प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में उनके ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर पर काम तेजी से चल रहा है। इसके लिए वहां ध्वस्तीकरण का कार्य चल रहा है। लेकिन इस दौरान वहां एक से बढ़कर एक चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं।
दरअसल प्रशासन ने 182 मकानों को खरीदा है। प्रशासन ने मकानों को खरीदकर उन्हें ध्वस्त करना शुरू कर दिया है। उनमें से अभी तक 40 मकानों को तोड़ा जा चुका है। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो उन तोड़े गए मकानों में से 43 छोटे-बड़े प्राचीन मंदिर मिले हैं लेकिन, रोचक बात ये है कि एक मंदिर ऐसा भी मिला है जो एकदम से काशी विश्वनाथ मंदिर जैसा ही है।
बताया जा रहा है कि ये मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर जैसी ही वास्तुकला से निर्मित किया गया है। इस मंदिर में नंदी का आकार काशी विश्वनाथ मंदिर के नंदी से भी बड़ा है। खबरों की मानें तो मंदिर में नीचे की ओर रथ बना हुआ है। उस मंदिर के खंभों पर कीचक भी बने हुए हैं। बताया जा रहा है कि जो दूसरे मंदिर भी बने हुए हैं उनमें भी गजब की नक्काशी और वास्तुकला का देखने को मिली है।
बताते चलें कि काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी योजना में काशी विश्वनाथ मंदिर कोरिडोर को विकसित करने का काम चल रहा है। इस योजना के तहत 25 हजार वर्ग मीटर में मणिकर्णिका व ललिता घाट से मंदिर तक 40-40 फिट के 2 कॉरीडोर बनाने का काम चल रहा है। इसके लिए 269 इमारतों की पहचान की जा चुकी है। इन इमारतों का अधिग्रहण कर इनका ध्वस्तीकरण किया जाना है। अभी तक 182 भवनों का अधिग्रहण किया जा चुका है। अधिग्रहण किए गए मकानों में से 40 मकान ध्वस्त किए जा चुके हैं। जबकि अभी 112 इमारतों के अधिग्रहण व खरीदी का काम चल रहा है।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस परियोजना के लिए राज्य के मुख्यमंत्री योगी ने दिसंबर 2017 में 600 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। जिनमें से अभी तक 183 करोड़ रुपए आवंटित किए जा चुके हैं। बताया जा रहा है कि इस योजना में जो भी परिवार, दुकानें, किराएदार आ रहे हैं उनका पुनर्वास करने का भी काम चल रहा है।
वहीं दूसरी ओर भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण के नीरज सिन्हा ने कहा, “इन मंदिरों की प्राचीनता का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। ये मंदिर लगभग 18वीं या 19वीं शताब्दी के हो सकते हैं कुछ मंदिरों को देखकर लग रहा है कि वो लगभग हजार साल पुराने हैं। यही नहीं कोरिडोर निर्माण के दौरान इन मंदिरों का जीर्णोद्धार भी होगा और मंदिरों के बाहर शिलापट्ट पर इतिहास लिखा जाएगा। हालांकि, ध्वस्तीकरण के दौरान इन मंदिरों प्राचीनता के बारे पूरी जानकारी एकत्रित करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
धस्तीकरण में मिल रहे मंदिरों पर इतिहासकार प्रोफेसर मारुतिनंदन तिवारी ने कहा कि जो प्राचीन मंदिर मिले हैं वो 18वीं से 19वीं सदी के बीच के हैं। उन्होंने कहा कि औरंगजेब काल में काशी विश्वनाथ मंदिर को नष्ट किया गया था। औरंगजेब की मृत्यू के बाद मुगलकाल का पतन होना शुरू हुआ। उसके बाद थोक में मंदिर बनने शुरू हुए। उन्हीं में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर है। इसका निर्माण अहिल्याबाई होलकर ने 1977 में किया।
अब मकानों के ध्वस्तीकरण के दौरान मिलने वाले मंदिर चर्चा के विषय बने हुए हैं। ये खबरें दूर-दूर तक जंगल में लगी आग की तरह फैल रही है। इसे लेकर लोगों में कौतूहलता बनी हुई है।