता का अपहरण किया था।
फिर भी यहां विकास का खस्ता हाल है। केसीआर ने इस जगह को खूब अनदेखी किया है। मंदिर परिसर के पास रहने वाले एक परिवार ने कहा, ‘‘ये देखकर दुख होता है कि यहां घर का कचरा फेंकने की भी जगह नहीं है। घरों से इकट्ठा किया गया कचरा गोदावरी नदी के तट पर फेंका जाता है।’’ एक स्थानीय श्रद्धालु ने भी सहमति जताते हुए कहा, ‘‘हम मौजूदा शासन से बहुत निराश हैं।’’
वहीं एक स्थानीय होटल के प्रबंधक ने कहा, ‘‘इतनी अनदेखी की गई है कि केसीआर ने पिछले दो साल में यहां राम नवमी कार्यक्रम में भी हिस्सा नहीं लिया। ऐसा रिवाज रहा है कि कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्यमंत्री करते हैं, लेकिन उन्होंने अपने पोते को कार्यक्रम में भेज दिया, जिससे स्थानीय लोगों की भावनाएं आहत हुईं।’’
ये सारी स्थितियां बताती हैं कि के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने किस तरह से हिंदुओं की आस्था और विकास को दरकिनार कर सत्ता सुख भोगा है। ऐसे में जब सत्ता विरोधी लहर चल चुकी है तो अब ये तय है कि जनता केसीआर के अलावा दूसरे विकल्प पर जाएगी।
वहीं दूसरी तरफ हिंदुओं की आस्था और विकास को देखते हुए छ्त्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने घोषणा करते हुए कहा, “अगर तेलंगाना में बीजेपी की सरकार बनी तो भद्राचलम के श्री सीता रामचंद्र स्वामी मंदिर को रामायण सर्किट में शामिल किया जाएगा।“ जबकि भद्राचलम में बीजेपी कैंडीडेट कुंज सत्यवती ने कहा, “भद्राचलम मंदिर के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।“ उन्होंने आगे कहा कि आंध्रप्रदेश में शामिल मंदिर की जमीन को भी सुरक्षित किया जाएगा।
ऐसे में तेलंगाना की नाराज जनता भारतीय जनता पार्टी को एक नयी उम्मीद से देख रही है। उनका मानना है कि ये पार्टी अपने विकास के मुद्दों के लिए मशहूर है। दूसरी तरफ देश में मोदी लहर और योगी की हिंदुत्व छवि चरम पर है। जिसके कारण दक्षिण के राज्यों में योगी के सक्रीय राजनीति में शामिल होने से वहां के लोगों का बीजेपी की तरफ झुकाव बढ़ता दिख रहा है। अब ऐसे में जब तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले केसीआर से जनता को मोहभंग हुआ है और दूसरी तरफ लोगों का बीजेपी की तरफ झुकाव बढ़ रहा है तो बीजेपी के पास तेलंगाना में अपनी पकड़ को मजबूत करने और सत्ता विरोधी लहर को भुनाने का एक सुनहरा अवसर है। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के लिए राज्य में पीएम मोदी का प्रचार भी लोगों का झुकाव बीजेपी की तरफ बढ़ाएगा। इसके अलावा दक्षिण हिंदुओं के बीच लोकप्रिय स्वामी परिपूर्णानंद की छवि भी भारतीय जनता पार्टी के लिए नयी उम्मीद बनकर अपने शहर लौटे हैं। राज्य में उनकी उपस्थिति ही भारतीय जनता पार्टी की पकड़ को और मजबूत करने में सहायक होगा। कुल मिलाकर इस बार यहां भारतीय जनता पार्टी पहले से अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए पूरी तरह से तैयार है क्योंकि भद्राचलम यहां महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है।