पाकिस्तान के अपदस्थ प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मुसीबतें एक बार फिर से बढ़ गयी हैं। अब पाकिस्तान की एक एंटी करप्शन कोर्ट ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और मुख्य विपक्षी दल के प्रमुख नवाज शरीफ को 7 साल कारावास की सजा सुनाई है। इस्लामाबाद स्थित जवाबदेही अदालत की पीठ का नेतृत्व न्यायाधीश मुहम्मद अरशद मलिक कर रहे थे। न्यायाधीश ने कहा कि, अल-अजीजिया मामले में 68 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री शरीफ के खिलाफ ठोस सबूत हैं।
शरीफ को सजा होने के बाद पाकिस्तानी सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने सोमवार को कहा कि शरीफ का “असली चेहरा आज बेनकाब हो गया।“ डॉन की खबर के अनुसार चौधरी ने कहा, “जो लोग अभी भी शरीफ का बचाव कर रहे हैं उन्हें शर्म आनी चाहिए क्योंकि घोटाले की राशि पाकिस्तान के लोगों की है।” चौधरी यही नहीं रुके उन्होंने आगे कहा, “राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) कानून के तहत यदि कोई व्यक्ति अपनी आय का स्रोत बताने में असफल रहता है तो उस राशि को भ्रष्टाचार माना जाता है।“
दरअसल, पाकिस्तान की एक एंटी करप्शन कोर्ट ने निलंबित प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार के एक अन्य मामले में 7 साल कैद की सजा सुनाई है। यही नहीं, कोर्ट ने शरीफ पर 25 लाख डॉलर (करीब 175 करोड़ रुपए) का आर्थिक दंड भी लगाया गया है। सोमवार को अदालत में शरीफ के अल अजीजिया स्टील मिल्स मामले में सुनाई हुई। बता दें कि फ्लैगशिप इन्वेस्टमेंट्स से जुड़े एक और मामले में उन्हें बरी कर दिया गया। जबकि इससे पहले इसी साल जुलाई में लंदन के अवेनफील्ड स्थित 4 फ्लैट से जुड़े मामले में भी नवाज को 10 साल कैद की सजा सुनाई थी। हालांकि इस मामले में इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें सितंबर में ही जमानत दे दी थी और सजा को निलंबित कर दिया था।
बता दें कि पनामा पेपर्स के खुलासे में नमाज शरीफ का नाम सामने आने के बाद ही 8 सितंबर 2017 को नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो ने नवाज शरीफ के साथ उनके परिवार पर अल अजीजिया स्टील मिल्स केस दर्ज किया था। बता दें कि सऊदी अरब में अल अजीजिया स्टील मिल्स की स्थापना नवाज शरीफ के पिता मोहम्मद शरीफ ने 2001 में की था। शरीफ का कहना था कि इसके लिए उनके परिवार ने सऊदी सरकार से कर्ज लिए थे। इसके बदले में उन्होंने अपनी एक संपत्ति गिरवी भी रखी थी।
जबकि नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो ने अपने जांच में पाया कि मामला कुछ और ही है। एनएबी का कहना था कि इस मिल की स्थापना पाकिस्तान में जुटाए गए कालेधन से की गई थी। इसके लिए हिल मेटल के नाम की एक कंपनी बनाई गई। इस कंपनी के माध्यम से पाकिस्तान से आए कालेधन को सफेद किया गया। एंटी करप्शन कोर्ट ने ब्यूरो की जांच को सही ठहराया। करप्शन कोर्ट ने नवाज शरीफ को दोषी ठहराते हुए यह सजा सुनाई।
इससे पहले 68 साल के शरीफ पर अल-अजीजिया स्टील मिल्स और फ्लैगशिप इन्वेस्टमेंट्स में घोटाले का आरोप था। शरीफ के जज ने पिछले सप्ताह ही दोनों मामलों में फैसला सुरक्षित रख लिया था। वहीं दूसरी ओर इससे पहले शरीफ के वकील ने इन दोनों मामलों में फैसले को कुछ दिनों के लिए टालने की अपील की थी। वकील का तर्क था कि वो केस से जुड़े कुछ और दस्तावेज कोर्ट में पेश कर सकते हैं लेकिन कोर्ट ने उनकी मांग खारिज करते हुए 24 दिसंबर को ही फैसला देने की बात कही। इससे पहले 2017 में जवाबदेही कोर्ट ने शरीफ को आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति रखने के मामले में दोषी ठहराया था।
इससे पहले अवेनफील्ड प्रॉपर्टीज केस में जवाबदेही कोर्ट ने 6 जुलाई को पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और नवाज शरीफ, उनकी बेटी मरियम और कैप्टन सफदर को दोषी पाया था। पूर्व पाक पीएम पर आय से अधिक संपत्ति होने का आरोप था। जबकि मरियम पर नवाज को लंदन में चार फ्लैट खरीदने के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था।