उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में एक बड़ा फैसला किया है जिसका फायदा निश्चित ही OBC की श्रेणी में आने वाले लोगों को होगा जो अक्सर आरक्षण के लाभ से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने OBC के कोटे में कोटा का फार्मूला तय किया है जिसके तहत पिछड़ी जातियों को तीन हिस्सों में बांटकर आरक्षण का लाभ दिया जायेगा। सूत्रों की मानें तो इस पर आखिरी मुहर लगने में अभी समय है।
दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है कि समाज में जाति संतुलन बनाये रखने के लिए आरक्षण का फायदा जरूरतमंद लोगों तक पहुंचना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि मदद उनकी की जाए, जो जरुरतमंद हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री योगी ने उत्तर प्रदेश में नये सिरे से कोटे में कोटा निर्धारित करने की पहल की है। इसके लिए दलितों और पिछड़ों के आरक्षण में बंटवारे के लिए जस्टिस राघवेंद्र कुमार की अगुवाई में सामाजिक न्याय समिति गठित की गई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट योगी आदित्यनाथ को सौंपी जा चुकी है। इस रिपोर्ट को योगी ने अपनी मंजूरी भी दे दी है लेकिन इस पर आखिरी मुहर लगना बाकी है। इस रिपोर्ट में ओबीसी कैटेगरी को पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग और अत्यंत पिछड़ा वर्ग में बांटे जाने की सिफारिश की गयी है जिसमें ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण को 7-11-9 के फॉर्मूले पर बांटने की सिफारिश की है। मतलब, पिछड़ा वर्ग को 7 फीसदी आरक्षण, अति पिछड़ा के लिए 11 फीसदी और सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग को 9 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की गई है। इस रिपोर्ट में पिछड़ा वर्ग में 12 जातियां, 59 जातियों को अति पिछड़ा और 79 जातियों सर्वाधिक पिछड़ों की श्रेणी में रखा गया हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राघवेंद्र कुमार ने अपनी रिपोर्ट में यादव, कुर्मी, चौरसिया, हलवाई, सोनार, जाट, पटेल, कोइरी, कसेरा, ठठेरा, कलार, कलाल, हलवाई और ताम्रकार जातियों को सामाजिक लिहाज से मजबूत और संपन्न माना। इसी के तहत इन जातियों को पिछड़ा वर्ग में रखा गया है और इन जातियों का कोटा सिर्फ 7 प्रतिशत तक सीमित करने की सिफारिश की गई है। जबकि अति पिछड़ा वर्ग में गुर्जर, कुम्हार, लोहार, तेली, गिरी, गोंसाई, प्रजापति, जोगी, साहू, दर्जी, बढ़ई, विश्वकर्मा, मौर्य, मोमिन, मिरासी, जोरिया, गंधी, अर्राक, इदरीसी, गड़ेरिया जैसी जातियों को रखा गया है और इन जाति के लोगों को 11 प्रतिशत आरक्षण देने की सिफारिश की गई है। आखिर में अत्यंत पिछड़ा वर्ग में मल्लाह, निषाद, घोसी, राजभर, कहार, कश्यप, केवट, कुरैशी, फकीर, बंजारा, मुकेरी, बिंद, अरख, अर्कवंशी, नट, गद्दी जैसी जातियों को रखा है और इन जातियों को 9 प्रतिशत आरक्षण देने की सलाह दी गई है।
कोटे में कोटा का मकसद सिर्फ आरक्षण के लाभ से वंचित रह जाने वाली जातियों को फायदा पहुंचाना है लेकिन अब विपक्ष ने प्रदेश में इस मामले और राजनीति शुरू कर दी है। बता दें कि ओबीसी की बाकी 70 फीसदी जातियां अब भी आरक्षण के फायदे से वंचित है ऐसे में कोटे के भीतर कोटा जरुरी है। विपक्ष ने इसे लोकसभा चुनाव के लिए योगी का नया दांव बताया जबकि उन्हें आरक्षण के लाभ से वंचित लोग नजर नहीं आये। अब विपक्षी पार्टियां इसकी आलोचना कर रही हैं जबकि अभी तक इस रिपोर्ट को विधानसभा में पेश नहीं किया गया है। वास्तव में योगी सरकार ने लोगों की भलाई के लिए बड़ा और अहम फैसला किया है।
गरीब, वंचित और जरूरतमंदों को अपना वोटबैंक समझने वाली पार्टियां इस फैसले का विरोध कर रही हैं क्योंकि जब आरक्षण का फायदा जरूरतमंदों को मिलेगा तो उनकी गरीबी दूर होगी। जब गरीबी दूर होगी तो वो स्वावलंबी होंगे। जब वो स्वावलंबी होंगे तो वो आरक्षण की राजनीति करने वाली पार्टियों के वोटबैंक मात्र बनकर नहीं रह जाएंगे। यही वजह है विपक्ष इसकी आलोचना कर रहा है।