वैसे तो पाकिस्तान खुद को इस्लाम का संरक्षक देश बताता है लेकिन चीन द्वारा उसके यहां जो उइगर मुसलमानों की दुर्दशा की जा रही है, उस पर पाकिस्तान चुप है। चुप ही नहीं है, बल्कि गलबहियां भी करता फिर रहा है। पाकिस्तान चीन द्वारा उइगर मुसलमानों पर किए जाने वाले दुर्व्यवहार पर ऐसे चुप्पी साधे हुए है जैसे इससे बिल्कुल बेखबर हो। दरअसल, चीन में मुसलमानों की कुल संख्या लगभग 2.3 करोड़ है। जबकि शिंजियांग में उइगर मुसलमानों की कुल संख्या 10 लाख है। उइगर में मुसलमानों पर होने वाले अत्याचारों की खबरें समय-समय पर आती रहती हैं। लेकिन इन दिनों चीन द्वारा मुसलमानों पर होने वाले अत्याचारों में तेजी से इजाफा हुआ है। वहां पर उइगर मुसलमानों की पत्नियों को नजरबंद करने की खबरें तेजी से आ रही है। अब तक शिंजियांग प्रांत के लगभग 250 उइगर मुसलमान व्यवसायियों की पत्नियों के नजरबंद किए जाने की खबरें आ चुकी हैं।
शिंजियांग प्रांत से पाकिस्तान वापस आए अट्टा ने बताया कि, चीन के शिंजियांग प्रांत से 200 से भी ज्यादा मुस्लिम व्यापारियों की पत्नियां लापता हो गई है। जब उन लोगों ने इस संबंध में शिकायतें की, तो उन्हें अधिकारियों ने बताया कि उनकी पत्नियों को ‘शैक्षणिक केंद्रों’ में ले जाया गया है। चौधरी जावेद अट्टा ने बताया कि उनकी पत्नी भी लापता है। उसे भी चीनी पुलिस अधिकारी कथित ‘शैक्षणिक केंद्र’ ले गए हैं। जावेद ने बताया कि वह ‘शैक्षणिक केंद्र’ कहने भर को है लेकिन किसी जेल से कम नहीं है। जावेद अपना वीजा को रिन्यू कराने पाकिस्तान आए थे। जावेद अट्टा ने बताया, “उनकी पत्नी ने आखिरी बार उनसे कहा था, ‘जैसे ही आप जाएंगे, वे मुझे कैंप में ले जाएंगे और मैं कभी वापस नहीं आऊंगी।”
बता दें कि, यह पहली बार नहीं है जब चीन में चल रही इस तरह की गतिविधियों पर खबरें आई हों। इससे पहले भी चीन पर उइगरों को नजरबंद करने के आरोप लगते रहे हैं। चीन अपने यहां के मुसलमानों को उनकी धार्मिक मान्यताओं से दूर ले जाने के तमाम हथकंडे अपनाते रहा है। ऐसी खबरें आती रही हैं कि, उइगर शिवरों में इस्लाम के प्रति घृणा फैलाने, इस्लाम के खिलाफ निबंध लिखने, इस्लामिक मान्यताओं के खिलाफ भड़काने और घृणा फैलाने जैसी तमाम शिक्षाएं दी जाती हैं। यहां तक कि, उन्हें सूअर का मांस खाने और शराब पीने के तक लिए मजबूर किया जाता है जो मुस्लिम धर्म में वर्जित माना जाता है। इसके लिए चीन मुसलमानों को कथित रुप से ‘री-एजुकेट’ किए जाने का नाम देता आ रहा है। अट्टा का कहना है, “वे उसे स्कूल बताते हैं, जबकि वह जेल है।”
भावुक होकर अट्टा ने बताया कि, उन्हें अपने 5 और 7 साल के दो बच्चों को भी छोड़ना पड़ा है। उनके पासपोर्ट चीनी अधिकारियों ने जब्त कर लिए हैं। अधिकारी उनके बच्चों को अनाथालय में डाल देंगे। उन्होंने कहा, “अब मैं विशेष रूप से चिंतित हूं। नौ महीने हो गए हैं, मैंने अपने बच्चों को नहीं देखा है। मैं उनसे बात भी नहीं कर पाया हूं।”
वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान में चीन बड़ी परियोजनाओं में पैसा लगा चुका है। चीन-पाक आर्थिक गलियारे में चीन ने काफी पैसे लगाए हैं। पाकिस्तान का मानना है कि, चीन हमारे यहां संमृद्धता लाने का प्रयास कर रहा है। शायद यही कारण है कि, पाकिस्तान चीन से सख्त तेवरों में बात करने में खुद को अक्षम पा रहा है। कहीं न कहीं चीन द्वारा पाकिस्तान में पैसे इनवेस्ट करने के पीछे मंशा भी यही थी कि वह पाकिस्तान को अपने चंगुल में फंसा ले। हुआ भी वही। पाकिस्तान चीन के चंगुल में फंस चुका है। अब धीरे-धीरे पाकिस्तान चीन का उपनिवेश बनता जा रहा है।
बता दें कि, चीन में 10 लाख से अधिक उइगर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों को इंटरनेट तक से दूर रखा गया है। इसे लेकर संयुक्त राष्ट्र पैनल और अमेरिकी सरकार सहित पूरा विश्व उइगर मुसलमानों को लेकर सशंकित है। लेकिन खुद को इस्लाम का रक्षक बताने वाले पाकिस्तान को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। वह चीन के साथ अभी भी व्यक्तिगत स्वार्थों के चलते गलबहियां करने में व्यस्त है। वह दिनों-दिन चीन की नीतियों के मकड़जाल में फंसता जा रहा है।