राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने आइएसआईएस से जुड़े एक आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया है। राजधानी दिल्ली समेत उत्तरप्रदेश में 17 जगहों पर एनआईए ने दबिश दी है। एनआईए की इस कार्रवाई में आईएसआईएस के नए मॉड्यूल ‘हरकत उल हर्ब ए इस्लाम’ का खुलासा हुआ है। इस कार्रवाई में कुल 16 लोगों को हिरासत में लिया गया था, जिसमें अब तक 10 लोगों की गिरफ्तारी हुई है और बाकी से पूछताछ की जा रही है। तीन-चार महीने पहले बना यह मॉड्यूल भीड़भीड़ वाले इलाकों, कई ठिकानों और मह्त्वपूर्ण व्यक्तियों पर हमले की तैयारी में था। आतंकी निशाने पर आरएसएस मुख्यालय और दिल्ली पुलिस मुख्यालय भी था। ये आतंकी भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक भी जुटा चुके थे। एनआईए ने इनके पास से रॉकेट लॉन्चर, कई पिस्टल और 25 किलो विस्फोटक बरामद किया है। बताया जा रहा है कि, आतंकियों ने अपने घर से सोना चोरी किया था और उसे बेचकर विस्फोटक खरीदे थे।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी के संयुक्त निदेशक आलोक मित्तल के अनुसार यह ‘हरकत उल हर्ब ए इस्लाम’ मॉड्यूल फिदाइन और रिमोट कंट्रोल से विस्फोट करने के लिए पूरी तरह तैयार बैठा था। ‘हरकत उल हर्ब ए इस्लाम’ का हिंदी में अर्थ होता है ‘इस्लाम के कारण के लिए युद्द’। इस मॉड्यूल की बड़े पैमाने पर तबाही मचाने की योजना थी। एनआईए के छापे में इन आतंकियों के पास से 25 किलोग्राम पोटैशियम नाइट्रेट, अमोनियम नाइट्रेट, सल्फर और सुगर मैटेरियल पेस्ट के अलावा 112 अलार्म घड़ी, मोबाइल फोन सर्किट, बैटरी, 51 पाइप, कार का रिमोट कंट्रोल, वायरलेस डोरवेल स्वीच, स्टील कंटेनर, तार, 91 मोबाइल फोन और 134 सिम कार्ड भी बरामद हुए हैं। इस सामान से कई आइईडी बम बनाए जा सकते थे। आतंकियों के पास से बड़ी संख्या में पाइप बरामद होने से ऐसा लगता है कि, यह ‘हरकत उल हर्ब ए इस्लाम’ मॉड्यूल पाइप बम के सहारे विस्फोट करने की योजना बना रहा था। बड़ी मात्रा में विस्फोटक के साथ ही इन आतंकियों ने एक देशी राकेट लांचर भी तैयार कर लिया था। इस मॉड्यूल से फिदाइन हमलों में इस्तेमाल होने वाला जैकेट भी बरामद किया गया है। मॉड्यूल के ठिकानों से 12 पिस्तौल और 150 कारतूस भी बरामद किये गए है।
हालांकि, इस ‘हरकत उल हर्ब ए इस्लाम’ मॉड्यूल के सीधे आइएसआइएस से जुड़े होने के ठोस सबूत नहीं मिले हैं लेकिन, मॉड्यूल के ठिकानों से बड़ी मात्रा में आइएसआइएस से जुड़े आपत्तिजनक दस्तावेज भी मिले हैं जिससे इस माड्यूल के आइएसआइएस से जुड़े होने की बात पता चलती है। बताया जा रहा है कि, मॉड्यूल का सरगना मुफ्ती सुहैल एक विदेशी आका के साथ लगातार संपर्क में था। यह आतंकी माड्यूल आइएसआइएस से जुड़ी वेबसाइटों को नियमित रूप से देखता था। इस बात की पुष्टि मॉड्यूल से बरामद तीन लैपटॉप से हुई है। आलोक मित्तल के अनुसार इस विदेशी आका की पहचान और उसके सक्रिय होने के स्थान की पड़ताल की जा रही है।
एनआईए की दबिश में पकड़ा गया इस आंतकी मॉड्यूल का सरगना मुफ्ती मोहम्मद सुहैल अमरोहा का मूल निवासी है। सुहैल अमरोह में एक मस्जिद के इमाम के रूप में भी काम कर रहा था। इस सरगना ने अपने ‘हरकत उल हर्ब ए इस्लाम’ मॉड्यूल में जिन लोगों को शामिल किया है, वे सभी 20- 35 साल के हैं। ये सभी मध्यम आय वर्ग के परिवारों से हैं। सुहैल आईएसआईएस से जुड़े ऑनलाइन कंटेंट के जरिए अपने सदस्यों को उकसाता था। एनआईए द्वारा एक वीडियो भी जब्त किया गया है जिसमें सुहैल को यह कहते सुना जा सकता है कि, सर्किट का उपयोग कर कैसे बम तैयार किया जा सकता है। एनआईए की दबिश में पकड़े गए इस आतंकी मॉड्यूल के सदस्यों का प्रोफाइल कुछ इस प्रकार है-
अनस यूनुस- यह जाफराबाद का रहने वाला है जिसकी आयु 24 साल है। अनस नोएडा की एमिटी यूनिवर्सिटी में सिविल इंजीनियरिंग का स्टूडेंट है। इसने बम बनाने में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की खरीद की थी।
सईद- यह अमरोह के सैदापुर इम्मा का रहने वाला 28 साल का युवा है। सईद की अमरोहा में वेल्डिंग की दुकान है। यहीं पर कुछ पिस्तौल और रॉकेट लॉन्चर तैयार किये गए थे।
राशिद जफर रका उर्फ जफर- यह जाफराबाद का रहने वाला 23 साल का युवक है। यह कपड़ों का कारोबार करा था और मॉड्यूल का हिस्सा था।
सईद का भाई रईस अहमद- यह सैदापिर इम्मा, अमरोहा का रहने वाला है। इसकी अमरोहा के ईदगाह के पास इस्लाम नगर में वेल्डिंग की दुकान है। बताया जा रहा है कि, सईद और अहमद ने आईईडी और पाइप बम बनाने के लिए 25 किलोग्राम विस्फोटक करीदा था। अहमद ने रॉकेट लॉन्चर तैयार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
जुबैर मलिक- यह 20 साल का बीए थर्ड ईयर का स्टूडेंट है। यह जाफराबाद का रहने वाला है और दिल्ली के एक विश्वविद्याल में पढ़ाई करता था।
जुबैर का भाई जावेद- यह भी जाफराबाद का रहने वाल 22 साल का युवक है। ये दोनों भाई ही इस माड्यूल का हिस्सा थे। दोनों ने फर्जी आईडी से सिम कार्ड खरीदा था। साथ ही इन्होंने बैटरी, कनेक्टर और बम बनाने की सामग्री भी खरीदी थी। बताया जा रहा है कि, इन दोनों ने ही घर से सोना चुराकर पैसे की व्यवस्था की थी।
मोहम्मद इरशाद- यह अमरोहा का रहने वाला ऑटो-रिक्शा चालक है। इसने आईईडी और बम बनाने का सामान रखने के लिए जगह की व्यवस्था करने में मोहम्मद सुहैल की मदद की थी।
मोहम्मद आजम- यह 35 वर्षिय दिल्ली के चौहान बाजार का रहने वाला है। आजम ने सुहैल को हथियारों की व्यवस्था करने में मदद की थी। आजम सीलमपुर में दवाइयों की एक दुकान चलाता था।
साकिब इफ्तेकार- यह 26 वर्षिय हापुड़, उत्तर प्रदेश का रहने वाला है। साकिब जामा मस्जिद, बक्सर में इमाम का काम करता है। साकिब ने हथियारों की खरीद में मोहम्मद सुहैल की मदद की थी।