कश्मीर से इस साल अच्छी खबरें आ रही हैं। सेना को आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में एक के बाद एक सफलता मिल रही है। सेना ने बताया है कि, 2018 से अब तक कश्मीर में कुल 225 आतंकी मारे गए हैं। वहीं दूसरी ओर घाटी में अब युवा हथियार थामकर आतंक का रास्ता अपनाने की बजाय किताबें थाम रहे हैं और रोजगार के लिए अपनी स्किल्स डवलप कर रहे हैं। सेना के उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने बताया है कि, “जम्मू कश्मीर के स्थानीय लोग अब सेना की मदद कर रहे हैं। जिसके चलते हमारे जवानों से 2018 में अब तक 225 आतंकियों को मार गिराया है।“ सिंह ने आगे बताया कि, सुरक्षा बलों ने 25 जून से 14 सितंबर के बीच 51 जबकि 15 सितंबर से 5 दिसंबर तक 85 आतंकियों को मार गिराया है। हालांकि, रणबीर सिंह ने बताया कि घाटी में अब भी देशी-विदेशी मिलाकर 250 आतंकी सक्रिय है।
दरअसल, लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह कपूरथला के एक सैनिक स्कूल में स्पीच दे रहे थे। यहां उन्होंने बताया कि, सरकार और सेना द्वार उठाए गए कदमों की वजह से हमें लगातार सफलता मिल रही है। उन्होंने बतााय कि, स्थानीय लोग जवानों को आतंकियों की लोकेशन के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जो कि घाटी में बेहद सकारात्मक कदम है।
लेफ्टिनेंट रणबीर सिंह ने बताया कि पाकिस्तान अभी भी कश्मीर में ज्यादा से ज्यादा आतंकी घुसपैठ कराना चाहता है। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य एकदम से साफ है कि, आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और उन्हें मार गिराया जाए। हम भरोसा दिलाना चाहते हैं कि, जम्मू-कश्मीर में शांति और स्थिरता बनी रहेगी। सेना स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथ में शामिल नहीं होने देगी। कुछ महीनों से स्थानीय युवाओं के आतंकी बनने में कमी आई है। यहां कट्टरता में काफी कमी आई है। यही वजह है कि घाटी में स्थिति काबू में है।”
लेफ्टिनेंट सिंह ने पड़ोसी देश पाकिस्तान के बारे में बात करते हुए कहा कि, पड़ोसी देश घाटी में आतंक फैलाने की कोशिश कर रहा है। वहीं घाटी में आतंक रोकने के लिए सेना हरसंभव प्रयास कर रही है। आंकड़ों के बारे में बात करते हुए लेफ्टिनेंट ने कहा कि, 2013 में जम्मू-कश्मीर में कुल 213 आतंकी मारे गए थे। वहीं आतंक के खिलाफ इस लड़ाई में राज्य पुलिस और सेना के कुल 80 जवान शहीद हुए थे। इस दौरान 40 आम नागरिक भी मारे गए थे। इसके अलावा 2016 में कुल 150 आतंकी ढेर हुए थे। वहीं 2018 में कुल 225 आतंकी ढेर हुए हैं।
वहीं दूसरी ओर घाटी के नौजवान भी अब आतंक की बजाय किताबें थाम रहे हैं। रोजगार पर ध्यान दे रहे हैं। जिसके कारण आतंकियों की कमर टूट गई है। इन सभी कारणों से एक ओर जहां आतंकी संगठनों का आत्मविश्वास टूट रहा है तो वहीं सेना आत्मविश्वास से लबरेज है। दूसरी तरफ कश्मीर के आम नागरिकों भी सुकून और अमन की हवा में जी रहे है।
लंबे समय से जम्मू कश्मीर में आतंकियों ने आवाम का जीना दूभर कर रखा था। लेकिन अब कश्मीर की फिजाओं में एक बार फिर से अमन की हवा चलनी शुरू हो गई है। अगर यही स्थिति रही तो जल्द ही जम्मू-कश्मीर फिर से धरती का जन्नत बन जाएगा।