उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बड़ा निर्णय लेकर राजनैतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। इस बार सीएम में गरीबों, कमजोरों, जरूरतमंदों को अपना वोटबैंक बनाकर रखने वाली पार्टियों को झटका देते हुए दलितों और पिछड़ों के आरक्षण में बंटवारे के लिए गठित की गयी सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट योगी आदित्यनाथ ने अपनी मंजूरी भी दे दी है।
दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है कि समाज में जाति संतुलन बनाये रखने के लिए आरक्षण का फायदा जरूरतमंद लोगों तक पहुंचना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि मदद उनकी की जाए, जो जरुरतमंद हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री योगी ने उत्तर प्रदेश में नये सिरे से कोटे में कोटा निर्धारित करने की पहल की है। इसके लिए दलितों और पिछड़ों के आरक्षण में बंटवारे के लिए सामाजिक न्याय समिति गठित की गई थी। समिति अपनी रिपोर्ट योगी आदित्यनाथ को सौंपी जा चुकी है। इस रिपोर्ट को योगी ने अपनी मंजूरी भी दे दी है।
दरअसल आरक्षण पर विचार करने के लिए योगी आदित्यनाथ ने 10 जून 2018 को उत्तर-प्रदेश पिछड़ा समाजिक न्याय समिति का गठन किया था समिति ने अपनी रिपोर्ट में ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण को 7-11-9 के फॉर्मूले पर बांटने की सिफारिश की है। समिति ने इसके लिए तीन वर्ग- पिछड़ा, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा बनाने का प्रस्ताव दिया है। मतलब, पिछड़ा वर्ग को 7 फीसदी आरक्षण, अति पिछड़ा के लिए 11 फीसदी और सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग को 9 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की गई है। इस रिपोर्ट में पिछड़ा वर्ग में 12 जातियां, 59 जातियों को अति पिछड़ा और 79 जातियों सर्वाधिक पिछड़ों की श्रेणी में रखा गया हैं।
इसके लिए रिटायर्ड जस्टिस राघवेंद्र कुमार की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था। कुछ दिन पहले ही इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी है।
इस रिपोर्ट में समिति ने ओबीसी और एससी/एसटी के मौजूदा कोटा में सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग को बनाने का प्रस्ताव दिया गया है। जिसका मतलब है कि एससी/एसटी और पिछड़ा वर्ग आरक्षण तीन बराबर हिस्सों में बंट जायेगा। इस रिपोर्ट को परीक्षण के लिए समाज क्लायण विभाग को भेज दिया गया है।
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि एससी और एसटी आरक्षण (कुल 22 फीसदी) को मिलाकर तीन सब कैटेगरी में बांट दिया जाए। दलित को 7 फीसदी, अति दलित को 7 फीसदी और महादलित को 8 फीसदी आरक्षण देने की बात कही गई है। दलित वर्ग में 4, अति दलित वर्ग में 32 और महादलित वर्ग में 46 जातियों को रखने की सिफारिश की गई है।
दरअसल योगी आदित्यनाथ बहुत दिनों से आरक्षण पर विमर्श करने के पक्ष में थे। उनका मानना है कि अभी तक आरक्षण पर सिर्फ राजनीति हो रही है। इसका फायदा उन्हें नहीं मिल पा रहा है, जिन्हे मिलना चाहिए। गरीब, दलित और वंचित आज भी उसी स्थिति में हैं, जिस स्थिति में वो एक पीढ़ी पहले थे। आरक्षण देने के नाम पर सिर्फ और सिर्फ राजनीति होने का असर ये हुआ कि लोगों ने उन्हें अपना वोटबैंक बना लिया। इसीलिए यूपी के योगी आदित्यनाथ ने आगे बढ़कर दलितों-वंचितों के हितों के लिए कदम उठाया।
अब देखना ये होगा कि गरीबों, वंचितों, जरूरतमंदों को अपना वोटबैंक समझने वाली पार्टियां इस पर क्या प्रतिक्रिया देती हैं क्योंकि जब आरक्षण का फायदा जरूरतमंदों को मिलेगा तो उनकी गरीबी दूर होगी। जब गरीबी दूर होगी तो वो स्वावलंबी होंगे। जब वो स्वावलंबी होंगे तो वो आरक्षण की राजनीति करने वाली पार्टियों के वोटबैंक मात्र बनकर नहीं रह जाएंगे।