रेल मंत्री पीयुष गोयल प्रधानमंत्री मोदी की उस प्रतिबद्धता के लिए समर्पित होकर जुटे हैं, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में कहा था कि हम रेलयात्रा की सूरत बदल देंगे। इन दिनों रेलमंत्री कभी भी, कहीं भी, किसी भी ट्रेन में औचक निरीक्षण करने पहुंच जाते हैं। यही नहीं, किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या असुविधा मिलने पर वो सक्षम अधिकारियों को सख्त हिदायत भी दे रहे हैं। अपनी सक्रियता और अपने विभाग से संबंधित नागरिकों (रेलयात्रियों) की समस्याओं के समाधान के लिए मानों उनमें और सुषमा स्वराज (विदेश मंत्रालय) में बाजी लगी हो। रेलमंत्री पीयूष गोयल भी यात्रियों के एक ट्विट मात्र पर उन्हें त्वरित सुविधा दिला रहे हैं। उनकी इस सक्रियता की आजकल हर रेलयात्री तारीफ कर रहा है।
उनकी सक्रियता के कई उदाहरण हैं। हाल ही में वो गुरुग्रम में आयुष्मान भारत कार्यक्रम में पहुंचे थे। इस कार्यक्रम के खत्म के होने तुरंत बाद वो अचानक गुरुग्राम रेलवे स्टेशन का जायजा लेने पहुंच गये जिससे रेलवे अधिकरियों में हडकंप मच गया। रेल मंत्री ने स्टेशन परिसर में सफाई का ख़ास ध्यान रखने के निर्देश दिए और रेल अधिकारियों ने मंत्री को समस्याओं के बारे में भी बताया जिसे पीयूष गोयल ने जल्द ही हल करने की बात कही।
रेलमंत्री ने औचक तरीके से ट्रेन में सफर कर रेल अधिकारियों को कई बार चौंकाया है। एक बार तो वो जांच के लिए कोटा जन शताब्दी में चढ़ गये थे। एक-एक यात्रियों की सीट पर पहुंचकर उनसे व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात करके उनकी समस्याएं जानी थी। यही नहीं, रेलमंत्री ने यात्रियों से सुझाव भी मांगे थे। उन्होंने यात्रियों से यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की हो रही समस्या के बारे में जानकारी ली। रेलमंत्री इस बार कोटा जन शताब्दी ट्रेन में यात्रा कर रहे थे। इस दौरान यात्रियों द्वारा बताई गई असुविधाओं पर उन्होंने अधिकारियों से फोन पर बातकर सख्त निर्देश भी दिए।
उनके इस कदम से रेल अधिकारियों में हलचल सी मच गई थी। रेलवे के अधिकारियों को इस बात का बिल्कुल अंदाजा ही नहीं था कि रेलमंत्री इस तरह से औचक निरीक्षण पर आ जायेंगे। उन्हें इस बात की भनक तब लगी, जब ट्रेन एक स्टेशन पर पहुंची। इसके बाद रेल अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए थे।
बता दें कि इस औचक निरीक्षण के दौरान रेलमंत्री को यात्रियों द्वारा कुछ असुविधाएं भी बताई गई थीं। यात्रियों की असुविधाओं को जानने, सुनने के बाद रेलमंत्री ने रेल अधिकारियों को कई सख्त निर्देश दिए थे।
रेलमंत्री ने निम्न निर्देश दिए थे…
- प्राइवेट कैटर्स खान-पान के आइटम्स केवल बेस किचन से ही लें।
- रेल नीर के बोतल पर बड़े अक्षरों में मूल्य का टैग 15 रुपये लगा हो।
- मार्च 2019 तक बेस किचन पूरा हो।
- कैटरिंग सर्विस के लिए 4000 पीओएस मशीनें तुरंत खरीदी जाएं।
- बॉयो टॉयलेट से किसी भी तरह की बदबू न आने पाए।
- रेलवे ट्रैक को पेंटिंग से खूबसूरत बनाएं।
- टीटीई को पीओएस मशीन के साथ हैंड हेल्ड टर्मिनल उपलब्ध करवाई जाए।
- डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दें।
- रेल के प्रत्येक कोच में खाने के सामानों के मूल्य के 5-6 स्टिकर लगाए जाएंगे।
- खाने के प्रत्येक पैकेट पर किचन नंबर और क्यूआर कोड होना चाहिए ताकि यात्री वेबसाइट पर खाने की जानकारी के अलावा खाने की गुणवत्ता में कमी आने पर रेल मंत्रालय से शिकायत भी कर सकें।
बता दें कि ये पहली बार नहीं है, जब रेलमंत्री ने इतनी सक्रियता दिखाई हो। अभी कुछ दिनों पहले की बात है, रेलमंत्री को जैसे ही एक शहीद की विधवा को सीट न मिलने की जानकारी मिली उन्होंने उस महिला को तुरंत सीट उपलब्ध करवाई थी।
यही नहीं रेलमंत्री की सक्रिय नीतियों के चलते ही एक बेटे को उसकी मां मिल सकी थी। दरअसल, केरल की महिला लापता हो गयी थी। महिला के बेटे ने थ्रिसुर के पुलिस स्टेशन में पदमा की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। इसके बाद रेल प्रशासन ने मामले में सक्रियता दिखाते हुए महिला को ढूंढ़ निकाला।
रेलमंत्री के इस औचक निरीक्षण से एक ओर जहां रेल अधिकारियों में एक सक्रियता और लापरवाही के प्रति भय है तो वहीं रेलयात्रियों में खुशी और उत्साह है। इसके साथ यात्रियों का भारतीय रेलवे पर भरोसा भी बढ़ा है।