केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उनके और सरकार के बीच विवादों की अफवाहों को लेकर सारी स्थिति स्पष्ट कर दी है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि हमारे और पार्टी के बीच ऐसा कुछ भी नहीं है। उन्होंने मीडिया और कुछ विरोधी पार्टियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके बयान को गलत तरह से पेश किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी की छवि को धूमिल करने के सिए कुछ लोग जानबूझकर सोचे समझे तरीके से ऐसे आरोप लगा रहे हैं।
रविवार को गडकरी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, “पिछले कुछ दिनों में मैंने नोटिस किया है कि कुछ विपक्षी पार्टियां और मीडिया का एक खास वर्ग मेरे खिलाफ दुष्प्रचार चला रहा है। मेरे बयानों को गलत तरीके से दिखाया जा रहा है और उन्हें संदर्भ से हटाकर राजनीतिक मंशा पूरी करने के लिए प्रयोग कर रहे हैं। इनकी राजनीतिक मंशा मेरे और मेरी पार्टी की छवि को धक्का पहुंचाना है।”
बेबाकी और स्पष्टता से अपना पक्ष रखने के लिए जाने जाने वाले केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, “मैं मजबूती से इस तरह के झूठे और भड़काने वाले व्यवहार की निंदा करता हूं। उन्होंने संदर्भ से अलग हटकर उनके बयानों के प्रयोग की इस प्रवृति की भी आलोचना की। बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने एक और ट्वीट में लिखा कि, पार्टी और शीर्ष नेतृत्व के साथ टकराव के झूठे प्रचार से भी उनका पार्टी के साथ रिश्ता खराब नहीं होगा।”
गडकरी ने ट्वीट किया, “एक बार फिर से सबको स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि, शीर्ष नेतृत्व और पार्टी के साथ मेरी तनाव की झूठी खबरें फैलाने वाले लोग बीजेपी नेतृत्व और मेरे बीच किसी तरह की दूरी नहीं बढ़ा पाएंगे। विभिन्न मंचों से मैंने अपनी स्थिति स्पष्ट की है और आगे भी ऐसा करता रहूंगा। झूठे प्रचार करनेवालों का असली चेहरा सामने लाता रहूंगा।”
दरअसल, वाम दल और कांग्रेस द्वारा पिछले कुछ समय से ऐसी अफवाहें उडाई जा रही थीं कि, अगर बीजेपी को 200 से कम सीटें मिलती हैं तो एनडीए में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नितिन गडकरी होंगे। खबरों की मानें तो रिपोर्ट्स में कहा गया था, “अगर आरएसएस ने किसी कारण से प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी के अलावा किसी नाम पर विचार किया तो वो नितिन गडकरी को चुनेंगे।” जनता के बीच ऐसी अफवाहें भी फैलाई जा रही थीं कि, मोदी और आरएसएस में इस समय तालमेल अच्छा नहीं चल रहा है। आरएसएस की पसंद गडकरी हैं। लेफ्ट-लिबरल मीडिया का भी मानना है कि मोदी सांप्रदायिक व्यक्तित्व के नेता हैं जबकि गडकरी का व्यक्तित्व सांप्रदायिक नहीं हैं। दरअसल, कुछ दिनों पहले लेफ्ट लिबरल मीडिया ने जनता के बीच ऐसा भ्रम फैलाया था कि प्रधानमंत्री मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ गड़करी के तनावपूर्ण रिश्ते चल रहे हैं। जिससे जनता के बीच भ्रम की स्थिति चल रही थी।
गडकरी का यह बयान उस समय आया, जब मीडिया में उनके एक साक्षात्कार को लेकर हुआ विवाद भी चल रहा है। इस साक्षात्कार के वीडियो के माध्यम से लेफ्ट मीडिया ऐसा भ्रम फैलाने का प्रयास कर रहा था कि, गडकरी मोदी सरकार के खिलाफ चल रहे हैं। वीडियो में ऐसा दर्शाया गया कि, गडकरी अपनी सरकार की रुकी परियोजनाओं के लिए मोदी को दोषी ठहरा रहे हैं। हालाँकि, बाद में नितिन गडकरी के ऑफिस से असली वीडियो जारी किया गया। बाकी गडकरी ने ट्विट करके विनोद दुआ का भंडाफोड़ कर ही दिया।
बता दें कि, यह पहली बार नहीं है जब लेफ्ट एजेंडाधारी मीडिया ने बीजेपी में अफवाहों को हवा दी हो। इससे पहले भी लेफ्ट मीडिया ने सुषमा स्वराज को 2019 चुनावों में प्रधानमंत्री पद का दावेदार बताकर पार्टी में फूट डालने की कोशिश की थी। लेकिन सुषमा स्वराज ने गिरते स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से सेवानिवृत्त होने का ऐलान करके अफवाह उड़ाने वालों के मुंह पर तमाचा जड़ा था। इसके बाद अब नितिन गडकरी ने भी लेफ्ट लिबरल मीडिया का असली चेहरा सबके सामने ला दिया है। इस तरह से लेफ्ट मीडिया और विपक्ष के पूरे एजेंडे ही धराशाई हो गए।