भारतीय रेलवे अब तकनीकी तौर पर एक लंबी छलांग लगाने जा रहा है। केंद्र सरकार बुलेट ट्रेन से पहले सेमी हाई-स्पीड ट्रेनों को लॉन्च करने की तैयारी में है। ये ट्रेनें राजधानी और शताब्दी जैसी ट्रेनों से ज्यादा स्पीड से चलेगी। इसी कड़ी का एक हिस्सा ट्रेन-18 ट्रेन भी है। इस ट्रेन का नाम ट्रेन-18 इसलिए रखा गया है क्योंकि भारतीय रलवे 2018 में ही इस ट्रेन को लोगों के लिए चलाने वाली है। ट्रेन-18 ट्रेन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 दिसंबर को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने वाले हैं। इंजन रहित यह ट्रेन-18 ट्रेन दिल्ली से वाराणासी के बीच चलेगी। यह ट्रेन अधिकतम 200 किलोमीटर की रफ्तार से चलेगी।
आज इस ट्रेन का ट्रायल रन हुआ है। गुरुवार दोपहर 12.15 बजे यह ट्रेन सफदरजंग रेलवे स्टेशन से ट्रेन रवाना हुई। एक बजे पलवल पहुंचने के बाद दोपहर 2.10 बजे आगरा कैंट पहुंची। वापसी में यह ट्रेन आगरा कैंट से दोपहर 3.10 बजे रवाना होगी और शाम 5.05 बजे सफदरजंग रेलवे स्टेशन पर पहुंचेगी।
राजधानी और शताब्दी ट्रेनों से कई ज्यादा रफ्तार वाली इस ट्रेन-18 का निर्माण आइसीएफ चेन्नई ने 100 करोड़ रुपये की लागत से किया है। यह ट्रेन अब भारत की सबसे फास्ट ट्रेन है। ट्रायल रन के दौरान ‘ट्रेन 18’ की सफलता से प्रभावित रेल मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में आईसीएफ से वर्तमान वित्तीय वर्ष में ऐसी चार और ट्रेनें बनाने को कहा है।
बता दें कि, ट्रेन-18 पूरी तरह से ‘मेक इन इंडिया’ परियोजना का हिस्सा है। यह ट्रेन आईसीएफ (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री), चेन्नई में बन रही है। आईसीएफ दावा कर रही है कि, ट्रेन-18, आयात की जा रही ट्रेनों की कीमतों के आधे खर्च में ही बन रही है। इस पहली ट्रेन में 16 चेयरकार कोच (एग्जीक्यूटिव और नॉन एग्जीक्यूटिव) होंगे। इसके साथ ही ट्रेन में 14 नॉन एग्जीक्यूटिव कोच और 2 एग्जीक्यूटिव कोच भी होंगे। खास बात यह है कि, इस ट्रेनसेट को इंजन की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि यह मेट्रो ट्रेन जैसे इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन पर स्वचालित होती है।
ये हैं ट्रेन-18 की खासियत
यात्रियों के लिए ट्रेन 18 में वाईफाई, जीपीएस आधारित सूचना प्रणाली, मॉड्यूलर बायो वॉक्यूम टॉयलेट, एलईडी लाइटिंग, मोबाइल चार्जिग प्वाइंट और तापमान नियंत्रण प्रणाली दी गई है। ट्रेन-18 में दो एक्जीक्यूटिव कोच होंगे। इनमें 52 सीटें होंगी। जबकि बाकी के प्रत्येक कोच में 78 सीटें होंगी। यह पूरी तरह से वातानुकूलित ट्रेन है जिसमें आरामदायक सीटों के साथ ही बेहतरीन अंदरूनी प्रकाश की व्यवस्था भी है। ट्रेन में स्वचालित दरवाजे हैं और इसके साथ स्लाइडिंग फुटस्टेप की सुविधा भी है। इस ट्रेन के डिब्बों में व्हील चेयर के लिए भी जगह होगी। यह कदम विकलांग यात्रियों को ध्यान में रखकर लिया गया है। भारतीय रेलवे की ट्रेन नई दिल्ली से सुबह छह बजे चलेगी और दो बजे वाराणसी पहुंचेगी। उसी दिन यह ट्रेन 2.30 बजे वाराणसी से चलेगी और रात 10.30 बजे राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली पहुंचेगी।